चित्रकोट से उतरे बैज तो सध जाएंगी कई सीट

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बस्तर में भाजपा की सेंधमारी रोकने कांग्रेस करे तैयारी

(अर्जुन झा)

जगदलपुर छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी हैं। भाजपा ने रणभूमि में अपने योद्धा उतार दिए हैं। कांग्रेस की सेना के सिपहसालार अभी परदे के पीछे हैं। आखिरी दौर चल रहा है। जल्द ही कांग्रेस के रणबांकुरों के नाम उजागर हो सकते हैं। यहां बस्तर संभाग की बारह सीटों की बात करें तो इस बार पिछले चुनाव की तरह इकतरफा मुकाबला नहीं है। भाजपा ने उम्मीदवारों के ऐलान में बढ़त बना ली है लेकिन कांग्रेस चाहे तो वह इसका रणनीतिक इस्तेमाल कर बेहतर उम्मीदवार पेश कर सकती है। भाजपा इस बार जोश के साथ मैदान में है और वह कांग्रेस के इस गढ़ में सेंधमारी के लिए सियासी चक्रव्यूह की रचना कर चुकी है। इस चक्रव्यूह को तोड़ने में बस्तर में केवल एक ही सियासी योद्धा कांग्रेस के पास है जो कांग्रेस संगठन के सेनापति हैं। बस्तर के सांसद हैं और बस्तर के चित्रकोट से दो बार विधायक रह चुके हैं। भाजपा ने पिछली बार पराजित अपने कई दिग्गजों के साथ नए- पुराने चेहरे उतार कर अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं। भाजपा की पूरे छत्तीसगढ़ के लिए जो रणनीति तैयार की है, उसे देखते हुए यह राजनीतिक जरूरत जान पड़ रही है कि कांग्रेस उसी की शैली में जवाब दे। भाजपा ने अपने प्रदेश अध्यक्ष सांसद अरुण साव को उनके लोकसभा क्षेत्र बिलासपुर के लोरमी से विधानसभा चुनाव के मैदान में उतारकर बिलासपुर संभाग में अपनी जमीन मजबूत करने की कोशिश की है। इसी तर्ज पर बस्तर की अपेक्षा ही नहीं, बल्कि कांग्रेस की जरूरत है कि अपने अध्यक्ष और बस्तर सांसद दीपक बैज को बस्तर संभाग मुख्यालय की ऐसी सीट से मैदान में उतारे, जहां से जगदलपुर और नारायणपुर जिले की कई सीटों पर बढ़त हासिल की जा सके। इस लिहाज से कांग्रेस के प्रदेश कमांडर सांसद दीपक बैज के लिए चित्रकोट सीट सबसे मुफीद है। यह उनके संसदीय निर्वाचन क्षेत्र की सीट है और वे इस सीट से दो बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में बस्तर फतह करने के बाद उन्होंने यह सीट रिक्त की थी, जो अब भी कांग्रेस के पास है। अव्वल तो चित्रकोट सीट प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बैज की गृहक्षेत्र है। अगर कांग्रेस अपने अध्यक्ष के घर में कमजोर हुई तो आसपास की चार सीटों पर इसका सीधा असर पड़ेगा। आमतौर पर यह माना जा रहा है कि कांग्रेस को यह सीट बचाने के लिए प्रत्याशी बदलने की दरकार है ताकि केंद्रबिंदु की यह सीट कांग्रेस के पास सुरक्षित रहे और लगी हुई सीटों पर भी भाजपा सेंधमारी न कर सके। यहां कांग्रेस को भाजपा की इस रणनीति पर गौर करना चाहिए कि कांग्रेस सरकार के वरिष्ठ मंत्री रवींद्र चौबे को दुर्ग संभाग की साजा सीट पर घेरने के लिए भाजपा ने उन्मादी हिंसा में मारे गए भुवनेश्वर साहू के पिता ईश्वर साहू को प्रत्याशी घोषित किया है। इसका असर दुर्ग जिले से लेकर बेमेतरा और कवर्धा तक जाने की उम्मीद भाजपा को है। कवर्धा से भाजपा ने अपने एक प्रदेश महामंत्री विजय शर्मा को ध्वजवाहक बनाया है, जहां से अभी वरिष्ठ मंत्री मो. अकबर नुमाइंदगी कर रहे हैं। भाजपा ने कवर्धा और बिरनपुर के भूकंप के केंद्रबिंदु पर फोकस किया है। बस्तर में यह केंद्रबिंदु तोकापाल है जो चित्रकोट विधानसभा में आता है। पिछले समय में धर्मांतरण को लेकर नारायणपुर में जो कुछ हुआ, उसका सियासी फायदा उठाने के लिए भाजपा एक पैर पर खड़ी है। भाजपा ने अपने एक और प्रदेश महामंत्री और पूर्व वरिष्ठ मंत्री केदार कश्यप को फिर अखाड़े में उतार दिया है। ऐसे में कांग्रेस को नारायणपुर में भी कड़ी टक्कर के लिए तैयार रहना होगा। चित्रकोट सीट का प्रभाव बस्तर से लेकर नारायणपुर तक है। ऐसे में यदि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज को यहां से समर में उतार दिया गया तो कांग्रेस फायदे में रहेगी। वैसे भी यदि चित्रकोट में कांग्रेस ने सावधानी नहीं बरती और प्रतिकूल परिणाम आए तो इससे कांग्रेस की भद्द पिटेगी। इसलिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बैज के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वे स्वयं रणभूमि में उतरें और भाजपा के चक्रव्यूह को ध्वस्त करें।