- प्रदेश सरकार ने फर्जीवाड़े के खिलाफ अपनाया सख्त रुख
- दो व्याख्याताओं को संचालक लोक शिक्षण ने जारी किया नोटिस
अर्जुन झा
जगदलपुर फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए आरक्षित वर्गों की नौकरी हथियाए बैठे लोगों के खिलाफ सरकार ने तगड़ा एक्शन लेना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में संचालक लोक शिक्षण ने दो व्याख्याताओं को नोटिस जारी कर अपने कार्यालय में तलब किया है। इन दोनों की नौकरी जाने की पूरी संभावना है। आदिवासी बहुल बस्तर संभाग में फर्जीवाड़ा कर सरकारी नौकरियां हथियाने वालों की भरमार है। बाहरी लोग स्वयं को गोंड़, हल्बा, भतरा आदि जनजातियों का बताकर नौकरी हासिल कर चुके हैं। नकली वंशावली तैयार कराकर एवं पंच सरपंचों तथा प्रशासन में बैठे कर्मियों से सांठगांठ कर बाहरी युवाओं ने आदिवासी समुदाय की विभिन्न जातियों के फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवा लिए और उसी के दम पर नौकरियां हासिल कर ली हैं। बस्तर संभाग के सुकमा जिले की कोंटा तहसील में इस तरह के मामले बड़ी संख्या में सामने आए हैं। बस्तर जिले में भी पाचसों लोग फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर सरकारी नौकरियों पर कब्जा जमाए बैठे हैं। हाल ही में राजधानी रायपुर में अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के युवकों ने इस फर्जीवाड़ा के खिलाफ नग्न प्रदर्शन किया था। प्रदर्शन करने वालों में से अनेक युवकों की आपराधिक पृष्ठभूमि रही है। उनके खिलाफ बिलासपुर के थानों में संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं। इस नजरिए से उक्त युवक सरकारी नौकरी के लिए अपात्र हैं। लिहाजा उनके प्रदर्शन को प्रायोजित माना जा रहा है। फिर भी भूपेश बघेल सरकार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में सख्त कदम उठाना शुरू कर दिया है। सुकमा की कोंटा तहसील के मामलों में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने भी सख्त एक्शन लिया है। इधर राज्य सरकार की पहल पर विभिन्न विभागों के प्रमुख अधिकारियों ने अपने अपने विभागों में कार्यरत कर्मचारियों की कुंडली खंगालना शुरू कर दी है। इसी कड़ी में संचालक लोक शिक्षण ने बस्तर जिले की शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला बड़े मुरमा में कार्यरत एलबी संवर्ग व्याख्याता चंद्रकांत प्रसाद पिता रामसेवक प्रसाद और शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला कलचा में सेवारत एलबी संवर्ग की व्याख्याता कांति प्रसाद पिता स्व. मनन प्रसाद को नोटिस जारी कर 7अगस्त को अपने कार्यालय में अनिवार्य रूप से उपस्थित होने के लिए कहा है। इस दिन संचालक इन दोनों के मामलों की सुनवाई करेंगे। दोनों व्याख्याताओं के खिलाफ उसी दिन कोई कड़ा फैसला लिया जा सकता है।
दुर्ग और बस्तर में बने फर्जी जाति प्रमाण पत्र
फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले के तार बस्तर से दुर्ग तक जुड़े हुए हैं। संचालक लोक शिक्षण द्वारा दोनों व्याख्याताओं को जारी नोटिस में इस तथ्य की पुष्टि हुई है। चंद्रकांत प्रसाद ने 26 नवंबर 1984 को जिला संयोजक आदिम जाति कल्याण से तथा 7 फरवरी 2004 को अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय जगदलपुर से गोंड़ जनजाति का जाति प्रमाण पत्र हासिल किया था। इसी तरह व्याख्याता कांति प्रसाद ने 20 जून 2001 को अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय से गोंड़ जनजाति का जाति प्रमाण पत्र बनवाया था। इन दोनों के जाति प्रमाण पत्र को उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति आदिम जाति कल्याण विभाग जगदलपुर ने विधि सम्मत न पाते हुए दोनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए संचालक लोक शिक्षण को पत्र लिखा था। इसी आधार पर संचालक लोक शिक्षण ने कार्रवाई की तैयारी कर ली है। दोनों व्याख्याताओं को नौकरी से तो हाथ धोना ही पड़ सकता है, जेल और रिकवरी की कार्रवाई का भी सामना करना पड़ सकता है।