तृतीय-चतुर्थ वर्ग कर्मचारियों की पदोन्नति के लिए जीएडी के निर्देश कागजी

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डीपीसी के नाम पर अफसरशाही हावी

कई विभागों में वर्षाें से लंबित है डीपीसी रायपुर

छत्तीसगढ़ सरकार के कई विभागों में डीपीसी नहीं होने के कारण अधिकारी-कर्मचारी वर्षाें से पदोन्नति की राह देखते-देखते रिटायर हो जाते हैं। डीपीसी को लेकर कई विभागों में जानबूझकर फाइलें रोकी जाती हैं। विभाग प्रमुखों को प्रतिवर्ष इसके डीपीसी करने के निर्देश के बावजूद ऐसे मामलों पर कार्रवाई नहीं होती। जीएडी के निर्देश तृतीय व चतुर्थ वर्ग कर्मचारियों की पदोन्नति के लिए कागजी साबित हो रहे हैं। वरिष्ठ अधिकारियों को पदोन्नति शीघ्र दी जाती है।

सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा पदोन्नति के लिए जारी निर्देश में शासकीय सेवकों के लिए प्रतिवर्ष रिक्त पदों के आधार पर वर्ष में एक बार पदोन्नति समिति की बैठक करने के निर्देश दिए गए हैं। यह देखा गया है कि वरिष्ठता सूची के प्रकाशन में ही विभाग को चार माह से अधिक समय लग जाता है। वरिष्ठता सूची में कई त्रुटियां होने के कारण कर्मचारी इसकी शिकायत करते हैं। शिकायतों के दावा-आपत्ति का निपटारा इतनी धीमी गति से होता है कि अंतिम प्रकाशन होने के बाद उनकी चरित्रावली में टीप लिखाने में पूरा समय चला जाता है। पदोन्नति के लिए गोपनीय चरित्रावली, संपत्ति विवरण, ईमानदारी प्रमाणपत्र के कारण अफसरशाही हावी हो गई है। जीएडी को इसके संबंध में अफसरों द्वारा ढिलाई किए जाने को लेकर भी कठोर निर्देश देने चाहिए।

कई विभागाें में ऐसा भी खेल

डीपीसी को लेकर कई विभागों में ऐसे अफसर, जिनके खिलाफ जांच लंबित है, उन्हें सूची में शामिल कर देर करने का प्रयास किया जाता है। शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में जांच की जा रही है, उसका तत्काल निपटारा किया जाए। अगर नहीं होता तो उनके बाद के क्रम वालों के नामों को पदाेन्नति के लिए विचार किया जाए। बार-बार ऐसे लोगों का नाम शामिल कर फाइल वापस भेज दी जाती है। मंडी बोर्ड में एसी पद के लिए पदोन्नति एक अफसर के कारण रोकी गई है। इसके चलते ईई और सब इंजीनियर की डीपीसी नहीं हो पा रही है।

सीआर लिखने में भी खेल

छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष विजय कुमार झा का कहना है कि शासकीय कर्मचारियों को सीआर लिखाने में भी मशक्कत करनी पड़ती है। अगर किसी अधिकारी ने गोपनीय चरित्रावली अंकित नहीं की है, तो अफसरों से चरित्रावली मतांकन कराना कठिन हो जाता है। गोपनीय चरित्रावली प्रारूप में सनिष्ठता संबंध टीप अंकित करने की व्यवस्था है, किंतु अधिकारी पृथक से संनिष्ठता प्रमाणपत्र मांगते है, जिसमें कोई विभागीय जांच, दण्ड अथवा आपराधिक प्रकरण विचाराधीन होने का लेख होता है। ऐसा होने पर गोपनीय चरित्रावली में विपरीत टीप अंकित होगी, फिर दोबारा संनिष्ठता का क्या औचित्य है।