भरोसे के ‘वचन’ ने भी जीत लिया बस्तरवासियों का भरोसा

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  •  कांग्रेस के घोषणा पत्र ने बदलकर रख दिया बस्तर संभाग का चुनावी मिजाज
  • कांग्रेस -भाजपा के घोषणा पत्रों की तुलना कर रहे लोग

अर्जुन झा

जगदलपुर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तो छत्तीसगढ़ की जनता का विश्वास अर्जित कर ही चुके हैं, कांग्रेस के बीस ‘वचन’ ने भी बस्तरवासियों का भरोसा जीत लिया है। कांग्रेस के भरोसे का घोषणा पत्र आम होने के बाद बस्तर संभाग का चुनावी मिजाज बदल गया है। लोग भाजपा और कांग्रेस के घोषणा पत्रों की विवेचना करते हुए कांग्रेस को 100 में से पूरे 100 नंबर दे रहे हैं, तो भाजपा को 95 नंबर।

भाजपा का घोषणा पत्र आने के एक दिन बाद कांग्रेस ने रविवार को अपना भरोसे का घोषणा पत्र जारी किया। बस्तर संभाग के जगदलपुर मुख्यालय में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं बस्तर लोकसभा क्षेत्र के सांसद दीपक बैज ने यह घोषणा पत्र जनता के सामने रखा। इस दौरान वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं निवर्तमान विधायक रेखचंद जैन, प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री मलकीत सिंह गैदू, महापौर सफीरा साहू, शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुशील मौर्य, ग्रामीण जिला कांग्रेस अध्यक्ष बलराम मौर्य एवं अन्य नेता उपस्थित थे। कांग्रेस के घोषणा पत्र में कुल बीस वादे किए गए हैं। कांग्रेस के इन बीस वचनों ने पूरे छत्तीसगढ़ में चुनावी हवा और सियासी मिजाज का रुख बदलकर रख दिया है। भाजपा द्वारा एक दिन पहले जारी घोषणा पत्र ने कांग्रेस को हिलाकर रख दिया था, लेकिन रातों रात कांग्रेस ने भाजपा की योजना पर पानी फेर दिया। कांग्रेस ने तुरुप का ऐसा पत्ता फेंका कि भाजपा के सारे वादे हवा हो गए। किसानों के लिए कर्जमाफी, 32 सौ रु. प्रति क्विंटल की दर से और प्रति एकड़ 20 क्विंटल के मान से धान की खरीदी, 200 यूनिट फ्री बिजली, केजी से पोस्ट ग्रेजुएशन तक निशुल्क शिक्षा, साढ़े सत्रह लाख गरीब परिवारों को मुफ्त आवास, भूमिहीनों को सालाना दस हजार रु. देने, गैस सिलेंडर पर 500 रु. की सब्सिडी, 10 लाख रु. तक मुफ्त इलाज जैसे वादे कांग्रेस के मास्टर स्ट्रोक हैं। इन वचनों का असर पूरे छत्तीसगढ़ में पड़ेगा, यह तय है। भाजपा ने 31 सौ रु. प्रति क्विंटल के भाव से धान खरीदने का वादा किया है। कांग्रेस ने 100 रु. बढ़ाकर बड़ा खेल खेला है। इस 3200 रु. में धान की वह अंतर राशि भी शामिल है, जिसे भूपेश बघेल सरकार राजीव गांधी किसान न्याय योजना के नाम पर किसानों को देती आई है। 6 नवंबर को समाचार पत्रों में कांग्रेस की घोषणाओं की खबर प्रकाशित होने के बाद समूचे बस्तर संभाग में लोग हर घोषणा का विश्लेषण करते नजर आए। शहरी और ग्रामीण नागरिक भी भाजपा और कांग्रेस के घोषणा पत्रों की तुलना करते रहे। इसके बाद लोगों की जो प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं, उनका लब्बो लुआब यही है कि कांग्रेस के बीस वचनों ने जनता का भरोसा जीत लिया है। ऐसा नहीं है कि लोग सिर्फ कांग्रेस के ही घोषणा पत्र से प्रभावित हैं, भाजपा के घोषणा पत्र को भी वे सिरे से नकार नहीं रहे हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि लोग कांग्रेस को 100 में से पूरे 100 अंक दे रहे हैं, तो भाजपा को 95 अंक। भाजपा के संकल्प पत्र ने मतदाताओं को खासा आकर्षित कर लिया था, लेकिन कांग्रेस का घोषणा पत्र आने के बाद सियासी फिजा ही बदल गई, लोगों का मूड बदल गया और हवा के झोंके कांग्रेस की ओर रुख करते दिख रहे हैं।

बस्तर के लिए अहम हैं ये मुद्दे

कांग्रेस के घोषणा पत्र में बस्तर के लोगों के हितों से जुड़े चार -पांच अहम मुद्दे भी शामिल हैं। किसानों के कर्ज की माफी, धान की अच्छी कीमत, तेंदूपत्ता की 6 हजार रु. मानक बोरा की दर पर खरीदी एवं हर तेंदूपत्ता श्रमिक को सालाना चार हजार रुपए का बोनस देने, कोदो, कुटकी, रागी एवं वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी के साथ ही प्रति किलो दस रुपए की अतिरिक्त राशि देने, रीपा केंद्रों की संख्या बढ़ाने, भूमिहीन मजदूरों को सालाना दस हजार रुपए देने, परिवहन व्यवसायियों का कर्जा और टैक्स माफ करने महिला स्व सहायता समूहों का कर्ज माफ करने के कांग्रेसी वचन ने बस्तर के लोगों का दिल जीत लिया है। उल्लेखनीय है कि बस्तर के किसानों और आदिवासियों की आजीविका धान, कोदो, कुटकी, रागी, मक्का आदि की खेती के साथ ही वनोपजों के संग्रहण एवं विक्रय तथा तेंदूपत्ता के भरोसे चलती है। इसके आलावा बस्तर में परिवहन व्यवसायी भी बहुतायत में हैं। बस्तर परिवहन संघ एशिया का बड़ा परिवहन संगठन है। परिवहन व्यवसायी बैकों, फायनेंस कंपनियों व बड़े सेठ साहूकारों से कर्ज लेकर गाड़ियां खरीदते हैं और अपना कारोबार चलाते हैं। इस कर्ज पर उन्हें भारी भरकम ब्याज देना पड़ता है। इसके अलावा उन्हें तरह तरह के टैक्स भी भरने पड़ते हैं।कांग्रेस के घोषणा पत्र में इन सभी को अपना हित नजर आ रहा है।

लाखड़ी की खेती को मिलेगा बढ़ावा

कांग्रेस के बीस वचनों में एक वचन है तिवरा यानि लाखड़ी की भी खरीदी समर्थन मूल्य पर खरीदी करने का। अगर कांग्रेस फिर से सत्ता में आई तो, उसकी सरकार धान, मक्का, कोदो, कुटकी, रागी और ईमली, महुआ एवं अन्य वनोपजों के साथ ही तिवरा की भी खरीदी समर्थन मूल्य पर करेगी। सालों पहले छत्तीसगढ़ में लाखड़ी की खेती बड़े पैमाने पर की जाती थी। धान के खेतों में धान फसल की कटाई के पूर्व लाखड़ी के बीज डाल दिए जाते थे। लाखड़ी की फसल कुछ माह में ही तैयार हो जाती थी। लाखड़ी की दाल छत्तीसगढ़ के किसानों और गरीब तबके के लोगों की भोजन श्रृंखला में शामिल रहा करती थी। वहीं लाखड़ी फसल का अवशेष मवेशियों के चारे का काम आता था। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा लाखड़ी को पोलियो का कारक बता दिए जाने के बाद भारत में इसकी खेती बंद सी हो गई। अब छत्तीसगढ़ में फिर से लाखड़ी का उत्पादन बढ़ेगा।