(अर्जुन झा)
रायपुर छत्तीसगढ़ की भाजपा राजनीति को सिरे चढ़ाने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ साथ यूपी वाले बाबा और असम वाले बिस्वसरमा मैदान में उतरे हैं। दो राज्यों के मुख्यमंत्री व महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री के अलावा जब देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और रक्षामंत्री सहित पूरी भाजपा और उसकी केंद्र सरकार को छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के मुकाबले उतरना पड़े तो समझा जा सकता है कि मुकाबला कितना तगड़ा है और कांग्रेस कितनी मजबूत है। यहां भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व एक साल से पश्चिम बंगाल की तर्ज पर सक्रिय है। भाजपा के नेता कहते भी हैं कि भूपेश बघेल ममता बनर्जी की कार्बन कॉपी हैं। यह तो सबको पता है कि पश्चिम बंगाल में ममता के सामने भाजपा टिक नहीं पाई। यहां छत्तीसगढ़ में तो भूपेश बघेल इतने मजबूत हैं कि जितनी ममता बनर्जी अपने राज्य में नहीं हैं। मतलब साफ है कि भाजपा को चट्टान से टकराना है। सारे जतन किए जा चुके हैं।अब भाजपा महादेव ऐप की शरण में है। इसके पहले कर्नाटक में हनुमानजी की शरण चाहती थी, जो नहीं मिली। अब प्रधानमंत्री मोदी से लेकर महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस तक हर कोई महादेव ऐप का घंटा बजा रहा है। महादेव इससे प्रसन्न होंगे या नाराज, वे ही जानें। कहते हैं कि चुनाव में जनता ही जनार्दन होती है तो भाजपा की इस महादेव ऐप भक्ति से वह कितनी प्रभावित है या अप्रभावित, इसका फैसला 3 दिसंबर को आ जाएगा। वैसे जिस कांग्रेस पर भाजपा तुष्टिकरण का आरोप लगा रही है, वह कांग्रेस उस पर साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की तोहमत लगा रही है। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा राजनीति में भगवान राम और बजरंगबली के नाम से स्वार्थ सिद्ध करने की फिराक में रहती है तो भाजपा का कहना है कि हिंदू वोट बैंक के लिए राहुल गांधी शिवभक्त बन जाते हैं, जनेऊधारी ब्राम्हण बन जाते हैं। कांग्रेस का जवाब होता है कि प्रधानमंत्री मोदी मस्जिद पहुंच जाते हैं। बात तुष्टिकरण की हो अथवा संतुष्टिकरण की, धर्मांतरण की हो या धर्मावतरण की, राजनीति अपनी लीक पर चलती रहेगी। कर्नाटक चुनाव में भगवान राम और हनुमानजी का आशीर्वाद भाजपा को नहीं मिला। अब छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में चुनाव हैं। इन तीनों ही राज्यों में धार्मिक अनुष्ठान काफी मायने रखते हैं। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार ने राष्ट्रीय रामायण महोत्सव कराकर भाजपा की धड़कन तेज कर दी थी। भाजपा के रणनीतिकारों ने इस बार भोलेनाथ की शरण लेने का टास्क अपने विस्तारकों के जरिये कार्यकर्ताओं तथा विचार परिवार के लोगों को दिया था। दो माह के सावन मास में भाजपा के विचार परिवार ने खूब प्रयास किया। यहां की राजनीति में महादेव शिव शंकर की एंट्री बड़ी धूमधाम से हुई। छत्तीसगढ़ के सभी शिव मंदिर , पुजारी और शिवालयों से जुड़ी समितियों के सदस्यों की सूची तैयार कर उनके बीच पहुंचा गया। भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करने की योजना शायद परवान नहीं चढ़ी तो अब भाजपा भोलेनाथ को छोड़कर महादेव ऐप की सियासी वंदना कर रही है। कांग्रेस इसका करारा जवाब दे रही है। केंद्रीय एजेंसी ईडी महादेव ऐप को लेकर धमाके कर रही है तो कांग्रेस ने भी ठान रखा है कि ईडी और भाजपा के गठजोड़ को जनता के बीच ले जाएंगे। कांग्रेस कह रही है कि जिसने महादेव ऐप के खिलाफ कार्रवाई की, उस पर ही आरोप लगाया जाना लोकप्रिय सरकार को बदनाम करने की साजिश है। अब छत्तीसगढ़ की राजनीति में महादेव का न सही, महादेव ऐप का डंका बज रहा है।