बस्तर संभाग की सभी बारह सीटों पर कांग्रेस की पौ बारह

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  • मुख्यमंत्री के जनहितैषी कार्यों ने छोड़ी मतदाताओं के दिलों में छाप
  • सांसद दीपक बैज की कार्यशैली ने 6 सीटों पर कांग्रेस को दी मजबूती
  • चार सीटों पर कांग्रेस को बहाना पड़ेगा पसीना, तब राह होगी आसान

अर्जुन झा

जगदलपुर आदिवासी बहुल बस्तर संभाग की सभी बारह विधानसभा सीटों पर कांग्रेस की पौ बारह होने जा रही है। हालांकि चार सीटों पर स्थिति थोड़ी गड़बड़ है और जमकर पसीना बहाने के बाद अंततः कांग्रेस मजबूती हासिल कर लेगी। आसन्न विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्य, बस्तर सांसद दीपक बैज की उज्जवल छवि व कार्यशैली तथा छत्तीसगढ़िया वाद महत्वपूर्ण फैक्टर होंगे।बस्तर संभाग में कुल 12 विधानसभा सीटें हैं। यह संभाग दो हिस्सों उत्तर बस्तर और दक्षिण बस्तर में विभाजित है और दोनों हिस्सों में छह छह सीटें आती हैं। दक्षिण बस्तर की सभी छह सीटों में पार्टी आधारित कार्यक्रमों की जिम्मेदारी बस्तर के सांसद दीपक बैज को मिली हुई है। ये सीटें हैं कोंटा, जगदलपुर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, बस्तर और चित्रकोट। इन सभी विधानसभा क्षेत्रों में सांसद बैज की सक्रियता लगातार बनी हुई है। सभी विस क्षेत्रों में उनकी लोकप्रियता चरम पर है। अपनी निर्विवाद और उज्जवल छवि, उत्कृष्ट कार्यशैली और सहज सुलभता के दम पर श्री बैज ने इन सभी क्षेत्रों में कांग्रेस की पकड़ को और भी मजबूत बना दी है।. वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ठेठ छत्तीसगढ़िया छवि, उनकी सरकार की जनहितैषी योजनाओं, आदिवासी संस्कृति, पूजा पद्धति, उनके आस्था केंद्रों के संरक्षण संवर्धन के लिए छ्ग सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों के चलते भी बस्तर संभाग कांग्रेस के अभेद्य किला के रूप में तब्दील होता जा रहा है। मौजूदा समय में संभाग की सभी सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। एक प्रतिष्ठित एजेंसी के सर्वे के मुताबिक संभाग की सभी सीटों पर कांग्रेस की जीत के आसार नजर आ रहे हैं। हालांकि चार सीटों पर कांटे की टककर का अनुमान भी इस सर्वे में लगाया गया है, लेकिन अंततोगत्वा जीत कांग्रेस की होगी ऐसी संभावना भी जताई गई है।

जगदलपुर में रेखचंद जैन ही शूरमा

संभाग की बारह में से 11 विधानसभा सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। एकमात्र जगदलपुर सीट ही सामान्य वर्ग के लिए है। यहां भी कांग्रेस का कब्जा है और सर्वे में मौजूदा विधायक रेखचंद जैन की स्थिति बेहद मजबूत आंकी गई है। यानि रेखचंद जैन ही जगदलपुर के शूरमा साबित होंगे। इस सर्वे में बताया गया है कि रेखचंद जैन की लोकप्रियता का ग्राफ लगातार बढ़ता ही चला जा रहा है। वे जगदलपुर क्षेत्र की जनता से सतत संपर्क में रहते हैं, लोगों के हर सुख दुख में सहभागी बनते हैं, शासन की ओर से लोगों को ईलाज, शिक्षा, गरीबों को परिवार के भरण पोषण, स्वरोजगार स्थापना आदि के लिए आर्थिक मदद उपलब्ध कराने में वे जरा भी कंजूसी नहीं करते। संगठन के कार्यों में भी श्री जैन हमेशा अग्रणी भूमिका निभाते आ रहे हैं। यही वजह है कि उनके मुकाबले मुख्य विपक्षी दल भाजपा चाहे कितना भी दमदार चेहरा उतार ले, इस सीट पर जीत कांग्रेस की ही होगी। सर्वे में कहा गया कि भाजपा की ओर से पूरी ताकत झोंक दी जाने के बाद भी जगदलपुर से कांग्रेस पुनः रेखचंद जैन को उतरती है तो कांग्रेस की जीत 70 फीसदी तय है। मुख्यमंत्री अक्सर जगदलपुर आते रहते हैं। सांसद दीपक बैज भी यहां अक्सर सक्रिय रहते हैं। ये सारे फैक्टर कांग्रेस की स्थिति को और भी मजबूत बनाते हैं।

बस्तर की बिसात पर लखेश्वर का दम

बस्तर विधानसभा सीट पर भाजपा अगर अपना मोहरा बदल दे, तो भी कांग्रेस को हरा पाना भाजपा के बूते के बाहर होने की बात सर्वे में कही गई है। मौजूदा कांग्रेस विधायक लखेश्वर बघेल ने क्षेत्र में खूब नाम कमाया है। वे लगातार क्षेत्र के गांवों का दौरा करते रहते हैं। पिछले चुनाव में लखेश्वर बघेल ने भाजपा के सुभाऊ कश्यप को करारी शिकस्त दी थी। इस बार अगर बस्तर सीट पर भाजपा अपना मोहरा बदल देती है, तो भी यहां कांग्रेस की जीत 75 प्रतिशत तय मानी गई है।

चित्रकोट में चलता रहेगा राजमन का राज

चित्रकोट सीट पर वाटर फाल की धारा कांग्रेस के पक्ष में गीत गाती प्रतीत हो रही है। यहां कांग्रेस के राजमन बेंजाम विधायक हैं। पिछले चुनाव में उन्होंने भाजपा के लच्छूराम कश्यप को शिकस्त दी थी। सर्वे बताता है कि इस सीट पर अगले पांच साल तक भी राजमन बेंजाम और कांग्रेस का राज चलता रहेगा। यहां से राजमन को दोहराने पर कांग्रेस की जीत 65 प्रतिशत तय मानी गई है। भाजपा अगर यहां प्रत्याशी बदल देती है, तो कड़े मुकाबले के हालात जरूर बन सकते हैं, मगर जीत आखिरकार कांग्रेस की ही सुनिश्चित बताई गई है।

दंतेवाड़ा में रहेगी कांटे की टक्कर

बस्तर संभाग में दंतेवाड़ा सीट को सबसे अहम माना जाता है। इस सीट के विधायक रहे शहीद महेंद्र कर्मा ने दंतेवाड़ा को नई पहचान दिलाई है। परिवर्तन यात्रा के दौरान नक्सली हमले में बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा की शहादत के बाद कांग्रेस ने उनकी धर्मपत्नी देवती कर्मा को मैदान पर उतारा और उनकी जीत भी हुई। पिछले चुनाव में देवती कर्मा ने भाजपा की ओजस्वी मंडावी को हराया था। अब इस सीट पर हालात काफी बदल चुके हैं। यहां कांग्रेस से मुकाबले में अब भाजपा बराबरी पर आ चुकी है। इस बार यहां दोनों दलों के बीच कांटे की टक्कर की संभावना जताई गई है। माना जा रहा है कि इस बार के चुनाव में दोनों दल प्रत्याशी बदल सकते हैं।

बीजापुर में फूल छाप कांग्रेसी बिगाड़ रहे खेल

बीजापुर सीट पर शुरू से फूल छाप कांग्रेसी पार्टी का खेल बिगाड़ने में लगे हुए हैं। यहां कांग्रेस के विधायक से मनमुटाव रखने वाले कतिपय कांग्रेस नेता भाजपा के लिए राह आसान बनाने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। पिछले चुनाव में यहां से कांग्रेस के विक्रम मंडावी ने भाजपा के महेश गागड़ा को पराजित किया था। कांग्रेस अगर मंडावी को रिपिट करती है, तो यहां कांग्रेस की जीत 55 प्रतिशत तय मानी गई है। वहीं अगर भाजपा अपना प्रत्याशी बदल देगी तब कांटे की टक्कर के हालात बनने की संभावना सर्वे में जताई गई है।*बॉक्स**कोंटा में बोल रही है कवासी लखमा की तूती*बस्तर संभाग के सुकमा जिले की कोंटा विधानसभा सीट पर आज भी कांग्रेस पार्टी और उसके विधायक एवं केबिनेट मंत्री कवासी लखमा की तूती बोल रही है। लखमा दादी के सामने किसी और के टिके रहने की संभावना को सर्वे में सिरे से खारिज कर दिया गया है। लखमा इतने ज्यादा लोकप्रिय हो चले हैं कि अभी उनकी जीत की 85 प्रतिशत संभावना जताई गई है। यहां चर्चा है कि इस बार भाजपा नया प्रत्याशी उतार सकती है।

एक नजर उत्तर बस्तर की सीटों पर

उत्तर बस्तर की अंतागढ़ सीट पर कांग्रेस – भाजपा में बराबरी के मुकाबले का आकलन किया गया है। इस सीट पर पिछले चुनाव में कांग्रेस के अनूप नाग ने भाजपा के विक्रम उसेंडी को मामूली अंतर से हराया था। इस बार के चुनाव में दोनों दलों के बीच मुकाबला बेहद रोमांचक हो सकता है। भानुप्रतापपुर सीट के उप चुनाव कांग्रेस की सावित्री मंडावी ने भाजपा के ब्रम्हानंद नेताम को पराजित किया था। इस बार के चुनाव में अगर भाजपा देवलाल दुग्गा को उतारेगी, तो कांटे के मुकाबले के हालात बन सकते हैं, फिर भी जीत कांग्रेस के ही पाले में जाने की संभावना सर्वे में जताई गई है। कांकेर सीट पर प्रशासनिक सेवा से सियासत में आए शिशुपाल सोरी कांग्रेस के विधायक हैं। उन्होंने भाजपा के हीरा मरकाम को हराया था। इस बार यहां कांग्रेस – भाजपा के बीच कांटे के संघर्ष की उम्मीद जताई गई है। केशकाल सीट पर कांग्रेस के संतराम नेताम विधायक हैं। इस बार भी यहां से कांग्रेस की ही जीत की संभावना व्यक्त की गई है। अगर यहां भाजपा नीलकंठ टेकाम को उतारती है, तो कड़े मुकाबले के हालात बन सकते हैं कोंडागांव सीट उत्तर बस्तर की वीवीआईपी सीटों में शुमार है। यहां से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम विधायक हैं। उन्होंने भाजपा सरकार में मंत्री रही लता उसेंडी को शिकस्त दी थी। इस बार के चुनाव में भी मरकाम की जीत तय मानी जा रही है।

नारायणपुर में धर्मान्तरण मुद्दा नहीं

धर्मान्तरण को लेकर सुर्खियों में रही नारायणपुर विधानसभा सीट में धर्मान्तरण इस बार के चुनाव में प्रभावी मुद्दा नहीं रहेगा। हालांकि यहां धर्म परिवर्तन को लेकर आदिवासी समुदाय और मसीही समुदाय के लोगों के बीच गाहे बगाहे टकराव के हालात पैदा होते रहते हैं, बावजूद क्षेत्र के आदिवासी और अन्य समुदायों के ज्यादातर लोग कांग्रेस के पक्ष में एकजुट हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस के चंदन कश्यप भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व केबिनेट मंत्री केदार कश्यप को हराया था। इस बार यहां बराबरी का मुकाबला होने की संभावना जताई गई है।