आज दिनांक 11-09-2023 को सांसद प्रतिनिधि मुश्ताक अहमद ने क्षेत्र के सांसद मोहन मंडावी को ज्ञापन सौंपकर डी.ए.व्ही. स्कूल प्रबंधन एवं बी.एस.पी. प्रबंधन द्वारा बच्चों से दबाव पूर्वक फीस जमा करने के लिए मानसिक रूप से प्रताड़ित करने तथा प्रवेश पत्र प्रदान नहीं करने व परीक्षा से वंचित रखने की शिकायत एवं त्वरित कार्यवाही करने का आग्रह किया और उन्हें इस ज्ञापन के माध्यम से बताया कि डी.ए.व्ही. स्कूल प्रबंधन द्वारा आज दिनांक 11.09.2023 को
नैतिकता की सारी सीमायें लांघते हुए छोटे छोटे बच्चों को फीस जमा करने के लिए मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया और बच्चों से जबरन दबाव पूर्वक उनसे आवेदन लिखाया गया कि अगर बच्चों के द्वारा परीक्षा से पूर्व फीस जमा नहीं किया गया तो उन्हे परीक्षा में बैठने नहीं दिया जायेगा। स्कूल प्रबंधन के इस प्रकार के रवैये से बच्चों में
काफी दशहत का महौल है, अब बच्चे स्कूल जाने से भी डर रहे हैं, क्योंकि इन बच्चों को अन्य बच्चों के सामने डी.ए.व्ही. स्कूल प्रबंधन द्वारा नीचा दिखाया गया।सोचनीय विषय यह है कि हम स्कूल को शिक्षा का मंदिर कहते हैं, जहाँ बच्चों को स्कूली शिक्षा के अलावा नैतिकता का भी पाठ पढ़ाया जाता है। लेकिन आज डी.ए.व्ही. स्कूल प्रबंधन एवं बी.एस.पी. प्रबंधन ने नैतिकता की सारी सीमायें लांघ दी और बच्चों से जिस तरह फीस जमा करने के लिए दबाव डालकर लिखित आवेदन लिखवाया गया उससे बच्चों में काफी डर का माहौल है। जबकि फीस के संबंध मे डी.ए.व्ही. स्कूल प्रबंधन को पालकों से चर्चा करनी चाहिए ओर लिखित पत्राचार करना चाहिए। किन्तु बच्चों को मानसिक रूप से डरा कर डी.ए.व्ही. स्कूल प्रबंधन व बी.एस.पी. प्रबंधन अपनी निम्न सोच की मानसिकता का परिचय दे रहा है। डी.ए.व्ही. स्कूल प्रबंधन द्वारा बच्चों फीस के लिए लिखाये गये इस आवेदन का उनकी मानसिकता पर कितना असर हुआ है यह तो आने वाले समय में पता चलेगा, मगर आगामी बुधवार से आरम्भ होने वाली परीक्षा में बच्चे किस मानसिकता के साथ शामिल होंगे यह चिन्ता का विषय है। और डी.ए.व्ही. स्कूल प्रबंधन द्वारा बच्चों को
फीस के लिए जिस प्रकार डर का माहौल बनाया गया है, उससे यदि कोई बच्चा डर के कारण कोई गलत कदम उठा लेता है तो उसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी डी.ए.व्ही. स्कूल प्रबंधन
एवं बी.एस.पी. प्रबंधन की होगी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि डी.ए.व्ही. स्कूल प्रबंधन एवं बी.एस.पी. प्रबंधन द्वारा फीस के लिए जिस प्रकार की तत्परता दिखाई जा रही है, वैसी ही तत्परता पढ़ाई को लेकर नहीं दिखाया जा रहा है। बच्चों को घर से पढ़कर आने व नोट्स बनाकर लाने को कहा जाता है। जबकि बच्चा स्कूल में पढ़ने जाता है लेकिन वहाँ पढ़ाया नहीं जाता, स्कूल में प्रश्नों के उत्तर नहीं लिखाये जाते, बच्चों को इंटरनेट के माध्यम से प्रश्नों के उत्तर
दुढ़ने के लिए कहा जाता है, और उन्हें मोबाईल पर लिंक भेजा जाता है। जबकि 8वीं 9वीं
कक्षा का बच्चा जो अपनी शारीरिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा होता है उसे पालको द्वारा मोबाईल से दूर रखने का प्रयास किया जाता है, किन्तु स्कूल प्रबंधन अपनी जिम्मेदारी से भाग कर बच्चों को मोबाईल का लत लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ऐसा लग रहा है
कि डी.ए.व्ही. स्कूल प्रबंधन केरौना काल की ऑन लाईन पढ़ाई से नहीं उबर पाया है। और स्कूल प्रबंधन द्वारा बच्चों को मोबाईल में बच्चों को नोट्स भेजा जाता है जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है।
मुश्ताक अहमद ने सांसद मोहन मंडावी को बताया कि बी.एस.पी. प्रबंधन एवं स्थानीय प्रशासन और जिला शिक्षा विभाग को भी ज्ञापन सौंपा गया है और ईस जिला शिक्षा अधिकारी से बालोद में कार्यलय में पहुंच कर उनसे भी ईस विषय पर चर्चा हुई और जिला शिक्षा अधिकारी ने विषय की गंभीरता को देखते हुए तत्काल ईसपर जांच करवाने के लिए टीम गठित कर दी है। साथ ही सभी जिम्मेदार विभाग से आग्रह किया गया है कि इस पर अविलम्ब एक बैठक बुलायी जाये तथा समस्त समस्याओं का तत्काल समाधान किया जाये और इसमें जो भी दोषी हो उन पर सख्त कार्यवाही की जाये। साथ ही डी.ए.व्ही. स्कूल प्रबंधन को निर्देशित किया जाये कि सभी
बच्चों को परीक्षा से पूर्व प्रवेश पत्र प्रदान किया जाये। जिस पर सांसद मोहन मंडावी ने कहा कि बीएसपी प्रबंधन की जिम्मेदारी है कि क्षेत्र के गरीब , किसान, आदिवासी और स्थानीय बच्चों को मुफ्त में शिक्षा प्रदान करें और साथ ही उनको मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध कराये किंतु ऐसा लगता है कि बीएसपी प्रबंधन अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ कर सिर्फ खदान में खनन और अधिक से अधिक उत्पादन करने में लगीं हैं और क्षेत्र का शोषण करने में लगीं हैं जोकि निंदनीय है साथ सांसद मोहन मंडावी ने बीएसपी प्रबंधन को दूरभाष से निर्देशित किया है कि सबसे पहले सभी बच्चों को तत्काल प्रवेश पत्र परीक्षा के पूर्व वितरित करें और ईस बात को भी अपने उच्च अधिकारियों से चर्चा कर सुनिश्चित करें कि डीएवी स्कूल में पढ़ रहे सभी ठेका श्रमिकों और गैर बीएसपी बच्चों को मुफ्त में शिक्षा प्रदान करें जैसे पूर्व में बीएसपी प्रबंधन स्वयं के द्वारा संचालित स्कूलों में करती आ रही थी।