महारानी अस्पताल में ओपीडी व्यवस्था का हाल बेहाल, नियत समय में ओपीडी में चिकित्सक रहते नहीं, मरीज हो रहे हलाकांन

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जगदलपुर। बस्तर संभाग में आम लोगों के भावनाओं के अनुरूप मेडिकल कॉलेज अस्पताल के स्थापना के बावजूद संभाग के सबसे बड़े महारानी अस्पताल की कायाकल्प करने में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा कोई कसर नहीं छोड़ी गई है। आम व्यक्ति एवं आदिवासी लोगों की स्वास्थ्य की रक्षा हेतु महारानी अस्पताल का वृहद कायाकल्प किया गया। इस जिला अस्पताल में स्वास्थ्य संबंधी तमाम रक्षा उपकरण का समावेश किया गया है। कई प्रकार के बीमारियों से संबंधित विशेषज्ञ डॉक्टरों का भी यहां नियुक्ति की गई है। आपात काल की 24 घंटे बेहतर सुविधा उपलब्धता के साथ ही प्रतिदिन इस अस्पताल से सैकड़ों व्यक्ति अपने स्वास्थ्य संबंधी समस्या से लाभान्वित होते हैं लेकिन शासन द्वारा कराये गए तमाम सुविधा के बावजूद इस अस्पताल की प्रशासनिक व्यवस्था इतनी बद से बदतर हो चली है कि नियमित रूप से डॉक्टरों के बैठने की व्यवस्था भी केवल सुनिश्चित ही की गई है किंतु उसका परिपालन सही ढंग से नहीं हो पा रहा है।

जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल में सुबह आठ से लेकर दोपहर 1.00 बजे तक डॉक्टर एवं विशेषज्ञ की बैठने की व्यवस्था तय की गई थी किंतु कुछ ही डॉक्टर समय का पालन कर ओपीडी में अपना समय देते हैं। वहीं विशेषज्ञ डॉक्टर कई-कई घंटे लेट पहुंच कर केवल खानापूर्ति करने हेतु ओपीडी पहुंचते थे। चूंकि बस्तर संभाग का यह प्रमुख अस्पताल है जो शहर के बीचोबीच स्थित है। बस्तर जिले के अलावा अन्य जिलों के मरीज भी अपनी विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्या से पीडि़त होकर यहां इलाज कराने पहुंचते हैं किंतु ओपीडी में डॉक्टरों की अनुपस्थिति अथवा लेटलतिफी के कारण वे अपना इलाज करा पाने में असमर्थ हो जाते हैं। सरकार बदलने के साथ ही वर्तमान कांग्रेस की सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा महारानी अस्पताल में कई परिवर्तन कर लोगों को स्वास्थ्य सुविधा सुचारू रूप से सुलभ कराने हेतु प्रयास किए गए हैं। 100 बिस्तर के अस्पताल को 200 बिस्तर अस्पताल में परितवर्तित करने की घोषणा भी की गई है। इसके लिए सही प्रकार के साजो-सामान की उपलब्धता भी करा दी गई है किंतु लचर प्रशासनिक व्यवस्था के कारण चिकित्सक मरीजों के लिए निर्धारित समय को निकाल नहीं पा रहे हैं। अक्सर यह देखा जा रहा है कि प्रशिच्छु़ चिकित्सक के सहारे इस अस्तपाल के ओपीडी व्यवस्था के साथ साथ ही आपातकालिन व्यवस्था को भी संभाला जा रहा है। स्त्री एवं पुरूष वार्ड में भर्ती होने वाले मरीजों को चिकित्सकों के द्वारा सही चिकित्सा न देकर उन्हें किसी न किसी बहाने मेडिकल कॉलेज भेजा जा रहा है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार महारानी अस्पताल से संबंधित विशेषज्ञ चिकित्सक अपने-अपने निजी प्रेक्टिस में इतने मशगूल रहते हैं कि उन्हें अस्तपाल के ओपीडी समय में पहुंचने का समय नहंी रहता है। जानकारी तो यह भी प्राप्त हुई है कि अस्पताल के सिविल सर्जन भी अपनी जिम्मेदारी निभा पाने में असमर्थ से दिख रहे हैं। अस्पताल सूत्रों के अनुसार ही वर्षों से जमे चिकित्सक वर्तमान अस्पताल के सिविल सर्जन की सुनते ही नहीं हैं। इसका खामियाजा अस्पताल में इलाज कराने आये मरीजों को भुगतना पड़ता है। जिला अस्पताल से संबंधित कई विभाग जैसे एमएलटी विभाग, फार्मेसी के साथ ही जुड़े हुए टेक्रिशियन एवं कर्मचारी किसी की भी नहीं सुनते हैं।
बस्तरवासियों के स्वास्थ्य संबंधी समस्या का निराकरण करने हेतु प्रतिवर्ष कई करोड़ रूपए इस अस्पताल को दिए जा रहे हैं किंतु लचर प्रशासनिक व्यवस्था के कारण अस्पताल से संबंधित सिविल सर्जन विशेषज्ञ चिकित्सक एवं उनसे संबंधित विभाग के अन्य टेक्न्ििशयन एवं कर्मचारी स्वास्थ्य विभाग को धोखे में रखकर शासन द्वारा दिए जा रही राशि का दुरूपयोग कर रहे हैं। वहीं आम बस्तरवासी शासन द्वारा किए स्वास्थ्य संबंधित सुरक्षा के प्रयासों का लाभ नहीं ले पा रहे हैं।