- वसूला जा रहा है मोटा शुल्क, नहीं होती सफाई
- तीरथगढ़ टूरिस्ट स्पॉट में उगाही व बदहली का खेल
अर्जुन झा
जगदलपुर बस्तर की हसीन वादियां अपने आप में खूबसूरत नजारे, कुदरत की बेमिसाल नेमतें और पर्यावरण की अनुपम छटा समेटी हुई हैं। अब इन सभी प्रकृति प्रदत्त उपहारों पर ग्रहण लगता जा रहा है। सेहत की बेहतरी और दिलो दिमाग को तरोताजा रखने की ख्वाहिश लिए बस्तर आने वाले सैलानियों को अब मायूसी हाथ लगने लगी है। उनकी सेहत पर उल्टा असर पड़ रहा है। वजह है बस्तर के टूरिस्ट स्पॉट्स में उगाही करने वाले लोगों की गैर जिम्मेदाराना हरकत।
प्रकृति ने बस्तर संभाग पर अपना पूरा खजाना लुटा दिया है। हरी भरी हसीन वादियां, ऊंचे ऊंचे दरख्त, कलरव करते रंग बिरंगे पक्षी, कुलांचे मारते हिरणों के झुंड, कलकल बहती नदियां आसमान को चूमते पहाड़ और हाथियों जैसे चिंघाड़ते जलप्रपात क्या कुछ नहीं है बस्तर में। कुदरत ने अपने सबसे खूबसूरत नजारों का तोहफा दे रखा है बस्तर को। यही वजह है कि भारत के हर राज्य के और दूसरे देशों के लाखों सैलानी हर साल बस्तर पहुंचते हैं। यहां की खूबसूरत वादियों में तनाव और थकान भरी जिंदगी के कुछ हसीन पल सुकून से गुजारने की चाहत लिए बस्तर आने वाले घरेलू और विदेशी पर्यटकों की सेहत से अब खुलेआम खिलवाड़ किया जाने लगा है। बस्तर के अमूमन सभी टूरिस्ट स्पॉट्स में पर्यटकों से भारी भरकम शुल्क लिया जाता है, मगर इन पर्यटन स्थलों की सफाई व्यवस्था पर जरा भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। पर्यटन स्थल बजबजाती गंदगी और कूड़े के ढेरों की वजह से बीमारियों का घर बनते जा रहे हैं। सुप्रसिद्ध पर्यटन स्थल तीरथगढ़ का भी बड़ा बुरा हाल हो गया है। तीरथगढ़ वाटर फॉल का दीदार करने रोजाना सैकड़ों की तादाद में पर्यटक पहुंचते हैं। पर्यटक अपने साथ खाने – पीने का सामान, पानी की बोतलें आदि लेकर आते हैं। खाने पीने के बाद झिल्ली पन्नी, रेपर, कागज, पानी की बोतलों को वहीं छोड़ जाते हैं। इसी तरह तीरथगढ़ वाटर फॉल के आसपास पिकनिक मनाने वाले पर्यटक भोजन पकाने और खाने के बाद अंगीठी, कोयला, जूठन आदि को वहीं पर छोड़ जाते हैं। आज आलम यह है कि तीरथगढ़ वाटर फॉल टूरिस्ट स्पॉट कचरे और गंदगी से भरता जा रहा है। जूठन सड़कर बदबू फैला रही है। जहां – तहां बिखरे कचरे, पसरी गंदगी और उठती बदबू से वाटर फॉल के आसपास का हिस्सा प्रदूषण की चपेट में आ गया है। सेहत की बेहतरी की उम्मीद लिए तीरथगढ़ पहुंचने वाले पर्यटक वहां से बीमारियां साथ लेकर लौटते हैं। तीरथगढ़ पहुंचने वाले पर्यटकों से प्रति व्यक्ति 100 रू. की वसूली वहां तैनात ग्रामीणों, महिलाओं और युवाओं द्वारा की जाती है। मगर वहां फैलने वाली गंदगी की सफाई बिल्कुल भी नहीं की जाती। शुल्क कचरे और गंदगी की सफाई के नाम पर लिया जाता है। देश विदेश के पर्यटक यहां के खूबसूरत नजारे को कैमरे में कैद करते हैं, लेकिन अब वहां बिखरी गंदगी और कचरे की झलक उनके कैमरों के साथ विदेशों तक पहुंचने लगी है।जब सफाई नहीं तो वसूली क्यों?
बताते हैं कि तीरथगढ़ और आसपास के गांवों के युवाओं एवं महिलाओं के समूह को स्थानीय पंचायत ने शुल्क वसूली की जिम्मेदारी दे रखी है। इसके एवज में समूह को वहां सफाई व्यवस्था बनाए रखनी होती है। मगर वसूली के बावजूद साफ सफाई पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। वहां बिखरी गंदगी ओर कचरे बस्तर की खूबसूरती पर दाग दिखा रहे हैं। समूह के लोगों को बिनता घाटी स्थित पर्यटन स्थल कोरली के मुरिया आदिवासियों से सबक लेना चाहिए। इंद्रावती नदी के तट पर बसा गांव कोरली भी एक दिलकश टूरिस्ट स्पॉट है, जहां सैलानियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़तीजा रही है। कोरली के आदिवासी पर्यावरण संरक्षण के प्रति इतने सजग हैं कि वे न खुद कचरा व गंदगी फैलाते हैं और न ही पर्यटकों को ऐसा करने देते हैं। कोरली के मुरिया आदिवासी पर्यटकों से विनम्र आग्रह करते हैं कि झिल्ली पन्नी, कागज के टुकड़े, कैरीबैग, डिस्पोजल गिलास, बोतलें आदि को यहां वहां न फेंककर एक जगह जमा करें। बाद में ग्रामीण इन सारी चीजों को दूर ले जाकर उन्हें नष्ट कर देते हैं। यदि तीरथगढ़ में भी ऐसी ही जन जागृति आ जाए, तो यह इस पर्यटन स्थल के हित में होगा।
घट रही है पर्यटकों की संख्या
बस्तर संभाग में चित्रकोट वाटर फॉल के बाद देसी विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का दूसरा सबसे बड़ा केंद्र तीरथगढ़ वाटरफॉल ही है। जो सैलानी बस्तर आते हैं, वे चित्रकोट और तीरथगढ़ के खूबसूरत नजारों का दीदार किए बिना नहीं रहते। इन दोनों जगहों पर जाए बिना बस्तर की यात्रा अधूरी मानी जाती है। ठंड व गर्मी के मौसम और बारिश के आखिरी दिनों में रोज हजारों पर्यटक तीरथगढ़ पहुंचते रहे हैं, लेकिन अब पर्यटकों की संख्या तेजी से घटने लगी है। रोज बमुश्किल सौ सवा सौ पर्यटक वहां पहुंच रहे हैं। इसकी एकमात्र वजह तीरथगढ़ में फैल रही गंदगी है। वैसे तो गंदगी के लिए पर्यटक भी जिम्मेदार हैं, मगर शुल्क वसूलने वाले लोगों की जवाबदेही ज्यादा है। अगर समय रहते शुल्क वसूलने वाले लोग, स्थानीय पंचायत और प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो वह दिन दूर नहीं जब वाटर फॉल का दीदार करने आने वाले पर्यटकों के दीदार के लिए तीरथगढ़ ही तरसने लग जाएगा।