कांग्रेस की उम्मीद का दीपक आलोकित होगा एकजुटता के बूते

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  • गढ़िया गांव में रखी गई भरोसे की ठोस बुनियाद

अर्जुन झा

जगदलपुर दियारी तिहार के बहाने कांग्रेस की उम्मीद के दीपक के पुनः आलोकित होने की उम्मीद बढ़ गई है। जिस तरह बस्तर संभाग के कांग्रेसी सूरमा एकजुट हो रहे हैं, उसे देखते हुए लोकसभा चुनाव के रण में कांग्रेस का डंका बजने के आसार बढ़ गए हैं। सांसद दीपक बैज के गृहग्राम में कांग्रेस नेताओं के महा मिलन से शुभ संकेत मिलने लगे हैं।

दियारी तिहार आदिवासियों का पारंपरिक त्यौहार है। बस्तर जिले के चित्रकोट विधानसभा क्षेत्र में इन दिनों दियारी तिहार की धूम मची हुई है। गांव गांव में तिहार पर विविध आयोजन हो रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं बस्तर लोकसभा क्षेत्र के सांसद दीपक बैज का गृहग्राम गढ़िया भी चित्रकोट विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत लोहंडीगुड़ा विकासखंड में स्थित है। बुधवार को दीपक बैज के ग्राम गढ़िया स्थित निवास में भी यह पर्व मनाया गया। इस अवसर पर बस्तर क्षेत्र के कांग्रेस विधायक लखेश्वर बघेल, जगदलपुर के पूर्व विधायक रेखचंद जैन, नारायणपुर के पूर्व विधायक चंदन कश्यप, चित्रकोट के पूर्व विधायक राजमन बेंजाम दंतेवाड़ा के पूर्व विधायक छविंद्र कर्मा समेत अनेक कांग्रेस नेता सांसद के गृहग्राम में एकसाथ उपस्थित हुए। दियारी का पर्व प्रेम और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है। इस अवसर पर कांग्रेस के इन बड़े नेताओं का एकत्र होना कुछ विशेष इशारा कर रहा है। आगामी लोकसभा के मद्देनजर अगर यह मेल मिलाप मेल बस्तर में कांग्रेस की राजनीति को नई दिशा दे सकती है। बस्तर संभाग में लोकसभा की दो सीटें क्रमशः बस्तर और कांकेर हैं। बस्तर सीट से कांग्रेस के दीपक बैज सांसद चुने गए हैं, वहीं कांकेर सीट पर भाजपा के मोहन मंडावी ने कब्जा जमाया है। बस्तर संभाग में बारह विधानसभा सीटें हैं। हालिया निपटे विधानसभा चुनाव के पहले तक सभी बारह सीटों पर कांग्रेस का कब्जा था। 2023 के चुनाव में कांग्रेस के हाथों से आठ विधानसभा सीटें जगदलपुर, चित्रकोट, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, अंतागढ़, कांकेर, कोंडागांव, केशकाल फिसलकर भाजपा की झोली में चली गईं। सिर्फ बस्तर, बीजापुर, भानुप्रतापपुर और कोंटा में ही कांग्रेस की नाक बच पाई। इस तरह बस्तर संभाग में कांग्रेस को बड़ा डेमेज पहुंचा है। इस भयानक क्षति से उबरने के लिए कांग्रेस के नेताओं में जिस एकजुटता की उम्मीद की जा रही थी, उसकी बुनियाद दियारी तिहार के बहाने गढ़िया गांव में रख दी गई है। अब इस बुनियाद पर आपसी भरोसे और सामंजस्य की मजबूत ईमारत खड़ी करने की जवाबदेही बस्तर के दोनों हिस्सों के नेताओं की है। दक्षिण बस्तर में बस्तर, सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर व नारायणपुर जिले आते हैं। वहीं उत्तर बस्तर में कांकेर व कोंडागांव जिले स्थित हैं। दक्षिण बस्तर में तो इसकी शुरुआत हो चुकी है। अब उत्तर बस्तर में भी ऐसी ही दरकार है। उत्तर बस्तर की एक ही सीट भानुप्रतापपुर पर कांग्रेस जीत पाई है। इसलिए वहां कांग्रेस की मजबूती और नेताओं में एकजुटता बहुत ज्यादा जरूरी है। गढ़िया गांव में जुटे नेताओं में लखेश्वर बघेल विजित और रेखचंद जैन, राजमन बेंजाम, चंदन कश्यप टिकट से वंचित नेता हैं, जबकि छविंद्र कर्मा पराजित नेता हैं। ये नेता चूके और हारे हुए जरूर हैं, लेकिन थके व हार माने हुए बिल्कुल भी नहीं हैं। इस हौसले को धार देने की बेहतरीन कोशिश बुधवार को गढ़िया गांव में हुई है। अगर इस हौसले को यूं ही पर मिलते रहे तो तीन माह बाद कांग्रेस की उड़ान देखने लायक होगी।

यह चुनौती बड़ी भीषण है

जिस तरह विधानसभा चुनाव के परिणाम उम्मीद के विपरीत आए, उसी तरह लोकसभा चुनाव के नतीजे भी कांग्रेस की उम्मीदों के प्रतिकूल हो सकते हैं। भाजपा लोकसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को सामने रखकर लड़ेगी। वहीं संयुक्त विपक्षी गठबंधन का चेहरा अब तक तय नहीं हो पाया है। नरेंद्र मोदी के सामने कोई चेहरा टिकता भी नजर नहीं आ रहा है। राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल में से किसी को भी विपक्षी गठबंधन प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित कर दे, ब्रांड मोदी के सामने सभी कमतर ही हैं। एक संशय यह भी है कि छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव कांग्रेस अकेले लड़ेगी या फिर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, आदिवासी विकास परिषद, सर्व आदिवासी समाज व बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन बनाकर लड़ेगी। इन परिस्थितियों के बीच बस्तर और कांकेर लोकसभा सीटों को फतह करने में कांग्रेस के समक्ष भीषण चुनौतियां हैं।