छत्तीसगढ़ में उपलब्ध कराए जा रहे हैं रोजगार के पर्याप्त अवसर

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  • सांसद बैज के प्रश्न के जवाब में केंद्र सरकार ने दी जानकारी
  • राज्य में कामगारों की संख्या बढ़कर 64.9 प्रतिशत हो गई
  • बिहार में बढ़ी बेरोजगारी, यहां सिर्फ 39. 3 प्रतिशत कामगार

बस्तर क्षेत्रीय सांसद दीपक बैज ने लोकसभा में बेरोजगारी का मुद्दा उठाया। उन्होंने बेरोजगारी दूर करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों और राज्यों में बेरोजगारों और कामगारों के आंकड़े मांगे। श्री बैज के प्रश्न के जवाब में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने जो आंकड़े दिए, उनके मुताबिक छत्तीसगढ़ में कामगारों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है और राज्य में मार्च 2023 की स्थिति के अनुसार कामगारों की संख्या बढ़कर 64.9 प्रतिशत हो गई है। जबकि सन 2018 – 19 में संख्या 61.2 प्रतिशत थी यानि कामगारों की संख्या चार साल में करीब चार फीसदी बढ़ी है। वहीं दूसरी ओर रोजगार के मामले में बिहार की हालत बुरी है। यहां कामगारों की संख्या महज 39.3 फीसद है, जो बीते साल के मुकाबले 0.4 प्रतिशत और घटा है।बस्तर के सांसद दीपक बैज ने अतारांकित प्रश्न के जरिए बेरोजगारी की स्थिति के संबंध में विभिन्न मुद्दों पर सरकार से जवाब मांगा था। उन्होंने पूछा कि देश में बेरोजगारी और बेरोजगारों की क्या स्थिति है, बीते एक दशक के दौरान बेरोजगारी दर में कितनी वृद्धि हुई है, मौजूदा समय में बेरोजगारी दर कितनी है, उत्तरप्रदेश और देश में बेरोजगारी के उप शमन और रोजगार सृजन के लिए संचालित योजनाओं व कार्यक्रमों के नाम क्या हैं, इनसे क्या उपलब्धियां हासिल हैं एवं रोजगार पाने वाले युवाओं की संख्या कितनी है, चार वर्षों में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में कितने बेरोजगारों को रोजगार मिला है, बीते तीन सालों में सरकारी एवं निजी क्षेत्र में कितने लोगों को रोजगार मिला और इसकी राज्यवार स्थिति क्या है तथा क्या केंद्र सरकार बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता दे रही है? बैज के तमाम प्रश्नों का सिलसिलेवार लिखित जवाब केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने दिया। उन्होंने बताया कि 2017- 18 में बेरोजगारी दर 6 प्रतिशत थी, जो 2021- 22 में घटकर 4.01 प्रतिशत हो गई है। यह बेरोजगारी दूर करने की स्थिति में सुधार को दर्शाता है। जनसंख्या अनुपात में कामगारों की संख्या में बढ़ोत्तरी की जानकारी देते हुए तेली ने सांसद दीपक बैज को बताया कि सन 2017-18 में कामगारों की संख्या जनसंख्या अनुपात में 42.3 प्रतिशत थी, जो क्रमशः बढ़ते बढ़ते 2021-22 में 52.9 प्रतिशत तक पहुंच गई है। मेक इन इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया, डिजिटल इंडिया, सबके लिए आवास जैसे फ्लैगशिप कार्यक्रम आदि से रोजगार सृजित किए गए हैं। जनसंख्या अनुपात में राज्यवार कामगारों की संख्या के प्रतिशत की जानकारी भी केंद्रीय राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने सांसद दीपक बैज को दी है। इसमें छत्तीसगढ़ में कामगारों का प्रतिशत उत्साहजनक है। 2018-19 से 2021-22 तक के आंकड़े उपलब्ध कराए गए हैं। छत्तीसगढ़ में 2018-19 के दौरान कामगारों की संख्या 61.2 प्रतिशत थी। यह संख्या साल दर साल बढ़ते बढ़ते सन 2021-22 में 64.9 प्रतिशत तक पहुंच गई।

केंद्रीय लोक उद्यमों में कर्मी घटे

केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री रामेश्वर तेली द्वारा बस्तर के सांसद दीपक बैज को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार केंद्र सरकार के लोक उद्यमों में नियमित कर्मचारियों की संख्या लगातार घट रही है। केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक केंद्रीय सरकारी लोक उद्यमों में सन 2017-18 में नियमित कर्मचारियों की संख्या 10.71लाख, 2019-20 में 9.10 लाख, 2020-21 में 8.51थी। यह संख्या सन 2021-22 में और घट गई। 2021-22 के दौरान केंद्रीय सरकारी लोक उद्यमों में नियमित कर्मचारी महज 8.41 लाख ही रह गए। श्री तेली ने बताया कि राज्य कर्मचारी बीमा निगम के माध्यम से संचालित अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजना के तहत बेरोजगारी लाभ बीमित श्रमिकों को दिया जा रहा है। इसे दैनिक आय के 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया गया है और इसकी अवधि 90 दिनों की है। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री ने बेरोजगारी दूर करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए सांसद श्री बैज को बताया कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना, पं. दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना, पं. दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना, राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन, प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना जैसे अनेक कार्यक्रम और योजनाओं के जरिए बेरोजगारी दूर करने व युवाओं को स्वरोजगार की ओर उन्मुख करने के उपाय किए गए हैं। पीएम गति शक्ति के तहत बंदरगाहों, एयरपोर्ट, सड़क, जन परिवहन, जलमार्ग, रेलवे और लॉजिस्टिक बुनियादी ढांचे के जरिए भी रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए गए हैं।