बारिश ने तोड़ा आशियाना, लचर सिस्टम ने तोड़ डाली उम्मीदें

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  • पांच माह से 10 गज के सरकारी टीन शेड में जिंदगी बसर कर रहा है पांच सदस्यों वाला आदिवासी परिवार
  • बरसात में ढह गया मकान, परिवार ने सामुदायिक भवन के टीन शेड को बनाया अपना बसेरा
  • आवेदन देने के बाद भी अब तक नहीं मिल पाया सरकारी मुआवजा


अर्जुन झा
बस्तर एक आदिवासी परिवार का मकान बीते मानसून के दौरान भारी बारिश के चलते धराशाई हो गया। पीड़ित परिवार के पांचों सदस्यों को करीब पांच माह से सरकारी सामुदायिक भवन के महज दस गज के टीन शेड तले गुजारा करना पड़ रहा है। आवेदन देने के बाद भी इस परिवार को अब तक न तो मुआवजा मिला है, न ही किसी तरह की सरकारी मदद। ऐसे मामलों में तत्काल संवेदनशीलता दिखाने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की छवि को अधिकारी – कर्मचारी धूमिल करने पर आमादा हैं।


मामला बस्तर विकासखंड की ग्राम पंचायत रतेंगा -2 का है। यहां निवासरत आदिवासी झुमरू राम कश्यप का कच्चा मकान मानसून के दौरान हुई भारी बारिश में ढह गया। इस झोपड़ीनुमा मकान में कश्यप परिवार के पांच सदस्य मुखिया झुमरू राम कश्यप, उसकी पत्नी सुकाली कश्यप, बेटी कमली, बेटा परमेश्वर और छोटी बेटी प्रमिला रह रहे थे। परिवार के पास और कोई दूसरा मकान नहीं है, लिहाजा भरी बरसात में परिवार को गांव में निर्मित सामुदायिक भवन के टीन शेड में आश्रय लेना पड़ा। यह टीन शेड बमुश्किल दस गज जमीन पर बना है। बरसात के मौसम से लेकर अब तक यह परिवार उसी टीन शेड के तले गुजर बसर करता आ रहा है। टीन शेड में न तो बिजली की व्यवस्था है, न ही पेयजल की। परिवार को कड़े संघर्ष के दौर से गुजरना पड़ रहा है। परिवार के तीनों बच्चे पढ़ाई करते हैं। उनके अध्ययन के लिए टीन शेड के एक हिस्से को पुरानी साड़ियों से घेरकर अलग कक्ष बनाया गया है। बड़ी बेटी आठवीं में, बेटा पांचवी में और छोटी बेटी तीसरी कक्षा में अध्ययनरत हैं। शेड के शेष बचे हिस्से को रसोई और शयन कक्ष के रूप में उपयोग किया जाता है। महज दस गज के इस शेड में पांच सदस्यों वाले परिवार का गुजारा कैसे चल रहा होगा, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। परिवार के मुखिया ने मकान ढह जाने की जानकारी लिखित आवेदन के माध्यम से अपने सरपंच और पटवारी को उसी समय दे दी थी, मगर पांच – छः माह बीत गए, परिवार को किसी तरह की राहत पहुंचाने की कोशिश सरकारी स्तर पर नहीं की गई। ग्राम पंचायत ने टीन शेड में रहने देने के सिवाय परिवार की कोई मदद नहीं की है। इसी सामुदायिक भवन में ग्रामीण सचिवालय, ग्राम पंचायत दफ्तर और जन्म, मृत्यु पंजीयन कार्यालय संचालित हैं।

सरकार की छवि बिगाड़ रहे हैं कर्मी
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की संवेदनशीलता के अनेक उदाहरण सामने आ चुके हैं। बस्तर संभाग के पचासों पीड़ितों को मुख्यमंत्री ने हर तरह की सहायता उपलब्ध कराई है। प्राकृतिक आपदाओं के मामले में श्री बघेल ने पीड़ितों को तत्काल मदद पहुंचाने के स्पष्ट निर्देश अधिकारियों को दे रखे हैं। वहीं रतेंगा – 2 के पीड़ित आदिवासी परिवार के आवेदन देने के बावजूद किसी तरह की सहायता न पहुंचाकर अधिकारी, कर्मचारी राज्य सरकार और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की छवि को धूमिल कर रहे हैं।
भूपेश सरकार ने रोकी पीएम आवास योजना
राजनांदगांव के सांसद एवं भाजपा के बस्तर संभाग प्रभारी संतोष पाण्डेय तथा प्रदेश भाजपा के महामंत्री एवं राज्य के पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने भूपेश बघेल सरकार पर आदिवासियों और गरीबों को केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना एवं मोर आवास मोर अधिकार योजना के लाभ से वंचित रखने का आरोप लगाया है। ग्राम बनियागांव में आयोजित एक कार्यक्रम में पाण्डेय एवं कश्यप ने कहा कि भूपेश बघेल सरकार गरीब और आदिवासी विरोधी है। केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ राज्य के 22 लाख परिवारों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के मकानों का निर्माण कराने की मंजूरी दी है। दो साल गुजर जाने के बाद भी भूपेश बघेल सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना पर अमल नहीं कर रही है। भूपेश बघेल सरकार गरीबों और आदिवासियों को आवास के अधिकार से वंचित कर रही है। इस गरीब और आदिवासी विरोधी सरकार को आगामी विधानसभा चुनावों में राज्य की जनता जरूर जवाब देगी।
पटवारी से मंगाएंगे प्रतिवेदन
बारिश के कारण मकान ढहने तथा अन्य प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित जितने भी प्रतिवेदन पटवारियों से प्राप्त हुए थे, उनका निराकरण कर दिया गया है। अगर रतेंगा – 2 के आदिवासी परिवार का प्रकरण छूट गया होगा, तो वहां के पटवारी से जल्द प्रतिवेदन मंगाकर पीड़ित परिवार को शासन की योजना के अनुरूप सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
-चित्रसेन साहू
तहसीलदार, बस्तर