नक्सलियों को पसंद नहीं है आदिवासी बच्चों की पढ़ाई लिखाई

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  • बच्चों के सामने स्कूल से उठा ले गए शिक्षादूत को
  • तोड़मा के शिक्षादूत और युवक की जन अदालत लगाकर की हत्या
  • बच्चों के सामने ही बेरहमी से पीटा गया शिक्षादूत को 

-अर्जुन झा-

जगदलपुर नक्सली नहीं चाहते कि बस्तर के आदिवासी बच्चे पढ़ लिखकर तरक्की करें। यही वजह है कि वे बच्चों के कल्याण का कार्य कर रहे शिक्षा दूत और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं तक की हत्या करने लगे हैं। नक्सली बीजापुर जिले के एक स्कूल में अध्यापन करा रहे एक शिक्षा दूत को बच्चों की नजरों के सामने उठा ले गए और फिर उसे मार डाला। इसके अलावा एक ग्रामीण युवक की भी हत्या नक्सलियों द्वारा कर दी गई। कुछ माह पहले ही नक्सलियों ने एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की भी हत्या कर दी थी। ये घटनाएं साबित करती हैं कि नक्सली बस्तर के आदिवासी बच्चों और उनके परिवारों को शिक्षित एवं सुपोषित होते देखना पसंद नहीं करते।

बस्तर संभाग के बीजापुर जिले के माड़ क्षेत्र में तुसवाल संकुल की प्राथमिक शाला तोड़मा में पदस्थ 25 वर्षीय शिक्षादूत बामन राम कश्यप और 22 वर्षीय ग्रामीण युवक अनीस की सशस्त्र नक्सलियों ने दिनदहाड़े हत्या कर दी। सूत्रों ने बताया कि नक्सलियों ने पहले शिक्षादूत बामन राम कश्यप को स्कूल से बच्चों के सामने पकड़ा फिर युवक अनीस को पकड़ लिया। दोनों को नक्सली जंगल में ले गए। जहां जन अदालत लगाकर उन्हें मौत की सजा सुनाई गई। इसके बाद धारदार हथियार से बामन राम और अनीस की हत्या कर दी गई। इस घटना से गांव में दहशत का माहौल है। सूत्रों के मुताबिक यह घटना उस वक्त हुई जब शिक्षादूत बामन राम अपने स्कूल में बच्चों को पढ़ा रहा था। स्कूल में 10-15 हथियारधारी नक्सली आ धमके और बच्चों के सामने ही शिक्षादूत के साथ बेरहमी से मारपीट की। इससे सारे बच्चे डर गए थे। बामन राम को पीटते हुए नक्सली पास के जंगल में ले गए। घटना के समय मौजूद बच्चे स्कूल में पढ़ रहे थे। स्कूल में पढ़ने वाले पहली व दूसरी के 20-22 बच्चे अपने घर भाग खड़े हुए। नक्सली ग्रामीण युवक अनीस को भी साथ ले गए‌। सूत्रों ने बताया कि होनहार शिक्षादूत बामन राम ने गांव के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए स्कूल अपने प्रयास से खुलवाया था और लगभग एक सत्र ही स्कूल चल पाया है। जानकारों ने बताया कि तोड़मा स्कूल जो वर्षों से बंद था उसे खोल कर बच्चों को शिक्षा देने का काम शिक्षादूत बामन राम कर रहा था। बामन कश्यप के शिक्षा के प्रति ललक से संकुल के शिक्षक भी प्रभावित रहे हैं।हथियारधारी नक्सलियों ने ग्रामीणों के सामने बुधवार को दिन में जन अदालत लगाकर शिक्षादूत बामन राम और ग्रामीण युवक अनीस के संबंध में गहन पूछताछ करने के बाद जंगल ले जाकर हत्या की। सूत्रों ने बताया कि माड़ क्षेत्र के एरिया कमेटी ने इस घटना को अंजाम दिया है।

शिक्षादूत ने खुलवाया था बंद स्कूल को

अबूझमाड़ क्षेत्र में स्थित तोडमा स्कूल वर्षों से बंद था। ग्रामीणों के मांग पर बामन राम कश्यप एक साल से स्कूल संचालित कर रहा था। तुसावल संकुल के अंतर्गत तोड़मा स्कूल तक इंद्रावती नदी को पार करके जाना पड़ता है। तोड़मा स्कूल के अलावा नदी पार आधा दर्जन से ज्यादा स्कूल संचालित हैं। शिक्षादूत की हत्या से शिक्षा की अलख जगाने वाले शिक्षकों के लिए ऐसे क्षेत्रों में कार्य करना जोखिम से कम नहीं है। नक्सली ऐसे इलाके में कार्य करने वालों को शक की नजर से देखते हैं। इस कारण कर्मचारियों का आवासीय स्थान से आना-जाना लगा रहता है। नक्सली निराधार शक में और बेवजह आरोप लगाकर निरीह ग्रामीणों की हत्याएं करते आ रहे हैं।

जला चुके हैं पचासों स्कूल

एक दौर था जब नक्सली सरकारी सांपत्तियों को बेतहाशा नुकसान पहुंचाया करते थे। वे पचासों स्कूल भवनों को जला चुके हैं, सैकड़ों पुल पुलिया ध्वस्त कर चुके हैं। अब वे शिक्षकों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने लगे हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आदिवासी बच्चों को सुपोषित करने व उन्हें अक्षर ज्ञान देने का काम करती हैं। नक्सली बीजापुर जिले में एक महिला आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को मौत की नींद सुला चुके हैं, अब शिक्षादूत को उन्होंने मार डाला। ये सारी घटनाएं जाहिर करती हैं कि नक्सली आदिवासी बच्चों की शिक्षा दीक्षा, उनके सुपोषण और गांवों की तरक्की होते देखना पसंद नहीं करते। खुद को आदिवासी हितैषी बताने वाले नक्सली असल में आदिवासियों के दुश्मन हैं।