मिट्ठू मियां को मिल गई फिलहाल राहत, आदेश को स्थगित किया वन विभाग ने

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  •  पालतू पक्षियों को लेकर जारी निर्देश स्थगित
  • जगदलपुर में कांग्रेस ने किया था तोता सत्याग्रह
  • वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय नई दिल्ली से लिया जाएगा तकनीकी मार्गदर्शन

अर्जुन झा

जगदलपुर तोतों और अन्य घरेलू पक्षियों को आजाद करने संबंधी अपने निर्देश को लेकर वन विभाग उलझन में पड़ गया है। इसे लेकर छत्तीसगढ़ शासन के वन विभाग ने अब केंद्र सरकार के वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से तकनीकी मार्गदर्शन मांगा है।तब तक के लिए वन विभाग ने अपने पुराने आदेश को स्थगित कर दिया है। इससे फिलहाल मिट्ठू मियां को राहत मिल गई है। ज्ञात हो कि जगदलपुर में शहर जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष सुशील मौर्य के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने तोता सत्याग्रह भी किया था।

उल्लेखनीय है कि वन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले का हवाला देते हुए पूरे छत्तीसगढ़ में एक फरमान जारी किया था। राज्य के सभी वन मंडल अधिकारियों को जारी इस फरमान में निर्देशित किया गया था कि पक्षियों के बाजारों में विक्रय पर पाबंदी लगाई जाए और घरों में पालकर रखे गए तोतों एवं अन्य पक्षियों को आजाद कराया जाए। इसके परिपालन में बस्तर के डीएफओ ने भी तोतों को आजाद कर लामनी पार्क पक्षी विहार जगदलपुर के हवाले करने का निर्देश जारी किया था। वन विभाग के इस फरमान ने यहां खासा कोहराम मचा दिया था। इसे लेकर कांग्रेसियों ने जमकर बयानबाजी और आंदोलन का सिलसिला शुरू कर दिया था। युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता जावेद खान ने इस मसले पर सीधे विष्णु देव साय सरकार पर कटाक्ष करते हुए इसे तुगलकी फरमान करार दिया था। जावेद खान ने लामनी पार्क की बदहाली पर भी गंभीर सवाल उठाए थे। उधर जिला कांग्रेस कमेटी शहर के अध्यक्ष सुशील मौर्य ने तो तोता सत्याग्रह का ही शंखनाद कर दिया था। सुशील मौर्य के नेतृत्व में कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन करते हुए बस्तर के वन संरक्षक को ज्ञापन सौंपकर आदेश रद्द करने की मांग की थी। बता दें कि सनातन धर्म में तोते को शुभ पक्षी माना जाता है। यह वाचाल पक्षी बहुत जल्दी मनुष्य की भाषा सीख जाता है और मनुष्य की भाषा में ही बोलने लगता है। मानव और तोते के बीच आत्मीय रिश्ता पुरातन काल से चला आ रहा है। मनुष्य शुरू से तोते पालने का शौकीन रहा है। वन विभाग के आदेश से आम नागरिक आहत हो उठे थे। चौतरफा विरोध के बाद अब वन विभाग इस आदेश को लेकर उलझन में पड़ गया है।अब प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख छत्तीसगढ़ द्वारा पूर्व में 23 अगस्त को प्रदेश में कानूनन संरक्षण प्राप्त तोतों एवं अन्य पक्षियों की बिक्री और पालन के संबंध में कार्यवाही के निर्देश जारी किए गए थे। जिसमें संशोधन करते हुए अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (संरक्षण) छत्तीसगढ़ अटल नगर, रायपुर द्वारा सभी मुख्य वन संरक्षक एवं वन मंडल अधिकारियों को पत्र प्रेषित कर कहा गया है कि तोतों एवं अन्य पक्षी जो घरों में पाले गए हैं उनके संबंध में 23 अगस्त के जारी निर्देशों पर भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय नई दिल्ली एवं वन्यप्राणी प्रभाग से आवश्यक तकनीकी मार्गदर्शन मांगा गया है। तब तक कार्रवाई स्थगित कर दी गई है।