नर्स और डॉक्टरों की सजगता से महिला को मिला नया जीवन

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  • महिला की मौत की गलत सूचना पर नर्स को कर दिया गया सस्पेंड
  • महिला के परिजनों के मुताबिक ईनाम की हकदार है नर्स

बकावंड सभी डॉक्टर्स और नर्स लापरवाह एवं स्वार्थी नहीं होते, कुछ के दिलों में मानवता और संवेदना की भावना भी समाई रहती है। बकावंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी मानवीय संवेदना से ओतप्रोत कुछ डॉक्टर्स और नर्सेस कार्यरत हैं। इन्हीं की बदौलत एक महिला को नया जीवन मिला है। यह महिला और उसके परिजन इन स्वास्थ्य कर्मियों को अब देवतुल्य मानने लगे हैं।

एक महिला को नई जिंदगी देने वाली स्टॉफ नर्स यू. रागिनी को कुछ गलतफहमी के कारण निलंबित कर दिया गया है। छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य कर्मचारी ने निलंबन का कड़ा विरोध किया है। मॉडल हॉस्पिटल बकावंड जिसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भी कहा जाता है, में वैसे तो ढेरों खामियां हैं। यहां के कुछ डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही की वजह से अक्सर मरीजों की जान पर बन आती है। ऐसा ही एक मामला बीते दिनों तब सामने आया था, जब दुर्घटना के शिकार ओड़िशा के अमड़ीगुड़ा गांव निवासी युवक थबीर बघेल की मौत इस अस्पताल में पहुंचते पहुंचते हो गई थी। थबीर का शव चार घंटे से भी ज्यादा समय तक उस वार्ड की एक बेंच पर रखी रही, जिस वार्ड में दर्जन भर मरीज भर्ती थे। अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि अस्पताल में लाने से पहले ही थबीर की मौत हो चुकी थी। वहीं मॉडल हॉस्पिटल बकावंड के चिकित्सा अधिकारी डॉ. गजेंद्र सेठिया एवं नर्स यू रागिनी और उर्वशी की संवेदनशीलता तथा मानवीयता के चलते ग्राम सुआचोंड निवासी 30 वर्षीय सुकाली भारती पति धनर भारती को नया जीवन मिल गया। डॉ. सेठिया और नर्स यू रागिनी व उर्वशी की कर्तव्यनिष्ठा की वजह से आज सुकाली पूरी तरह स्वस्थ है और परिवार के भरण पोषण में पहले की तरह हाथ बंटा रही है। सुकाली, धनर और उनका बेटा कामता भारती डॉ. गजेंद्र सेठिया तथा नर्स यू रागिनी व उर्वशी का अहसान मानते नहीं थक रहे हैं। उन्होंने बताया कि सुकाली को बेहोशी की हालत में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बकावंड पहुंचाया गया था। अगर इन तीनों चिकित्सा कर्मियों ने तत्परता नहीं दिखाई होती, तो सुकाली का बच पाना मुश्किल था। वहीं एक जानकारी यह भी मिली है कि सुकाली की मृत्यु की गलत सूचना के आधार पर जिला प्रशासन ने नर्स यू रागिनी को सस्पेंड कर दिया है। जबकि सुकाली के परिजन डॉ. सेठिया व नर्स यू रागिनी एवं उर्वशी की सेवा भावना एवं तत्परता की दुहाई देते नहीं थक रहे हैं। धनर व कामता भारती का कहना है कि नर्स के खिलाफ कार्रवाई गलत है। वास्तव में नर्स यू रागिनी तो पुरस्कार की हकदार है। इस मामले में बस्तर कलेक्टर चंदन कुमार का कहना है कि वे मामले की पड़ताल कराएंगे और नर्स यू रागिनी को जरूर इंसाफ दिलाएंगे।

संघ ने किया निलंबन का विरोध

छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने स्टॉफ नर्स यू. रागिनी के निलंबन का विरोध किया है। संघ के बस्तर जिला अध्यक्ष अजय सिंह परिहार ने कहा है कि यू. रागिनी हमारे संघ की सदस्य है। उन्होंने कहा कि यह जानकर बड़ी हैरानी हुई कि यू. रागिनी को बिना किसी गलती के निलंबित कर दिया गया है। परिहार ने कहा कि यू. रागिनी अपने कर्तव्य के प्रति हमेशा सजग रहती है, मरीजों की देखभाल पूरे सेवा भाव से करती है। जिस तथ्य को आधार बनाकर यू. रागिनी को निलंबित किया गया है, वह बेतुका है। जिस महिला मरीज की मृत्यु के लिए यू. रागिनी को जिम्मेदार मानते हुए निलंबित किया गया है, वह महिला स्टॉफ नर्स रागिनी के सेवा भाव के कारण ही जीवित बच गई और आज पूरी तरह स्वस्थ है। ऐसे में यू. रागिनी का निलंबन न्यायोचित नहीं है। अजय सिंह परिहार ने कहा है कि जल्द ही छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य कर्मचारी संघ का प्रतिनिधि मंडल सीएमओ से मिलकर यू. रागिनी का निलंबन वापस लेने की मांग करेगा। उन्होंने कहा है कि सेवभावी स्वास्थ्य कर्मचारियों को प्रताड़ित करने की कोशिशों का संघ द्वारा पुरजोर विरोध किया जाएगा।