- नगरनार के तालाब में छोड़ा गया विषैला पानी
- ग्रामीणों और मवेशियों के निस्तारी का संकट, खेत हो रहे हैं बंजर
–अर्जुन झा–
जगदलपुर बस्तर जिले के नगरनार में राष्ट्रीय खनिज विकास निगम एनएमडीसी द्वारा स्थापित स्टील प्लांट नगरनार समेत आसपास के गांवों के लिए मुसीबत का सबब बन गया है। प्लांट का जहरीला पानी गांव के तालाब में छोड़ा जा रहा है। इससे ग्रामीणों के समक्ष जहां निस्तार का संकट पैदा हो गया है, वहीं उनकी खेती की जमीन तबाह हो रही है। तालाब का दूषित पानी पीने से मवेशी बीमार पड रहे हैं।
नगरनार इस्पात संयंत्र की स्थापना के लिए नगरनार समेत आसपास के कई गांवों के ग्रामीणों ने अपनी पचासों एकड़ उपजाऊ जमीन की बलि चढ़ाई है। ग्रामीणों को उम्मीद थी कि संयंत्र लग जाने से अंचल के शिक्षित युवाओं, मजदूरों को रोजगार मिलेगा, गांवों का विकास होगा। यह उम्मीद धरी की धरी रह गई है। बल्कि अब इसके उलट यह संयंत्र ग्रामीणों की बर्बादी की वजह बन गया है। संयंत्र की चिमनियों से उठने वाला धुंआ वातावरण में जहर घोल ही रहा है, अब संयंत्र से निकलने वाला केमिकल युक्त दूषित पानी भी गांव के जलस्त्रोतों को जहरीला बना रहा है। संयंत्र प्रबंधन द्वारा प्लांट की विभिन्न यूनिटों से निकलने वाले वेस्टेज केमिकल और दूषित पानी के सुरक्षित निपटान की व्यवस्था नहीं की गई है। इस प्रदूषित केमिकल और पानी को बहाकर गांव के तालाब में डाला जा रहा है। यह केमिकल और पानी खेतों और पड़त भूमि से होते हुए तालाब मे जाकर मिलता है। इससे तालाब का पानी तो जहरीला हो ही गया है, वहीं जिन खेतों से होकर यह प्रदूषित केमिकल और पानी गुजरता है we खेत भी जलकर बंजर बन चुके हैं। पिछले वर्ष भी संयंत्र प्रबंधन ने ऐसा ही कदम उठाया था, तब ग्रामीणों ने भारी विरोध किया था। इस बार भी जब ऐसा ही कृत्य किया गया तब इसका पुरजोर विरोध पूर्व सरपंच रेनू बघेल ने किया। उनका कहना है की इस विषैले पानी से तालाब पूरा खराब हो रहा है। आसपास के खेत भी बंजर हो रहे हैं। अभी तक 10 हजार लीटर से ज्यादा प्रदूषित केमिकल और जहरीला पानी संयंत्र से छोड़ा जा चुका है। विरोध के बाद फिलहाल यह कृत्य बंद कर दिया गया है। पिछले साल भी इसी प्रकार से वर्तमान सरपंच से मिलकर एनएमडीसी प्रबंधन ने गंदा पानी छोड़ा था जिससे सैकड़ों एकड़ की फसल बर्बाद हो गई थी। प्लांट प्रबंधन पंचायत के विकास को छोड़ उसकी बर्बादी में लगा हुआ है। इस मामले में प्लांट के जिम्मेदार अधिकारी श्री आशीष से चर्चा करने कई बार संपर्क साधा गया, लेकिन वे उपलब्ध नहीं हुए।