पानी जैसे रकम दे रही शराब, नीयत हो रही खराब…कोरोना टैक्स के नाम पर 364 करोड़ की वसूली, सेहत पर एक धेला खर्च नहीं

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अर्जुन झा
छत्तीसगढ़ सरकार ने भी कोरोना संक्रमण से निबटने आर्थिक साधन बढ़ाने के लिए शराब को जरिया बनाया तो इसमें गलत कुछ भी नहीं। किंतु यह भी तो सही नहीं माना जा सकता कि कोरोना टैक्स के नाम पर करीब 364 करोड़ की वसूली करने के बाबजूद सेहत पर एक धेला खर्च नहीं किया जाय। पेट्रोल डीजल के रेट बढ़ने पर हर किसी पर असर पड़ता है लेकिन शराब के रेट बढ़ने से कोई हल्ला नहीं मचता। क्योंकि इससे केवल मदिरा सेवन करने वाले और उनके परिवार ही प्रभावित होते हैं। शराब चीज ही ऐसी है कि उसके शौकीन हर हाल में उसे हासिल करने तैयार हो जाते हैं। यह भी देखा जाना चाहिए कि सरकार शराब से पानी की तरह रकम निकालकर स्वास्थ्य पर एक पैसा भी खर्च नहीं कर सकी है! शराब सरकार के लिए राजस्व उगलने वाला कुंआ जान पड़ रही है!

राज्य सरकार ने विश्वव्यापी महामारी के मद्देनजर राजपत्र में संशोधन प्रकाशित कर आबकारी अधिनियम अनुसार सेस लगाया जिससे 364 करोड़ 75 लाख 37 हजार 048 रुपए राजस्व प्राप्त हुआ। हैरानी की बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग को अब तक इस रकम से न तो कुछ मिला है और न ही मिलने के कोई आसार फिलहाल नजर आ रहे। इस राशि का सदुपयोग जमीनी स्तर पर नहीं हुआ जिससे स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर अति आवश्यक सामग्री, चिकित्सकों की नियुक्ति, दवाएं सहित अन्य सामग्री की खरीद नहीं हो सकी। मंत्री कवासी लखमा के आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इस पैसे का अब तक कोई उपयोग नहीं होने से भाजपा को सरकार को घेरने बड़ा मुद्दा मिल गया है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल संजीदगी के साथ जनहित मे लगातार सक्रिय हैं लेकिन उनके मंत्रियों के अधीन विभागों की रहस्यमय सोच की वजह से सरकार की जमकर किरकिरी हो रही है। आबकारी विभाग के मंत्री की जगह दूसरे विभाग के मंत्री को जवाब देने की नौबत आना भी कुछ इशारा कर है। मुख्यमंत्री ने आदिवासी व्यक्ति को आबकारी जैसे संवेदनशील विभाग का मंत्री बनाया किंतु उनके रवैए के कारण हर बार किरकिरी हो रही है। कोरोना महामारी के मद्देनजर आबकारी शुल्क के रूप में 198 करोड़ 19 लाख 98 हजार 240 रुपए एवं विदेशी मदिरा से 166 करोड़ 55 लाख 38 हजार 808 रुपए की राशि छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कार्पोरेशन लिमिटेड द्वारा शासकीय कोष में जमा की गई।कुल 364 करोड़ 75 लाख 37 हजार 048 रुपए प्राप्त हो गये।इतनी राशि से सर्वसुविधायुक्त अस्पतालों का निर्माण किया जा सकता है किंतु यह राशि अधोसंरचना विकास मद में खर्च में खर्च की जाएगी। अंदेशा जताया जा रहा है कि कोरोना के नाम पर जनता से बटोरी गई बड़ी रकम भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ सकती है। सवाल यह भी है कि कोरोना महामारी से निबटने के लिए लगाए गए सेस का उपयोग जन स्वास्थ्य की बजाय क्या सरकार की माली सेहत में सुधार के लिए किया जा रहा है। विपक्ष इस तौरतरीके को लेकर सरकार पर निशाना साध रहा है। वह कह सकता है कि आबकारी विभाग ने कोरोना काल में लॉक डाउन के दौरान सरकारी शराब दुकान बंद रहने से हुए नुकसान की भरपाई के लिए सेस लगाया और स्वास्थ्य के नाम पर जनता से रकम वसूली!