नक्सली हिंसा में पति की जान गई, नौकरी पाने के बाद पत्नी ने बच्चों को बेसहारा छोड़ अपने जानू संग बसा लिया घर

0
85
  • पति की मौत पर पत्नी को मिली है अनुकंपा नियुक्ति
  • बेसहारा बच्चों का भविष्य हो गया है अंधकारमय
  • विधायक टेकाम और कलेक्टर ने साझा किया दोनों अनाथ मासूमों का दर्द

अर्जुन झा

जगदलपुर पति ने जीते जी तो उसकी दुनिया आबाद कर ही दी थी, अपनी मौत के एवज में भी उसे जीने का बड़ा सहारा दे गया। इसके अलावा पति अपने प्यार की दो अनमोल निशानियां भी छोड़ गया है। मगर हवस में अंधी विधवा पत्नी को न पति की कुर्बानी याद रही और न अपने दोनों मासूम बच्चों की कोई परवाह। बहुत ही कम उम्र वाले दोनों बच्चों पर इस बेदर्द महिला को रत्तीभर भी तरस नहीं आई और उन्हें बेसहारा छोड़ उसने अपने प्रेमी के संग अपनी नई दुनिया आबाद कर ली। सिर से बाप का साया उठ जाने और मां के पराये मर्द के साथ चले जाने से दोनों मासूम बच्चों का भविष्य पूरी तरह अंधकारमय हो गया है। हालांकि केशकाल के विधायक नीलकंठ टेकाम और कोंडागांव के कलेक्टर श्री दुदावत ने जो संवेदनशीलता दिखाई है, उससे बच्चों की जिंदगी में उम्मीद की किरण प्रस्फुटित होने की आस जाग उठी है।

पत्थर के भी आंसू निकाल देने वाली यह दास्तां है बस्तर संभाग के कोंडागांव जिले की धनौरा तहसील के केशकाल ब्लाक में स्थित ग्राम पड्डे निवासी स्व. मन्नूराम नाग और उसके बेटे प्रज्ज्वल एवं आशु की। 27 जून 2010 को नक्सलियों ने मन्नूराम नाग की हत्या कर दी थी । मन्नूराम नाग की जब हत्या की गई थी उस समय उसके बड़े बेटे प्रज्जवल की उम्र मात्र दो ढाई वर्ष थी और दूसरा बेटा आशु अपनी मां अमिका नाग के गर्भ में पल रहा था। अब प्रज्जवल की उम्र लगभग 15 वर्ष हो चुकी है और वह इस वर्ष दसवीं कक्षा की पढ़ाई करने वाला है। दूसरा बेटा आशु अब लगभग 13 वर्ष का हो चुका है। आशु जिसने अपने पिता का चेहरा तक देख नहीं पाया था और जिसे पिता का लाड़ प्यार भी नसीब नहीं हो पाया था वह इस वर्ष आठवीं कक्षा में पढ़ाई करेगा। इन दोनों बच्चों के लिए इससे बड़ी बदनसीबी की बात और कोई दूसरी नहीं हो सकती कि पिता की असमय मौत के बाद मां और बाप दोनों का लाड़ प्यार तथा संरक्षण जिस मां से मिलना था वह मां ही कुमाता निकल गई। मां की ममता और फर्ज को दागदार कर देने वाली मां अमिका नाग ने अपने पति की मृत्यु के एवज मिली अनुकंपा नियुक्ति के बाद अपने जिगर के टुकड़ों को बेसहारा छोड़ अपने प्रेमी संग कोर्ट मैरिज कर चली गई। इस तरह पिता और मां के संरक्षण व लाड़ प्यार से वंचित बच्चों के समक्ष जीवन निर्वाह और शिक्षा दीक्षा की बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। ज्ञात हो कि छग शासन के गृह विभाग के आदेश और सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय रायपुर के निर्देशों के तहत नक्सली हिंसा में मृत व्यक्ति के परिवार के आश्रित सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति देने का प्रावधानों है। इसी आधार पर कार्यालय कलेक्टर आदिवासी विकास शाखा बस्तर जगदलपुर ने 12 अक्टूबर 2011 ने आदेश जारी कर अमिका नाग पति स्व. मन्नूराम ग्राम पड्डे थाना ईरागांव विकासखंड केशकाल को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की थी।

क्या कहता है नियम?

नक्सली हिंसा में मौत पर अनुकंपा नियुक्ति के नियम शर्त की कंडिका क्रमांक 10 में प्रावधान है कि अनुकंपा नियुक्ति पाने वाले उम्मीदवार को मृतक के समस्त आश्रित सदस्यों के भरण पोषण की सम्पूर्ण जिम्मेदारी का निर्वाह करना अनिवार्य होगा। इस लिहाज से अनुकंपा नियुक्ति प्राप्त अमिका नाग का कर्तव्य बनता था कि वह अपने दिवंगत पति मन्नूराम नाग के माता पिता, अन्य आश्रित परिजनों का भरण पोषण करती। मगर नक्सली हिंसा में मृत मन्नूराम नाग के आश्रित सभी सदस्यों के भरण पोषण की बात तो दूर, अमिका नाग अपने ही कोख से जन्मे और पूरी तरह उस पर निर्भर अपने नाबालिग बच्चों को भी बेसहारा छोड़ नया पति बनाकर उसके साथ रंगरलियां मनाने चली गई।

अपने बच्चों को बेसहारा छोड़कर जाने वाली मां ने यह भी नहीं सोचा कि मेरे जाने के बाद बच्चों का क्या होगा?अब नाबालिग बच्चों के भरण पोषण और शिक्षा दीक्षा को लेकर चिंतित मृतक मन्नू राम के भाई व परिजन यहां वहां फरियाद करते, आवेदन देते भटक रहे हैं।

दो आईएएस ने जगाई आस

केशकाल विधायक नीलकंठ टेकाम जो कि पूर्व आईएएस हैं और कोंडागांव कलेक्टर दुदावत ने दोनों बच्चों के भविष्य से जुड़े मसले को गंभीरता से लिया और संवेदनशीलता दिखाते हुए पहल भी शुरू कर दी है। बच्चों को लेकर उनके पालक बीते दिनों केशकाल विधायक नीलकंठ टेकाम के पास फरियाद करने पंहुचे थे। विधायक श्री टेकाम ने बड़ी संवेदनशीलता दिखाई और बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था कराने का भरोसा दिलाते हुए तुरंत पहल भी प्रारंभ कर दी।

इसके दूसरे दिन पालक बच्चों को लेकर कोंडागांव कलेक्टर श्री दुदावत से मिले और उन्हें आपबीती सुनाई। बच्चों के दर्द को कलेक्टर ने बड़ी गंभीरता से सुना और फौरन दंतेवाड़ा कलेक्टर से बच्चों को जवंगा के आवासीय स्कूल में भर्ती कराने की आवश्यकता बताते हुए उनसे इस बाबत सहयोग का आग्रह किया। बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित परिवार को अपने क्षेत्र के विधायक और जिला कलेक्टर से मिलने के बाद यह उम्मीद जाग उठी है कि अब बच्चों की पढ़ाई का इंतजाम हो जाएगा।

परिवारजनों की मांग

अपने बच्चों को बेसहारा छोडकर जाने पर बच्चों के पालक व नक्सली हिंसा में मृत मृतक के परिवार जन की यही मांग है कि नक्सली हिंसा में मृत मन्नूराम नाग की पत्नी अमिका ने अनुकंपा नियुक्ति आदेश के नियम शर्त कंडिका क्रमांक 10 का उल्लंघन करते दूसरी शादी कर जिम्मेदारी से मुख मोड़ लिया है। इस मामले को देखते हुए उसकी अनुकंपा नियुक्ति तत्काल निरस्त कर दी जाए और मन्नू राम नाग के दोनों बच्चों की पढ़ाई के लिए आवासीय व्यवस्था वाले स्कूल, आश्रम में उन्हें दाखिला दिलाया जाए। इसके साथ ही बस्तर संभाग के अनेक प्रबुद्ध नागरिकों की राय है कि नक्सली हिंसा के मृतकों के अनुकंपा नियुक्ति प्राप्त आश्रितों के लिए नियम शर्त की कंडिका क्रमांक 10 के प्रावधान का पालन कड़ाई से सुनिश्चित कराया जाए, ताकि फिर किसी प्रज्ज्वल और आशु को दर दर भटकना न पड़े।