तीरथगढ़ माघी मेले में धड़ल्ले से चल रहा है खड़खड़ी का खेल

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  • आदिवासियों को जुए का आदी बना रहे हैं अपराधी तत्व
  • पुलिस की नाक के नीचे चलाया जा रहा जुए का यह अवैध कारोबार

जगदलपुर बस्तर के प्रसिद्ध मड़ई मेलों में अपराधी तत्व खुलेआम खड़खड़ी का खेल चला रहे हैं। यह खेल जुआ का ही एक रूप है। अंतर सिर्फ इतना है कि इस जुए में ताशपत्ती का उपयोग नहीं होता, लेकिन इस खेल के फेर में फंसकर आदिवासी अपनी कमाई दांव पर लगाकर बर्बाद हो रहे हैं।बस्तर में इन दिनों मड़ई मेलों का सीजन चल रहा है।

बस्तर के प्रसिद्ध पर्यटन और देवस्थलों में मांघी मेले का दौर लगातार जारी है। इन मेलों का आकर्षण ऐसा रहता है कि इनका लुत्फ़ उठाने बस्तर संभाग के साथ ही दूर दूर से भी पर्यटक यहां पहुंचते हैं। प्राकृतिक छटाओं और विहंगम जलप्रपात के अनुपम सौंदर्य से भरपूर तीरथगढ़ में भी मांघ पूर्णिमा मेला लगा हुआ है। तीरथगढ़ में भी देश- विदेश के पर्यटक आकर इस क्षेत्र के सौंदर्य का दर्शन करते हैं। तीरथगढ़ में माघ पूर्णिमा के अवसर पर आज से मेला का आयोजन प्रारंभ हुआ है। शांति व्यवस्था बनाने के लिए दरभा थाने का पुलिस बल तैनात है, लेकिन पुलिस की मौजूदगी का कोई असर अपराधी तत्वों पर पड़ता नहीं दिख रहा है। इस मेले में मनोरंजन के नाम खड़खड़ी का खेल चलाया जा रहा है। स्थानीय पुलिस के संरक्षण में प्रतिबंधित खड़खड़ी का खेल खेलाया जा रहा है। इस खेल के माध्यम से लोगों को एक रूपए के 16 रूपए देने का झांसा देकर खड़खड़ी संचालक लोगों की जेब काटने पर तुले हुए हैं। एक के सोलह के चक्कर में भोले भाले आदिवासी ग्रामीण सबकुछ लुटाकर तबाह होते जा रहे हैं। पिछले 2 दिनों से इस क्षेत्र में चल रहे मेले में मुर्गा बाजार का भी आयोजन हुआ था। मुर्गा बाजार में भी धड़ल्ले से स्थानीय पुलिसकर्मी खड़खड़ी का खेल चलाने में अपना संरक्षण देते नजर आ रहे थे। पुलिस के संरक्षण में यह खेल आज भी जारी है। मेले में खड़खुड़ी खेलाए जाने के सवाल पर क्षेत्र के डीएसपी ऐश्वर्या चंद्राकर ने कहा कि मेले में तो, नहीं लेकिन मुर्गा बाजार के आसपास कुछ लोग खड़खड़ी जरूर चलाते हैं। चंद्राकर ने कहा कि पुलिस ऐसे लोगों की धरपकड़ कर रही है, फिर भी लोग चोरी छिपे खड़खड़ी चलाने में कामयाब हो जाते हैं।