राजमहल क्या भाजपा को फिर देगी बस्तर में संजीवनी, राजनीति जो ना कराये वह भी कम, बृजमोहन ने दिये नये जज़्बात को जन्म

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(अर्जुन झा)

जगदलपुर। बस्तर में राजमहल के फरमान को सिर माथों में आदिवासियों द्वारा अभी भी लिया जाता है जिसकी बानगी दशहरा पर्व में देखने को मिलता है तथा इससे इतर गांव-गांव में महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव की पूजा गुडियों (देवगुडी) व घरों में तश्वीर रखकर पूजा अर्चना किया जाता है किंतु यह राजमहल छत्तीसगढ़ बनने और भाजपा के 15 वर्षो तक कुल 18 वर्षो तक उपेक्षित था और अभी भी उपेक्षित है जिसके कारण अब भारतीय जनता पार्टी अब बस्तर में पु:न संजीवनी पाने आदिवासियों की भावनाओं को अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रहा है क्या उसे संजीवनी मिल पायेगा अटकलें तेज हो गई क्योंकि आदिवासियों के भगवान प्रवीर चंद्र भंजदेव व लोहंडीगुड़ा गोलीकांड के मुद्दे को चुनाव के ठीक डेढ़ वर्ष पूर्व उठाकर यह साबित कर दिया है। इस काम को और किसी ने नहीं भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश स्तरीय बड़े व कद्दावर नेता बृजमोहन अग्रवाल ने उठाकर नये जज़्बात को जन्म दे दिया है।

15 वर्षों तक लोहंडीगुड़ा व राजमहल गोलीकांड़ की नहीं ली सुध

2003 में कांग्रेस पार्टी को पटकनी देकर छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने वाली भारतीय जनता पार्टी ने 15 वर्षो तक कभी भी लोहंडीगुड़ा गोलीकांड व प्रवीर चंद्र भंजदेव हत्याकांड मामले में अपनी स्टैंड क्लियर नहीं किया और तो और वह 2018 के बाद चार वर्षों तक इससे बचती रही किंतु इस वर्ष महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव के शहादत दिवस पर बड़ी सभा कर भाजपा ने एक नई बहस छेड़ दिया है जिसको लेकर भाजपाइयों के साथ साथ कांग्रेस पार्टी भी हतप्रभ हैं और तुर्रा यह कि 2023 में सरकार बनने पर लोहंडीगुड़ा गोलीकांड और राजमहल गोलीकांड की जांच करने की बात भाजपा के बड़े पदाधिकारी कर रहें जोकि अनायास ही सभी लोगों का ध्यान बरबस ही इस ओर केंद्रित हो रही है। भाजपा के छत्तीसगढ़ के सर्वेसर्वा माने जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह दशहरा पर्व पर कई बार राजमहल की ड्योढ़ी चढ़े किंतु वह इस मामले पर कभी भी अपनी व्यक्तिगत राय नहीं रखी या सरकार के मुखिया के नाते इस मुद्दे पर कुछ कहा, क्या अब सत्ता में पु:न आने के बाद इस पर कोई कार्यवाही करा पाएगी क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के पास इस किले को जीतने के लिए मजबूत चेहरे का अकाल है या राजपरिवार को इसके लिए कमान सौंपेंगी।

बृजमोहन के बयान पर चौक चौराहों में हंसी-ठिठोली

वर्ष 2003में बृजमोहन अग्रवाल रमन कैबिनेट के गृहमंत्री थे।उस दौरान जब वह इस मुद्दे पर सुध नहीं लिए तो कल के पत्रकार वार्ता के बाद जो उन्होंने बयान दिया है चौक चौराहों में उनका बयान हंसी ठिठोली बनकर रह गया है। कई लोगों का कहना है कि गृहमंत्री पद छोड़ने के बाद वह मंत्रालय में अहम पदों पर रहे,उस दौरान भी कभी राजमहल नहीं झांकने वाले ऐसे बयान देकर सिर्फ और सिर्फ वह सुर्खियों में ही बने रहने के सिवाय कुछ नहीं है। फिलहाल अभी भाजपा के लिए दो वर्ष का समय है और इस दौरान वह इस मुद्दे से जनता को कितना जोड़ पाता है वह तो भविष्य की गर्त में है किंतु यह एक राजनीतिक बहस का बड़ा मुद्दा है।

क्या है बस्तर राजपरिवार की पूरानी राजनीतिक ताकत

बस्तर में आज से 59 वर्ष पूर्व लोहंडीगुड़ा गोलीकांड हुआ था जिसमें हजारों आदिवासी मारे गए और 56 वर्ष पूर्व महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव गोलीकांड में मारे गए। इनके मारे जाने से लगभग दस पूर्व महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव कभी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और तो और वह विधायक भी चुने गए किंतु उनका कांग्रेस पार्टी से मोहभंग हो गया। इस दौरान उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशियों को मैदान में उतारा और कांग्रेस पार्टी को जमींदोज कर दिया तथा इसके बाद प्रवीर चंद्र भंजदेव ने राजनीति से किनारा कर लिया और समय बीतते- बीतते उनकी कथित तौर पर हत्या हो गई तथा यह परिवार राजनीति से दूर हो गया फिर भी कोई भी राजनीतिक दल तीन वर्ष पूर्व तक उनसे दूरी बना कर ही चलता था। राजपरिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव 2018 विधानसभा चुनाव पूर्व भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए और उन्हें युवा आयोग अध्यक्ष जैसे पद पर आसीन किया गया किंतु भाजपा कोई करिश्मा नहीं दिखा पाया और बस्तर से भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया तथा बस्तर लोकसभा विधानसभा चुनाव में करारी हार हुई।