सेल प्रबंधन द्वारा नेशनल पेंशन स्कीम के सम्बन्ध में लिए गए एकतरफा निर्णय का भारतीय मजदूर संघ ने विरोध किया

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विगत दिनों सेल प्रबंधन ने अचानक एक परिपत्र जारी करके 01 May 2021 तक पे-रोल में रहने वाले सभी कर्मियों को एनपीएस (नेशनल पेंशन स्कीम) में रजिस्टर कराने की बात कहते हुए इसके लिए 10 June 2021 तक का समय निर्धारित कर दी है। इस सम्बन्ध में जब भारतीय मजदूर संघ से सम्बद्ध खदान मजदूर संघ भिलाई ने भा.म.सं के स्टील फेडरेशन से जानकारी ली तब पता चला कि सेल प्रबंधन ने यह निर्णय एक तरफा लिया है और इसके लिए एनजेसीएस की कोई सहमति नहीं ली है। सेल प्रबंधन के इस एकतरफा कारवाई का विरोध करते हुए भारतीय मजदूर संघ के स्टील फेडरेशन के महासचिव राजेन्द्रनाथ महंतो ने सेल प्रबंधन को पत्र लिखते हुए उक्त परिपत्र वापस लेने और ऐसे किसी भी निर्णय हेतु एनजेसीएस में सहमति बनाने की मांग की है। सेल प्रबंधन के इस निर्णय पर संघ का पक्ष रखते हुए खदान मजदूर संघ के महामंत्री एम.पी.सिंह ने जानकारी दी कि सेल प्रबंधन के इस एकतरफा निर्णय का संघ विरोध करता है। सेल प्रबंधन ने एनजेसीएस के साथ द्विपक्षीय वार्ता में यह समझौता किया था कि सेल कर्मियों के पेंशन की राशि सेल द्वारा गठित सेल पेंशन फण्ड में जमा होगी और उक्त फण्ड द्वारा ही संचालित होगी। ऐसे में सेल प्रबंधन द्वारा अचानक इस तरह का एक तरफा फैसला लेना और इस निर्णय से सेल पेंशन फण्ड ट्रस्ट को भी अवगत न कराना सेल प्रबंधन के नियत पर कई सवालिया निशान खड़े करते हैं? साथ ही इस निर्णय को लेने से पूर्व एनजेसीएस के सदस्य श्रम संगठनों से भी चर्चा न करना सेल प्रबंधन के दूषित मानसिकता का परिचायक है।

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इस तारतम्य में खदान मजदूर संघ के महामंत्री ने सेल प्रबंधन से कुछ सवाल पूछते हुए उनके जवाब मांगे हैं जो इस प्रकार से हैं-

(1) अगर सेल पेंशन स्कीम को एनपीएस में ही बदलना था तो फिर लगभग 06-07 वर्षों तक एनजेसीएस के साथ बातचीत करने का नाटक क्यों किया गया?
(2) जब एनपीएस के टियर-1 की शुरुवात केंद्र सरकार ने 01 मई 2009 से ही कर दी थी तो फिर सेल कर्मियों के लिए इसका लाभ 2012 से क्यों दिया जा रहा है? अगर सेल प्रबंधन को अंततः सेल पेंशन स्कीम को एनपीएस में ही बदलना था तो फिर कर्मियों के साथ भेद भाव करते हुए गैर अधिकारी वर्ग के लिए 2012 से इसकी शुरुवात और 06% अंशदान तो दूसरी तरफ अधिकारी वर्ग के लिए इसकी शुरुवात 2007 से और अंशदान 9% करने का नाटक क्यों किया गया? क्या इस नाटक के पीछे सेल प्रबंधन की मानसिकता गैर अधिकारी वर्ग और अधिकारी वर्ग के बीच दीवार खड़े करने की थी?
(3) अगर सेल पेंशन स्कीम को एनपीएस में विलय कर दिया जाता है तो अधिकारी वर्ग के कर्मियों के दो वर्ष का पेंशन फण्ड को एनपीएस के तहत किस तरह से समायोजित किया जावेगा? क्योंकि सेल पेंशन स्कीम वर्ष 2007 से लागू की गयी है और एनपीएस के टियर-1 की शुरुवात सरकार द्वारा 01 मई 2009 से की गयी है?
(04) सेल पेंशन स्कीम को एनपीएस में बदलने हेतु सेल प्रबंधन ने एकतरफा निर्णय क्यों लिया?उक्त निर्णय लेने से पूर्व सेल प्रबंधन ने इस मामले में सेल पेंशन फण्ड मैनेजिंग ट्रस्ट और एनजेसीएस से कोई चर्चा क्यों नहीं की?
(05) सेल पेंशन स्कीम को एनपीएस में बदलने पर क्या कर्मियों को एनपीएस के उस प्रावधान का लाभ मिलेगा जिसमे यह स्पष्ट लिखा हुआ है कि 60 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद कर्मियों को एनपीएस फण्ड में जमा रकम में से अधिकतम 59% रकम एकमुस्त निकालने की अनुमति होगी?

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इसके अलावा और भी ऐसे कई प्रश्न हैं जिनका जवाब आने वाले समय में सेल प्रबंधन को देना होगा। अंत में उन्होंने कहा कि सेल प्रबंधन के इस एकतरफा निर्णय का संघ विरोध करता है क्योंकि एनपीएस में शामिल होने से मना करते हुए ही एनजेसीएस और सेफी ने सेल प्रबंधन के साथ द्विपक्षीय वार्ता करते हुए सेल पेंशन स्कीम को लागू करने पर सहमति बनाई थी। ऐसे में बिना एनजेसीएस से चर्चा किये हुए इस तरह के एकतरफा निर्णय लेकर सेल प्रबंधन क्या साबित करना चाहता है यह सोंचने की बात है। साथ ही उन्होंने एनजेसीएस में शामिल अन्य श्रम संगठनों के पदाधिकारियों और अधिकारी वर्ग के कर्मियों का प्रतिनिधित्व करने वाले सेफी एवं स्थानीय ऑफिसर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों से भी यह सवाल किया कि सेल प्रबंधन के इस एकतरफा निर्णय पर उनके क्या विचार है?

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