धरना, प्रदर्शन और जुलूस पर जारी आदेश पर सत्ता और विपक्ष में सियासत तेज
रायपुर। छत्तीसगढ़ में धरना, प्रदर्शन और जुलूस को लेकर सरकार के जारी आदेश के मुद्दे पर सत्ता और विपक्ष में सियासत तेज हो गई है। भाजपा के आरोपों का प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने जवाब देते हुए कहा, छत्तीसगढ़ में किसी भी प्रकार से शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन, धार्मिक, सार्वजनिक आयोजन पर कोई रोक नहीं है। भाजपा इस मामले पर भ्रम फैला रही है। जो नियम भाजपा शासनकाल में लागू थे उन्हीं नियमों के संबंध में जारी निर्देश को भाजपा अलोकतांत्रिक बता रही है।
पीसीसी अध्यक्ष मरकाम ने कहा, संवैधानिक नियमों की अवहेलना करते-करते भाजपा खुद अलोकतांत्रिक हो गई है। भाजपा सरकार में तो अखंड रामायण की भी अनुमति लेनी पड़ती थी। 23 बिंदुओं के शर्त के साथ साल 2014 में भी अनुमति दी गई थी। ऐसे कई उदाहरण हैं। भाजपा की यूपी सरकार भी अपने पुलिस अफसरों को निर्देश दिए हैं कि धरना प्रदर्शन के लिए 9 बिंदुओं पर अनुमति लेना होगा। इसके साथ ही शपथ पत्र भी देना होगा। कई राज्यों और दिल्ली में भी ऐसे नियम लागू है। फिर यहां ये नियम अलोकतांत्रिक कैसे हो गया? बीजेपी का ये दोहरा चरित्र है। लोगों को भाजपा गुमराह कर रही है।
विरोध में जिलों में जेल भरेगी भाजपा
इधर, भाजपा प्रदेश कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में कोर ग्रुप की बैठक में सरकारी फरमान के विरोध में आंदोलन की रणनीति बनाई गई। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा, सरकार लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन कर रही है। इसके विरोध में भाजपा हर जिले में प्रदर्शन करेगी। हर जिले में जेल भरो आंदोलन चलाया जाएगा।
विरोध से डर गई सरकार
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि कांग्रेस ने चुनाव से पहले जो वादा किया था, उसे पूरा नहीं कर रहे हैं। सरकार सभी वादे भूल गई है। अब कर्मचारी से लेकर अलग-अलग संगठन विरोध कर रहे हैं। इस विरोध से सरकार डर गई है और तुगलकी फरमान जारी किया है। प्रदेश में मिनी आपातकाल लगाने की कोशिश की जा रही है, जिसका भाजपा का हर कार्यकर्ता विरोध करेगा। यह सरकार डरी हुई है। जब तक रोक को लेकर जारी सर्कुलर को वापस नहीं लिया जाता है, तब तक भाजपा विरोध करती रहेगी।