शहर में फिर जगह – जगह नजर आने लगे हैं कूड़े के ढेर

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  • नगर निगम की डोर टू डोर कचरा संग्रहण योजना साबित हुई फ्लॉप
  • भाजपा पार्षद नरसिंह राव ने नगर निगम की व्यवस्था पर उठाए सवाल

जगदलपुर शहर में फिर से जगह – जगह कूड़े के ढेर नजर आने लगे हैं। सभी वार्डों में घरों के आसपास मुक्कड़ बना दिए गए हैं। लोग अपने घरों से निकलने वाले कचरे को इन्हीं मुक्कड़ों में डालते जा रहे हैं। नगर निगम की डोर टू डोर कचरा संग्रहण योजना फ्लॉप साबित हो रही है। उक्त आरोप भाजपा पार्षद नरसिंह राव ने लगाए हैं। श्री राव ने एक बयान में कहा है कि नगर निगम जगदलपुर में विगत 3 माह से डोर टू डोर कचरा संग्रहण का कार्य ठप पड़ा हुआ है। लोगपरेशान हैं और समझ नहीं पा रहे हैं कि अब कचरा कहां फेंकें या किसके हवाले करें। विगत 10 वर्षों से शहर को मुक्कड़ व कचरा मुक्त बनाने डोर टू डोर घरेलू कचरा संग्रहण के माध्यम से जो अभियान चलाया जा रहा था, वह सफल हुआ था। इस व्यवस्था को बनाने में काफी मेहनत और समय लगा था। वर्तमान में नगर निगम की सत्ता पर कांग्रेस काबिज है। कांग्रेसी मेयर और एमआईसी की अदूरदर्शिता व बिना प्लानिंग के कार्य कराए जाने के कारण कचरा संग्रहण के लिए जो ऑटो लगाई गई है, उसे प्रत्येक घर तक पहुंचने में 5 से 7 दिन का समय लग जाता है। कचरे का नियमित उठाव नहीं हो पाने के कारण घरों के आसपास मुक्कड़ बना लिए गए हैं। लोग अपने घरों से निकलने वाले कचरे को उन्हीं मुक्कड़ों में डंप करते जा रहे हैं। शहर में जगह जगह कचरे के ढेर लगते जा रहे हैं। सूखे व गीले कचरे को एकसाथ डाले जाने से कचरा सड़ रहा है, उसमें कीड़े पनपने लगे हैं तथा कचरे के ढेरों से असहनीय बदबू उठने लगी है। लोग कचरे का सही ढंग से निष्पादन करने में असमर्थ हैं। कचरा वाहन के इंतजार में कई दिनों तक कचरे को घर में रखना भी अनेक लोगों की मजबूरी बन गई है।

कचरे का वर्गीकरण बना मुसीबत का सबब

पार्षद नरसिंह राव ने कहा है कि शुरू में सूखा व गीला कचरा निगम द्वारा मांगा जाता रहा है। अब लोगों को जब इसकी आदत लग गई है, तब निगम द्वारा तुगलकी फरमान जारी कर दिया गया है कि पांच से सात प्रकार के कचरे को अलग – अलग करके कचरा वाहन के हवाले किया जाए। कचरे को वर्गीकृत करके देने के लिए नागरिकों के पास ना तो समय है, और ना ही व्यवस्था। स्वच्छता दीदियों द्वारा वार्ड के प्रत्येक घर के सामने कचरा को अलग किया जाता है जिसके कारण एक घर में काफी समय लगता है और उस घर के सामने काफी गंदगी फैल जाती है और आए दिन विवाद की स्थिति निर्मित हो जाती है। कचरा वाहन को भी हर घर में काफी समय लगने के कारण वाहन 5 से 7 दिन के अंतराल में पहुंच पाता है। सूखा कचरा को एसएलआरएम सेंटर में ले लिया जाता है और उसकी बिक्री कर धन प्राप्त किया जाता है। वहीं गीले कचरे को सड़न और बदबूदार हो जाने के कारण लेने से इंकार कर दिया जाता है। ऐसे में गीले कचरे के निष्पादन के लिए भी कोई कारगर व्यवस्था निगम द्वारा नहीं की गई है। स्वच्छता दीदियों पर निष्पादन की व्यवस्था हेतु दबाव डाला जाता है। नई व्यवस्था लागू करने से पहले नगर निगम प्रशासन को हर वार्ड के लिए कम से कम तीन कचरा वाहनों तथा अतिरिक्त कर्मचारियों का इंतजाम कर लेना चाहिए था। सबसे पहले तो इस नई व्यवस्था को किसी एक वार्ड में प्रायोगिक रूप से लागू करना था, ताकि आगे खामियों को दूर किया जा सके। योजना सफल होने पर संपूर्ण शहर में लागू किया जाना चाहिए था।