सड़कों पर बिजली खंभे, घरों के अंदर लगा दिए पोल सपोर्टर तार

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  • विद्युत कर्मियों की मनमानी और कारगुजारियों से ग्रामीण परेशान
  • सड़कों पर झूलते बिजली तारों से बढ़ गई है दुर्घटना की आशंका


अर्जुन झा
बकावंड अंचल के ग्रामीण बिजली कंपनी बकावंड कार्यालय में पदस्थ अधिकारी – कर्मचारियों की कारगुजारियों से परेशान हो चले हैं। जिन कार्यों के लिए विभाग के कर्मचारियों को तनख्वाह मिलती है, वे सारे कार्य ग्रामीणों से बेगारी में कराए जाते हैं। सड़कों के बीचों- बीच बिजली के खंभे गाड़ दिए गए हैं, घरों के अंदर तक स्टे तार (पोल सपोर्टर ) लगा दिए गए हैं, बिजली के तार सड़कों पर झूल रहे हैं। ग्रामीणों को हर वक्त गंभीर खतरे के बीच दिन गुजारने पड़ रहे हैं।


बस्तर जिले के बकावंड ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत पंडानार के आश्रित ग्राम नेगानार व क्षेत्र के विभिन्न गांवों में विद्युतीकरण के नाम पर महज खानापूर्ति की गई है। खानापूर्ति भी ऐसी कि, बिजली की सुविधा ग्रामीणों के लिए मुसीबत का सबब बन गई है। नेगानार गांव में घीनू पिता लखमू के घर पास बिजली के खंभे सड़क के बीच में गाड़ दिए गए हैं। वहीं घरों के अंदर पोल सपोर्टर तार लगा दिए गए हैं। छोटे बच्चे हमेशा पोल सपोर्टर तारों में झूलते – खेलते रहते हैं। बच्चों के करंट की चपेट में आने तथा बड़ी अनहोनी की आशंका हमेशा बनी रहती है। खासकर बरसात के दिनों में जब बिजली पोल से होकर बारिश का पानी स्टे तारों तक आ जाता है, तब करंट फैलने की आशंका और भी बढ़ जाती है। गांव में विद्युतीकरण करते समय कंपनी के अधिकारियों ने घोर लापरवाही बरती। उन्होंने बिजली पोलों को सड़क के बीचोंबीच गड़वा दिए। इसके चलते वाहनों की आवाजाही में बड़ी दिक्कत हो रही है। रात के अंधेरे में खंभे नजर नहीं आते और वाहन खंभों से टकरा जाते हैं।सड़कों के बीच स्थित बिजली खंभों से टकराकर कई वाहन सवार घायल हो चुके हैं। घरों के अंदर लगा दिए गए पोल सपोर्टर तारों में अक्सर करंट प्रवाहित हो जाती है।

वयस्क ग्रामीण तो सावधानी बरतते हुए ऐसे तारों से सुरक्षात्मक दूरी बनाए रखते हैं, लेकिन बच्चे इन तारों के आसपास ही खेलते रहते हैं। बच्चों के साथ अनहोनी का भय हमेशा बना रहता है। खंभों में लगाए गए तारों को अच्छे से कसा और बांधा नहीं गया है। नतीजतन अधिकांश गांवों में बिजली के तार झूलते नजर आते हैं। तार काफी नीचे तक लटक आए हैं। वहीं सानपारा से छोटे पुजारी पारा एवं अन्य गांवों की गलियों में सीसी रोड जमीन की सतह से एक डेढ़ फीट ऊपर तक बनाई गई हैं। इस वजह से तार सीसी रोड से सात आठ फीट ही ऊपर रह गए हैं। सीसी रोड से गुजरने वाले ट्रक, मिनी ट्रक आदि वाहनों का ऊपरी भाग बिजली के तारों से टकराते हैं। ऐसे में कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है। वाहनों से बिजली के तारों के टकराने से अक्सर बिजली गुल हो जाती है। बिजली आपूर्ति बहाल करने में विभाग के कर्मचारी जरा भी ध्यान नहीं देते। उनका अता पता ही नहीं रहता है। जबकि हर क्षेत्र के लिए एक विद्युत कर्मी की ड्यूटी लगाई जाने की बात अधिकारी कहते हैं। खातिरदारी करने पर ही विद्युत कर्मी बिजली आपूर्ति बहाल करते हैं। वहीं जिनके ग्रामीणों के घरों का कनेक्शन काटना होता है या बिजली बिल अदा न करने वाले उपभोक्ताओं के घरों के कनेक्शन तार को जप्त करना होता है, तब गांव में विद्युत कर्मचारी जरूर पहुंच जाते हैं। वहीं विभिन्न गांवों के चौक चौराहे में कटिया फंसाकर बिजली चोरी खुलेआम की जा रही है। यह काम विद्युत कंपनी के मैदानी कर्मचारियों की मिलीभगत से चलता है। पंडानार, नेगानार तथा अन्य गांवों में विभागीय कर्मचारियों की ऐसी कारगुजारियां देखने में आई हैं। ग्रामीणों ने कंपनी के अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर इन समस्याओं का समाधान जल्द करने की मांग की है। ऐसा नहीं होने पर ग्रामीणों ने उग्र आंदोलन व चक्काजाम करने की चेतावनी दी है।

ग्रामीणों से बेगारी कराते हैं कर्मचारी
विद्युत कंपनी के कर्मचारी बस्तर के ग्रामीणों के भोलेपन का बेजा लाभ उठाने से भी बाज नहीं आते। ये कर्मचारी अपना काम ग्रामीणों से कराकर खुद अपने घरों में आराम फरमाते रहते हैं। बिजली बिल वितरण, तारों को खिंचवाने, लाईन काटने, तार उठवाने के कार्य ग्रामीणों से कराए जाते हैं। पूरे गांव की बिजली चली जाए, तो भी मरम्मत कार्य में ग्रामीणों से ही बेगारी कराई जाती है। चर्चा है कि ऐसे अनेक कार्यों में मजदूर लगाने के नाम पर विभाग के अधिकारी फर्जी बिल बनाकर सरकारी रकम डकार लेते हैं। ग्रामीणों के घरों में आने वाली विद्युत संबंधी दिक्क़तों को दूर करने के लिए कर्मचारी रकम की मांग करते हैं। जो ग्रामीण उनकी मांग पूरी नहीं कर पाते, उनकी परेशानी हफ्तों दूर नहीं की जाती। दारू मुर्गा का इंतजाम करने पर कर्मचारी फाल्ट दूर करते हैं।