दर्जनों फर्जी आदिवासी हथियाए बैठे हैं कोंटा क्षेत्र में सरकारी पद

0
382
  • राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग तक पहुंचा फर्जी जाति प्रमाण पत्र से सरकारी नौकरी पाने का मामला
  • फर्जीवाड़ा कर नौकरी पाने वालों पर गिर सकती है कार्रवाई की गाज 4

अर्जुन झा

जगदलपुर बस्तर संभाग के सुकमा जिले में बड़े पचासों गैर आदिवासियों ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर सरकारी नौकरियां हथिया ली हैं। जिला प्रशासन से लगातार शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। तब सतवम राजाराव नामक व्यक्ति ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में मामले की शिकायत की, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने आयोग के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए न तो मामले की जांच की और न ही आयोग को रिपोर्ट भेजी। सुकमा जिले में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी पाने वाले कोंटा क्षेत्र के 32 कर्मचारियों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। सूत्रों के मुताबिक आदिवासियों का फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर गैर आदिवासी समुदायों के दर्जनों लोगों ने विभिन्न शासकीय विभागों में नौकरी प्राप्त कर ली है। सुकमा जिले की कोंटा तहसील में ऐसे फर्जीवाड़ा के मामले ज्यादा हुए हैं। स्थानीय स्तर पर जाति प्रमाण पत्र मामले की जांच नहीं होने पर कोंटा तहसील के निवासी सतवम राजाराव ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग को शिकायत पत्र भेज निष्पक्ष जांच कराने की मांग की थी। सतवम राजाराव की शिकायत पर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने संज्ञान में लिया। आयोग के अनुसंधान अधिकारी एचआर मीणा ने 3 अप्रैल 2023 को सुकमा एवं दंतेवाड़ा कलेक्टर को पत्र जारी कर जांच कराने के निर्देश देते हुए 15 दिवस में जांच रिपोर्ट मांगी थी। चार माह बाद भी जांच रिपोर्ट आयोग भेजी नहीं सकी है। जबकि वर्ष 2011 में ही जाति प्रमाण पत्र फर्जी साबित हो गए थे। शिकायतकर्ता का दावा है कि कोंटा एसडीएम कार्यालय में पदस्थ रीडर भी फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे कुर्सी पर वर्षो से कब्जा जमाए बैठे रहे। कोयाकुटमा समाज के ब्लाक अध्यक्ष गणेश माड़वी ने पूर्व में मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर फर्जी जाति प्रमाण पत्र की जांच कराने की मांग की थी। ज्ञातव्य हो कि सुकमा जिले के कोंटा इलाके में फर्जी जाति प्रमाण के सहारे आदिवासियों के लिए 32 आरक्षित सरकारी पदों पर गैर आदिवासियों ने कब्जा जमा रखा है। फर्जी तरीके से नौकरी हासिल करने वालों में स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, पुलिस विभाग के कर्मचारी शामिल हैं। ऐसे लोगों की सर्वाधिक संख्या कोंटा तहसील में है। अब इनकी नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है।

आयोग ने कलेक्टर को भेजा पत्र

सुकमा जिले के कोंटा तहसील के इंजरम के ग्रामीण की शिकायत पर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने पत्र क्रमांक एनसीएसटी/डीईवी1520/सीजी/2/2023 दिनांक 3 अप्रैल 2023 को सुकमा एवं दंतेवाड़ा कलेक्टर को पत्र जारी कर फर्जी जाति प्रमाणपत्र मामले में जांच रिपोर्ट मांगी थी। खबर है कि 4 माह बाद भी फर्जी जाति प्रमाणपत्र मामले की जांच नहीं हो पाई है। आयोग को झूठी रिपोर्ट भेजे जाने की खबर है।

जाति प्रमाणपत्र पाए गए थे फर्जी

फर्जी जाति प्रमाणपत्र जारी करने में कोंटा तहसील सबसे आगे है। कोंटा क्षेत्र के ही अधिकांश लोगों न फर्जी जाति प्रमाणपत्र के सहारे सरकारी नौकरियां पाई हैं। जानकारी के अनुसार वर्ष 2010-11 में तत्कालिन जिला पंचायत सीईओ द्वारा मामले की जांच कराई गई थी। जांच में आधा दर्जन से अधिक कर्मचारियों के जाति प्रमाण पत्र फर्जी साबित होने के बाद उन सभी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया था। कुछ माह बाद ही जुगाड़ जमाकर सभी कर्मचारी अपने पदों पर वापस होने में कामयाब हो गए।*एसडीएम के रीडर भी जांच के दायरे में*फर्जी जाति प्रमाणपत्र के सहारे जिन 36 लोगों ने नौकरी पाई है उनमें कोंटा एसडीएम का रीडर भी शामिल है। इनके भी जाति प्रमाण पत्र का मामला जांच के दायरे में है। इसके साथ ही अनेक पार्षद, शिक्षक, भृत्य भी जांच के दायरे में हैं। खबर है इन कर्मचारियों की जाति मामले में अंतिम निर्णय लेने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है।

वर्सन

आयोग को भेज दी है रिपोर्ट*राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग से मिले पत्र के अनुसार कलेक्टर के आदेश पर 36 कर्मचारियों की जांच रिपोर्ट आयोग को भेजी गई है। सभी की अंक सूचियां, वंशावली, जाति प्रमाण पत्र की मूल प्रतियां भी आयोग को भेजी गई हैं।

गणेश सोरी सहायक आयुक्त, आदिम जाति कल्याण विभाग, सुकमा