चार राज्यों की जीत से गदगद पुरंदेश्वरी को छत्तीसगढ़ में उम्मीद…

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(अर्जुन झा)

जगदलपुर। भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय महामंत्री और छत्तीसगढ़ प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी का आज बस्तर के तीन दिवसीय प्रवास पर आगमन हुआ। भाजपा प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी इस प्रवास में बस्तर के विभिन्न जिलों के संगठनात्मक दौरे पर हैं। बस्तर पहुंचने पर उनका आत्मीय स्वागत किया गया। इस अवसर पर मीडिया से बातचीत के दौरान डी. पुरंदेश्वरी ने भरोसा व्यक्त किया कि जिस तरह चार राज्यों के चुनाव में सफलता हासिल की है, उसी तरह अगले चुनाव में छत्तीसगढ़ में भी सफल होंगे।

उन्होंने बताया कि अपने प्रवास के दौरान वह बस्तर के नेताओं और कार्यकर्ताओं से मिलकर आगे की रणनीति बनाएंगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की विफलताओं पर भी चर्चा करेंगी। पुरंदेश्वरी बस्तर पर लगातार फोकस कर रही हैं। वह कोशिश कर रही हैं कि बस्तर में भाजपा की उखड़ चुकी जमीन को फिर से उपजाऊ बना सकें। छत्तीसगढ़ में बस्तर भाजपा के लिए मरुस्थल की तरह हो गया है। यहां बस्तर लोक सभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा है तो अंचल की सभी 12 विधानसभा सीटें, नगरीय निकाय और पंचायती राज संस्थाओं पर कांग्रेस का हाथ बहुत मजबूत है। ऐसी स्थिति में पुरंदेश्वरी का सारा जोर इस पर है कि नेताओं द्वारा की गई उपेक्षा के कारण जो जमीनी कार्यकर्ता घर बैठ गए हैं, उन्हें सक्रिय किया जाए। इसीलिए वह छत्तीसगढ़ के बड़े-बड़े नेताओं को दरकिनार कर अकेली ही बस्तर में कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर संघर्ष करने की रणनीति पर आगे बढ़ रही हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि हाल ही हुए पांच राज्यों के चुनाव में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए चार राज्यों में जीत हासिल की है और इससे भाजपा के छत्तीसगढ़ और बस्तर के कार्यकर्ताओं में उत्साह उत्पन्न हुआ है। लेकिन छत्तीसगढ़ में स्थिति अलग है। चार राज्यों की जीत की चमक पुरंदेश्वरी के चेहरे पर साफ नजर आ रही है। उनका सपना है कि बस्तर में फिर से कमल खिले।

बस्तर ने तो भाजपा का बहुत साथ दिया लेकिन यहां भाजपा जनता तो दूर अपने कार्यकर्ताओं की उम्मीदों पर भी खरी नहीं उतर सकी। लिहाजा कार्यकर्ता निराश होकर पार्टी के कार्यक्रमों से दूर होते चले गए। जिसके परिणाम स्वरूप बस्तर में भाजपा ने अपनी साख खो दी। बस्तर में भाजपा की जड़ें खोखली करने में उन नेताओं का ही हाथ है जो 15 साल तक सत्ता का सुख तो भोगते रहे लेकिन न तो अपने कार्यकर्ताओं पर ध्यान दिया और न ही जनता की जरूरतों पर। हवा-हवाई विकास के दावे खोखले साबित हुए और आखिरकार बस्तर से भाजपा का सफाया हो गया। अब पुरंदेश्वरी बस्तर में नए सिरे से भाजपा की जमीन तलाश रही हैं तो उनके सामने यही चुनौती है कि वह अपने समर्पित कार्यकर्ताओं में चेतना किस तरह और किस स्तर तक जागृत कर पाती हैं।