कोरली की हसीन वादियों में उमड़ने लगी है सैलानियों की भीड़

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  • आकर्षक नजारे की खबर छपने के बाद उमड़ी भीड़
  •  बिनता घाटी की गोद में और इंद्रावती के तट पर बसा है अनछुआ पर्यटन स्थल
    -अर्जुन झा-
    लोहंडीगुड़ा कोरली के नदी तट पर और बिनता घाटी की गोद में बसे कोरली गांव के खूबसूरत नजारे अब पर्यटकों को अपनी ओर खींचने लगे हैं। बिनता घाटी की वादियों का चुंबकीय आकर्षण सैलानियों को बरबस अपनी ओर खींचने लगा है। कोरली के गुमनाम अनछुए प्राकृतिक सौंदर्य की ओर इस समाचार पत्र ने प्रकृति प्रेमियों का ध्यान आकर्षित कराया था। अखबार में खबर छपते ही कोरली चर्चा में आ गया और अब वहां सैलानियों की भारी भीड़ उमड़ने लगी है।
    बस्तर संभाग पर कुदरत बहुत ज्यादा मेहरबान और कुदरत ने बस्तर को ढेरों नेमतों से नवाजा है। बस्तर का हर कण प्रकृति की अनुपम गाथा सुनाता है। दर्जनों प्रजातियों के पेड़ों से आच्छादित जंगल, कलकल बहती नदियां, विहंगम जलप्रपात, प्राचीन गुफाएं, शैलचित्र एवं भित्तिचित्र, प्राचीन प्रतिमाएं, आसमान से गलबाहियां करते पहाड़ और पहाड़ों को चूमते बादल.. क्या कुछ नहीं दिया है प्रकृति ने बस्तर को।

ऐसा लगता है कि कुदरत ने बस्तर को दिल खोलकर नेमतों से नवाजा है। बस्तर में विश्व प्रसिद्ध चित्रकोट जल प्रपात, तीरथगढ़ वाटरफॉल, कुटुमसर की गुफा, केशकाल घाटी का विहंगम दृश्य, बैलाडीला की पहाड़ियों पर विचरण करते कपसीले और स्याह बादलों के झुंड, प्राचीन और विशालकाय भगवान गणेश की अलौकिक प्रतिमा, दंतेवाड़ा स्थित मां दंतेश्वरी का पावन धाम, कांकेर स्थित मां कंकालिन के दिव्य दरबार के साथ ही अनगिनत दर्शनीय, रमणीय और पूज्यनीय स्थल हैं। इन जगहों पर आकर लोग अपना अतीत भूल जाते हैं, वर्तमान में खो जाते हैं और सुनहरे भविष्य का तानाबाना बुनते हैं। बस्तर की हसीन वादियों में बारहों माह सैलानियों की आमदरफ्त लगी रहती है। देशभर के और विदेशी सैलानीबड़ी संख्या में बस्तर आते हैं। बस्तर के पर्यटन मानचित्र में अब एक नया नाम जुड़ गया है। वह है बिनता घाटी की वादियों में इंद्रावती नदी के तट पर बसा और विशाल पहाड़ों से घिरा गांव कोरली। यह अनचिन्हा पर्यटन स्थल सैलानियों को अपनी ओर धीरे धीरे ही सही आकर्षित जरूर करने लगा है। बस्तर जिला मुख्यालय जगदलपुर से लगभग 80 किमी दूर स्थित बिनता घाटी की छटा तो देखते ही बनती है, इंद्रावती नदी के तट पर बसे लोहंडीगुड़ा विकासखंड की ग्राम पंचायत भेजा के आश्रित गांव कोरली का भी नजारा दिल की गहराइयों में उतर जाता है। कोरली प्रकृति के उपहारों से समृद्ध गांव है। कलकल करती इंद्रावती नदी इस गांव की धरा का आचमन करती हुई सुकमा जिले की ओर आगे बढ़ जाती है। कोरली के पास नदी का नजारा बड़ा ही मनभावन है। पहाड़ों से घिरे कोरली में आकर इंद्रावती नदी ठहर सी जाती है, मानो उसे भी कोरली से लगाव हो गया हो। गर्मी के दिनों में झुलसाती गर्म हवाएं नदी के जल का स्पर्श पाकर शीतल बयार में तब्दील हो जाती हैं। गर्मी से बेचैन तन मन इस शीतल बयार से प्रफुल्लित हो उठता है। नदी किनारे से हटने का मन ही नहीं करता। रेतीले तट पर नदी में स्नान करते ग्रामीण और बच्चे बरबस ध्यान खींच लेते हैं। यहां मगरमच्छ भी देखे जा सकते हैं। चट्टानें नदी और कोरली गांव की सुंदरता में चार चांद लगा देती हैं। नदी में नौकयान की भी व्यवस्था है। डोंगियों से नौकयान का लूत्फ पुरसुकून और यादगार बन जाता है।

जितना सुना, उससे ज्यादा पाया
इस समाचार पत्र में बिनता घाटी और कोरली के खूबसूरत नजारों की खबर प्रकाशित होते ही कोरली तो जैसे छा गया। यहां अचानक पर्यटकों की भीड़ उमड़ने लगी है। आज रविवार को ऐसी भीड़ रही कि कोरली गांव के लोगों के चेहरे खिल उठे। मेहमाननवाजी और पर्यावरण संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभाने वाले कोरली के मुरिया आदिवासी सारा कामकाज छोड़कर मेहमान पर्यटकों की तिमारदारी में जुट गए थे। जगदलपुर और राज्य के विभिन्न शहरों से आज सैकड़ों सैलानी कोरली पहुंचे थे। इन पर्यटकों ने कोरली की सुंदरता के बारे में अपने अनुभव इस संवाददाता को सुनाए। जगदलपुर और आसपास के गांव कस्बों के निवासी धीरज कुमार, विश्वमोहन मिश्र शिक्षक, व्यवसायी पुष्पेंद्र मार्को, उपेंद्र कुमार ने बताया कि कोरली के बारे में अखबार में प्रकाशित आपकी स्टोरी पढ़ने के बाद हम खुद को रोक नहीं पाए और ढूंढ़ते हुए कोरली गांव तक आ ही गए। वास्तव में अद्भूत नजारे हैं यहां। आपने जितना लिखा था, उससे भी कहीं ज्यादा सुंदर दृश्य देखने को मिले हैं हैं यहां। इस नई जगह को पहचान दिलाने के लिए आपको और आपके समाचार पत्र को बहुत बहुत धन्यवाद। कोरली के ही एक ग्रामीण साहू कुमार कश्यप ने कहा कि अगर पर्यटन विभाग बारसूर, चित्रकोट की तरह कोरली को भी छत्तीसगढ़ के पर्यटन मानचित्र से जोड़ देता है, तो ग्राम कोरली की तस्वीर ओर तकदीर दोनों बदल जाएगी। ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा, व्यवसायिक गतिविधियां बढ़ेंगी और गांव का समुचित विकास हो पाएगा।