हरियाली से आच्छादित होंगे मातागुडी, देवगुडी, घोटुल, प्राचीन मृतक स्मारक और धरोहर स्थल

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  •  आस्था स्थलों के पास किया जाएगा वृक्षारोपण
  • मुख्यमंत्री के निर्देश पर 5 लाख 62 हजार पौधों का किया जाएगा रोपण

अर्जुन झा-

जगदलपुर आदिवासियों एवं अन्य परम्परागत वन निवासियों का जल, जंगल और जमीन के साथ-साथ सेवी- अर्जी स्थलों पर अटूट आस्था रहती हैं। देव- माता गुड़ी स्थलों के आसपास वृक्षों को देवता तुल्य मान्यता है। गुड़ी स्थल पर स्थित पेड़ पौधों को संरक्षित रखा जाता है। इसी भावना के साथ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देशानुसार बस्तर क्षेत्र के सभी देवगुड़ियों, मातागुड़ियों, प्राचीन मृतक स्मारक स्थलों के आसपास अनिवार्य रूप से वृक्षारोपण करने की योजना बनाई गईहै।

बस्तर संभाग के कमिश्नर श्याम धावड़े ने बताया कि संभाग के सातों जिलों में कुल 7055 देवगुड़ी, मातागुड़ी, जारी 3455 वन अधिकार मान्यता पत्र स्थलों के 2607.200 हेक्टेयर रकबे पर 5 लाख 62 हजार 500 वृक्षारोपण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस वृक्षारोपण कार्य के लिए जिलों की जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को नोडल अधिकारी बनाया गया है। इन देव स्थलों पर फलदार, फूलदार, छायादार पौधे यथा नीम, आम, जामुन, करंजी, अमलतास व ग्रामवासियों के सुझाव अनुसार पौधों का रोपण विशेष अभियान चलाकर किया जाएगा। वृक्षारोपण के दिन ग्राम प्रमुख, बैगा, सिरहा, पेरमा, मांझी, चालकी, गुनिया, गायता, पुजारी, पटेल, बजनिया, अटपहरिया तथा जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाएगा। वृक्षारोपण कार्य वन विभाग के सहयोग से वन महोत्सव कार्यक्रम को 15 जुलाई तक पौधरोपण कार्य को पूर्ण करवा लिया जाएगा। उन्होंने जिलों के कलेक्टरों को समय सीमा की बैठक में इसकी सतत समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं। ज्ञात हो कि बस्तर संभाग में स्थापित आस्था एवं जीवित परम्पराओं के केंद्र मातागुडी, देवगुड़ी, घोटुल, प्राचीन मृतक स्मारक, सेवा-अर्जी स्थलों का संरक्षण एवं संवर्धन करने के लिए अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 की धारा 3(1) (5) के तहत देवी- देवताओं के नाम से ग्रामसभा को 3455 सामुदायिक वनाधिकार पत्र प्रदान किए गए हैं तथा 3600 गैर वन क्षेत्र में स्थित देवगुड़ी, मातागुड़ी, प्राचीन मृतक स्मारक एवं घोटुल स्थल को राजस्व अभिलेख में प्रविष्टि किया जा चुका है। कुल 7055 मातागुड़ी, देवगुड़ी, गोटूल, प्राचीन मृतक स्मारक के लिए 2607.20 हेक्टेयर यानि 6466 एकड़ भूमि राजस्व अभिलेखों में प्रविष्टि कर संरक्षित की गई है।

बस्तर में सर्वाधिक आस्था केंद्र

स्थलों पर वृक्षारोपण किया जाना है। जिसमें बस्तर जिले में 1643 देवगुड़ी, मातागुड़ी, जारी 999 वन अधिकार मान्यता पत्र स्थलों में 628.81 हेक्टेयर रकबे में पौधरोपण हेतु अनुमानित लक्ष्य 1 लाख 60 हजार, कोंडागांव जिले में 1410 देवगुड़ी – मातागुड़ी, जारी 1121 वन अधिकार मान्यता पत्र स्थलों में 551.81 हेक्टेयर रकबा में पौधरोपण हेतु अनुमानित लक्ष्य 1 लाख 40 हजार, कांकेर जिले में 1179 देवगुड़ी -मातागुड़ी, जारी 303 वन अधिकार मान्यता पत्र स्थलों में 329.0हेक्टेयर रकबा में पौधरोपण हेतु अनुमानित लक्ष्य 85 हजार, नारायणपुर जिले में 860 देवगुड़ी – मातागुड़ी, जारी 110 वन अधिकार मान्यता पत्र स्थलों में 225.21 हेक्टेयर रकबा में पौधरोपण हेतु अनुमानित लक्ष्य 51 हजार 500, दंतेवाड़ा जिले में 570 देवगुड़ी – मातागुड़ी, जारी 244 वन अधिकार मान्यता पत्र स्थलों में 231.77 हेक्टेयर रकबा में पौधरोपण हेतु अनुमानित लक्ष्य 51 हजार, बीजापुर जिले में 856 देवगुड़ी – मातागुड़ी, जारी 490 वन अधिकार मान्यता पत्र स्थलों में 385.42 हेक्टेयर रकबा में पौधरोपण हेतु अनुमानित लक्ष्य 10 हजार और सुकमा जिले में 537 देवगुड़ी – मातागुड़ी, जारी 188 वन अधिकार मान्यता पत्र स्थलों में 255.16 हेक्टेयर रकबा में पौधरोपण हेतु अनुमानित लक्ष्य 65 हजार है। संभाग के सातों जिलों में कुल 7055 देवगुड़ी – मातागुड़ी, जारी 3455 वन अधिकार मान्यता पत्र स्थलों के 2607.200 हेक्टेयर रकबे पर 5 लाख 62 हजार 500 पर वृक्षारोपण का लक्ष्य तय किया गया है। वृक्षारोपण कार्य के लिए जिलों के जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाया गया है। साथ जिलों के वन मंडलाधिकारी को आवश्यक सहयोग के लिए निर्देशित किया गया है।