- जलस्तर सूखने की कगार पर, किसान परेशान, जानवर कैसे झेलेंगे मई का महीना
- प्राधिकरण दफ्तर में क्यों जड़ा ताला, बताएं जल संसाधन मंत्री कश्यप
जगदलपुर इंद्रावती नदी के समय से पहले सूख जाने को लेकर सियासत शुरू हो गई है। शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुशील मौर्य ने किसानों, उनके मवेशियों और वन्यप्राणियों की प्राण रक्षा के लिए किए जा रहे उपायों को लेकर जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप कश्यप पर कई सवाल दागे हैं।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुशील मौर्य ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने 6 मई 2013 को इंद्रावती विकास प्राधिकरण के गठन की घोषणा की थी, किंतु 2018 तक मुख्यमंत्री रहते वे इंद्रावती विकास प्राधिकरण का गठन नहीं कर पाए।बस्तर के विधायकों व सांसदों के अथक प्रयासों से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 22 मई 2022 को इंद्रावती विकास प्राधिकरण गठन किया। साथ ही इसके संचालन हेतु विशेष नियुक्ति कर दफ्तर भी खुलवाया गया। प्राधिकरण के लिए बजट भी जारी किया गया।श्री मौर्य ने कहा कि सूखे और पानी के बहाव की समस्याओं से निजात दिलाने कांग्रेस की सरकार ने 2 बैराज बनाने हेतु बजट प्रस्ताव प्रस्ताव भी लाया था।सरकार बदली तो काम लटका दिया गया।
श्री मौर्य ने कहा कि डीपीआर तैयार हो चुकी है। मटनार और देऊरगांव में पर बैराज हेतु प्रशासकीय स्वीकृति अभी तक क्यों नहीं मिल पा रही है? जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप बस्तर के हैं और इंद्रावती विकास प्राधिकरण के दफ्तर पर ताला जड़ा हुआ है, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। बस्तर वासियों को यह बात बिल्कुल हजम नहीं हो रही है। इसके लिए मंत्री केदार कश्यप को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। श्री मौर्य ने कहा- आज बलिराम जी जिंदा होते तो केदार कश्यप से कहते कि संभल नहीं रहा है तो छोड़ दो विभाग, बस्तर वासियों के हक के लिए लड़ो मुख्यमंत्री से। सुशील मौर्य ने कहा कि बीते साल 18 नवंबर को चित्रकोट जलप्रपात के तले बस्तर विकास प्राधिकरण की बैठक में आए साय सरकार के मंत्रियों और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को खुश करने के लिए बैराज के गेट खोले गए थे, तब भी पानी की अधिकता से किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ा था। उनकी फसल खराब हो गई थी और आज पानी नहीं मिलने के कारण फसल चौपट हो गई है। क्या उस समय जिन्होंने पानी छोड़ा था उन पर भाजपा सरकार कार्यवाही करेगी?