- अमेरिका के लोग खूब पसंद कर रहे हैं वनोपजों से तैयार उत्पादों को
- लोहंडीगुड़ा में बने 10 टन ईमली उत्पादों को सांसद दीपक बैज व पूनम बैज ने हरी झंडी दिखाकर किया रवाना
अर्जुन झा
लोहंडीगुड़ा बस्तर में मिलने वाली वनोपजों से तैयार किए जा रहे खाद्य उत्पादों ने सात समंदर पार भी धूम मचा रखी है। दूसरे देशों में बस्तर के ऐसे उत्पादों की अच्छी खपत हो रही है और डिमांड काफी बढ़ गई है।अमेरिका के लोग भी यहां की वनोपजों से तैयार उत्पादों को खूब पसंद कर रहे हैं। खासकर ईमली से बने उत्पादों की अमेरिका में डिमांड हो रही है। यहां से भारी मात्रा में ईमली प्रोडक्ट अमेरिका भेजे जाने लगे हैं। लोहंडीगुड़ा के एक उद्योग में तैयार ईमली प्रोडक्ट निरंतर अमेरिका एक्सपोर्ट किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में यहां के एक उद्योग द्वारा तैयार ईमली उत्पादों की बड़ी खेप को बस्तर के सांसद दीपक बैज और उनकी धर्मपत्नी पूनम बैज ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
बस्तर के जंगलों में ईमली, महुआ, चार, तेंदू, छिंद आदि बहुतायत में पाए जाते हैं। छत्तीसगढ़ की मौजूदा कांग्रेस सरकार ने इन वनोपजों से तरह – तरह के खाद्य पदार्थ बनाने को प्रोत्साहन देना शुरू किया है। इसी के तहत बस्तर के लोहंडीगुड़ा, बकावंड समेत अन्य स्थानों पर उद्योगों की स्थापना कराई गई हैं। इन उद्योगों में महुआ, ईमली, छिंद आदि से तरह – तरह के खाद्य पदार्थ तैयार किए जा रहे हैं। इन उद्योगों में स्थानीय आदिवासी ग्रामीणों और महिलाओं को बड़े पैमाने पर रोजगार तो मिल ही रहा है, भूपेश बघेल सरकार की यह पहल सात समंदर पार के देशों में बस्तर को विशेष पहचान भी दिला रही है। लोहंडीगुड़ा स्थित उद्योग बस्तर फार्मर क्रोसर एग्रो ग्रुप में ईमली से कैंडी, जैम समेत विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ तैयार किए जा रहे हैं। इन उत्पादों की यूएसए के लोग बहुत पसंद कर रहे हैं और अमेरिका की फर्मों से इनकी भारी डिमांड आ रही है। इस उद्योग ने अपने ईमली प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट करना शुरू किया है। इसी कड़ी में उद्योग द्वारा दस टन ईमली उत्पादों की बड़ी खेप अमेरिका भेजी गई। ईमली उत्पादों से भरे ट्रकों को सांसद दीपक बैज और उनकी धर्मपत्नी पूनम बैज ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस दौरान सांसद दीपक बैज उनकी धर्मपत्नी पूनम बैज, सुपुत्र सूर्यांश बैज, उसरीबेड़ा के उप सरपंच केदार सिंह ढेक और फैक्ट्री के मैनेजर व कर्मचारी सहित अन्य लोग मौजूद थे।
बस्तर में आ रही है औद्योगिक क्रांति
जबसे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वनोपजों को अहमियत देना शुरू की है और गांवों में छोटे मंझोले उद्योगों की स्थापना के लिए कदम बढ़ाए हैं, बस्तर में औद्योगिक क्रांति की आहट सुनाई देने लगी है। मुख्यमंत्री बघेल ने रूरल इंडस्ट्रीयल पार्को ( रिपा ) की स्थापना आरंभ कराई है। इसके तहत बस्तर के लोहंडीगुड़ा, बकावंड समेत अनेक स्थानों पर उद्योग स्थापित किए गए हैं। ये उद्योग महिला स्व सहायता समूहों व निजी क्षेत्रों द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। इन सभी उद्योगों में स्थानीय आदिवासी पुरुषों, महिलाओं और युवाओं को भरपूर रोजगार मिल रहा है। महिला स्व सहायता समूह अपनी ईकाइयों में महुआ के लड्डू व अचार आदि बनाए जाते हैं। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी भी अपने जगदलपुर प्रवास के दौरान वनोपजों से तैयार उत्पादों की झलक देख चुकी हैं। वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ऐसे उत्पाद खरीद कर अपने साथ ले जा चुके हैं। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि बस्तर में औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात हो चुका है और यहां के जंगलों में उद्योगों के लिए भरपूर कच्चा माल उपलब्ध है।