महादेव’ के प्रकोप के बीच महाकाल की शरण में बड़े कांग्रेस नेता

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  • प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज, कवासी लखमा और लखेश्वर बघेल पहुंचे उज्जैन
  • छत्तीसगढ़ में सुख शांति के लिए किया अनुष्ठान

अर्जुन झा
जगदलपुर छत्तीसगढ़ में लंबे अरसे से ‘महादेव’ का प्रकोप छाया हुआ है। इस प्रकोप की जद में कांग्रेस के कई बड़े नेता भी आ गए हैं और इसकी तपन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक भी पहुंचने लगी है। ‘महादेव’ के इस प्रकोप के बीच छत्तीसगढ़ के कई दिग्गज नेता महाकाल की शरण में पहुंच गए हैं और ‘शांति’ के लिए अनुष्ठान कर रहे हैं। राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा के लोग इस मुद्दे पर चटखारे ले लेकर किस्सागोई करने में लग गए हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य में सियासी तूफान लाने वाला यह प्रकोप असल महादेव ने नहीं, बल्कि महादेव ऑनलाइन सट्टा एप ने फैलाया है। महादेव एप की आड़ में इंफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) की टीम चुन चुनकर कांग्रेस नेताओं को निशाना बना रही है। ईडी की कार्रवाई की जद में कांग्रेस के कई बड़े नेता, कुछ आईपीएस अफसर, एक सिपाही व जनप्रतिनिधि आ चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, असम के मुख्यमंत्री हिमंता विश्वशर्मा, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमनसिंह समेत भाजपा के तमाम बड़े नेताओं ने महादेव एप को बड़ा मुद्दा बनाने में जरा भी देरी नहीं की। हालिया निपटे छत्तीसगढ़ विधानसभा के दो चरणों के चुनावों की जंग में भाजपा ने महादेव एप वाले मुद्दे को सियासी हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तो सीधे तौर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर भी उंगली उठा दी। प्रधानमंत्री कई चुनावी सभाओं में बोलते रहे कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और उनके साथियों ने रकम उगाही के लिए महादेव के नाम को भी नहीं बख्शा। प्रधानमंत्री का इशारा भगवान महादेव की ओर था, जबकि ऑनलाइन सट्टे का कारोबार करने वालों ने अपने सट्टा एप का नाम महादेव एप रखा है। ठीक उसी तरह जिस तरह किसी घर में नवजात बच्चे का नामकरण गणेश, लंबोदर, रामचंद्र, सीताराम, विष्णु, ब्रम्हा, रामलाल, पुरुषोत्तम, शंकर, महादेव, नीलकंठ, महेश, भोला, पशुपति, सीता, लक्ष्मी, पार्वती, सरस्वती, दुर्गा आदि देवी देवताओं के नाम पर किया जाता है। यह भारत देश की प्राचीन परंपरा भी है। इसके पीछे मान्यता यह है कि देवी देवताओं के नाम पर नामकरण से संबंधित व्यक्ति या संस्थान खूब उन्नति करता है और विघ्न बाधाओं से सुरक्षित रहता है। ये अलग बात है कि ऑनलाइन सट्टा एप का नाम महादेव रखने पर भी इस एप के कर्ताधर्ता ईडी की वक्रदृष्टि ने बच नहीं पाए। महादेव एप का असल संचालक सौरभ चंद्राकर अभी भी ईडी की पहुंच से दूर दुबई में मौज मस्ती कर रहा है। चूंकि चंद्राकर और बघेल एक ही सामाजिक बिरादरी कुर्मी समुदाय के हैं, इसलिए भाजपा ने सौरभ चंद्राकर के काले कारोबार में बघेल को भी लपेटने की कोशिश की है। ठीक उसी तरह जैसे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरनेम वालों पर सवाल उठाया था। उस दौरान भाजपा शासित कई प्रदेशों में राहुल गांधी के खिलाफ अनेक मुकदमे दर्ज करवा दिए गए थे। ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि क्या पिछड़ा वर्ग के लोग भी भाजपा नेताओं के खिलाफ मुकदमे दर्ज कराने आगे आएंगे? विधानसभा चुनावों में महादेव एप की आड़ लेकर कांग्रेस और भूपेश बघेल को बड़ी राजनैतिक क्षति पहुंचाने की कोशिश की गई। राज्य के मतदाताओं ने सोच समझकर और उच्च विवेक से काम लिया। प्रदेश सरकार के कामकाज का मूल्यांकन करते हुए मतदान किया है। 3 दिसंबर की शाम तक दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

तीन बड़े नेता देवों की शरण में
महादेव एप को लेकर छत्तीसगढ़ में मचे सियासी तूफान और ईडी की छापेमारी के बीच राज्य के तीन बड़े नेता महाकाल की शरण में पहुंच गए। ये नेता हैं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं बस्तर लोकसभा क्षेत्र के सांसद दीपक बैज, निवर्तमान आबकारी एवं उद्योग मंत्री कवासी लखमा तथा बस्तर विधायक एवं बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल। सबसे पहले कवासी लखमा अपनी धर्मपत्नी के साथ उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर पहुंचे। वहां उन्होंने महाकाल की पूजा अर्चना की। उनके बाद पीसीसी चीफ और सांसद दीपक बैज अपनी अर्धांगिनी पूनम बैज एवं पुत्र सूर्यांश के साथ महाकाल लोक पहुंचे और वहां ज्योतिर्लिंग की पूजा आराधना की। फिर बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल भी उज्जयनी नगरी जा धमके। बघेल ने भी वहां देवपूजन किया। इन तीनों नेताओं ने भगवान महाकाल से छत्तीसगढ़ की तरक्की, खुशहाली, सुख शांति के लिए प्रार्थना की। कवासी लखमा महाकाल के दर्शन पूजन के बाद मध्यप्रदेश के ही ओंकारेश्वर धाम भी गए।

निकाले जा रहे सियासी मायने
प्रदेश कांग्रेस प्रमुख व सांसद दीपक बैज, मंत्री कवासी लखमा व निवर्तमान विधायक लखेश्वर बघेल की इस पवित्र तीर्थयात्रा के भी अब सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। भाजपा के कुछ नेता इस देव आराधना को राजनीतिक रंग देने की कोशिश में लग गए हैं। वे प्रचारित कर रहे हैं कि बस्तर के तीनों नेता कांग्रेस का पाप धोने के लिए तीर्थयात्रा पर गए हैं। देवों के देव महादेव के रूप में जग प्रसिद्ध भगवान भोलेनाथ हर संकट को हर लेते हैं। उनके ज्योतिर्लिंग के दर्शन पूजन से जीवन में सुख समृद्धि आती है, मन को शांति मिलती है। भाजपा के नेता कहते फिर रहे हैं कि महादेव एप के पाप से अपनी पार्टी और अपने नेता को मुक्ति दिलाने के लिए बस्तर के तीनों बड़े नेता देवाधि देव महादेव की शरण में पहुंचे हैं। भाजपाइयों के इस दुष्प्रचार को बस्तर के आदिवासी भलिभांति समझ रहे हैं। आदिवासी भगवान शंकर के उपासक होते हैं। वे भोलेनाथ का पूजन बड़ा देव और बूढ़ादेव के रूप में करते हैं। दीपक बैज, कवासी लखमा और लखेश्वर बघेल भी आदिवासी हैं। वे अपने आराध्य की आराधना करने गए हैं।

चुनावी झंझावातों से सुकून के लिए
विधानसभा चुनावों में दीपक बैज बस्तर जिले की चित्रकोट सीट से, कवासी लखमा सुकमा जिले की कोंटा सीट से और लखेश्वर बघेल बस्तर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी रहे हैं। तीनों ही नेता बीते दो ढाई माह से चुनावी झंझावातों में उलझे रहे हैं। इस दौरान उनका चैन से खाना पीना, उठना बैठना, सोना सब हराम हो गया था। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष होने के नाते दीपक बैज की चुनावी व्यस्तता कुछ ज्यादा ही रही। लिहाजा चुनाव के चक्कर में इन नेताओं में मानसिक और शारीरिक थकान आना लाजिमी है। इन नेताओं के करीबी सूत्र बताते हैं कि चुनावी झंझावातों से मुक्त होने के बाद फुरसत मिलते ही आदिवासी नेता दीपक बैज, कवासी लखमा और लखेश्वर बघेल अपने इष्टदेव भोले भंडारी के दर्शन के लिए निकले हैं। महादेव एप से उनके महाकाल दर्शन का कोई कनेक्शन नहीं है। वे तो बस्तर और छत्तीसगढ़ में सुख शांति की स्थापना की कामना के साथ तीर्थयात्रा पर निकले हैं। जल्द लौटकर तीनों नेता अपने रूटीन के कामकाज में फिर लग जाएंगे।