एक जून से दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष शुरू करेंगे कर्मचारी

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  • चरणबद्ध आंदोलन करेंगे आदिम जाति कल्याण विभाग के कर्मचारी
  • तीन सूत्रीय मांगों को लेकर पहले मुख्यमंत्री के नाम सौंपेंगे ज्ञापन

तोकापाल आदिम जाति कल्याण विभाग के कर्मचारी अपने परिवार के लिए दो जून की रोटी मुहिम के तहत 1 जून से चरणबद्ध आंदोलन की तैयारी में हैं। इस संबंध में कर्मचारी संघ द्वारा संचालनालय आदिम जाति कल्याण विभाग को तथा समस्त जिला स्तर के अधिकारियों को पत्र के जरिए सूचना दे दी गई है। आदिम जाति कल्याण विभाग कर्मचारी संघ के मुताबिक प्रदेशभर में स्वीकृत पदों के विरुद्ध कार्यरत 8672 कर्मचारी एक जून से दो जून की रोटी का सम्मानजनक अधिकार लेने के लिए मुख्यमंत्री को उनका वादा याद दिलाने सभी जिलों में 1जून दोपहर ठीक 1 बजे रैली निकालकर मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपेंगे और चरणबद्ध आंदोलन का आगाज करेंगे। प्रमुख तीन मांगों को लेकर आंदोलन की रणनीति ऑनलाइन बैठक के माध्यम से प्रदेश के कर्मचारियों ने बनाई है। उनकी मांगों में कलेक्टर व सहायक आयुक्त द्वारा आदेशित कर्मचारियों, अनुमति, ज्ञापन, पंचायत प्रस्ताव से नियुक्त कर्मचारियों, मेस संचालन हेतु अनुभव प्राप्त मौखिक आदेश के तहत नियुक्त रसोइयों, जलवाहकों, चौकीदारों, पूर्णकालिक सफाई कर्मियों, पूर्णकालिक स्वेच्छा कर्मचारियों, सीधी भर्ती वाले कर्मियों आदि को अकास्मिक निधि में समायोजन कर उनका वेतन निर्धारण करने एवं सीधी भर्तियां रद्द करने, नियमित कर्मचारियों के लिए नवीन पद सहायक अधीक्षक सृजित करने या फिर अधिक्षक श्रेणी डी पर भर्तियों में 25 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान कर पदोन्नति देने और तब तक नई भर्तियां न करने एवं सभी कर्मचारियों को अन्य विभागों की तरह शासकीय अवकाश देने या फिर तेरह माह का वेतन भुगतान करने की मांगें शामिल हैं।

कार्य का स्वरूप एक, मापदंड अलग क्यों?

ज्ञात हो कि वर्षों से स्वीकृत पद के विरुद्ध कार्यरत समस्त चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को अकास्मिक निधि में समायोजन कर वेतन निर्धारण कराने एवं पदोन्नति के लिए कार्य, प्रकृति एवं अनुभव को आधार मानकर सहायक अधीक्षक पद सृजित करने या फिर अधीक्षक श्रेणी डी के पद पर 25 प्रतिशत पदोन्नति देने का प्रावधान करने के बाद ही भर्तियां निकाली जाएं। ऐसा प्रावधान न होने कि स्थिति में हर स्तर से विरोध प्रदर्शन करने का मन कर्मचारी बना चुके हैं। अन्य सभी समस्त विभागों की तरह आश्रमों व छात्रावासों में कार्यरत कर्मचारियों को भी शासकीय अवकाश दिए जाने की मांग कर्मचारी लंबे समय से करते आ रहे हैं। शासन की ओर से कहा जाता है कि छुट्टी का प्रावधान नहीं है। कर्मचारी आपसी सहमति के आधार पर ही अवकाश ले पाते हैं। उसके बाद भी उन पर 24 घंटे की ड्यूटी का बोझ डालकर उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। कर्मचारी संघ का कहना है कि स्कूल शिक्षा विभाग और आदिम जाति शिक्षा विभाग एक दूसरे के पूरक हैं। स्कूल शिक्षा विभाग के कर्मचारियों का अवकाश तो मिल जाता है, लेकिन आदिम जाति कल्याण विभाग के छात्रावासों के कर्मचारियों को कोई छुट्टी नहीं मिलती है। काम का भरी दबाव होने तथा किसी प्रकार की सुविधाएं ना मिलने के कारण इस विभाग के कर्मचारी मानसिक, आर्थिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित तथा आक्रोशित हैं।शासन द्वारा छात्रावासों व आश्रमों के छात्रों लिए अध्ययन कार्य हेतु 10 महिने का स्वीकृति आदेश जारी होता है, लेकिन छात्र वर्ष भर रहते हैं। ऐसे में कर्मचारियों सालभर रोज 24 घंटे कार्य लिया जाता है। ग्रीष्मकालीन सहकर्मी अगर दैनिक हो तो उन्हें कार्य से बिठा दिया जाता है।

बैठक में ये पदाधिकारी रहे मौजूद

बैठक में संघ के प्रांताध्यक्ष हरीराम सेन,प्रांतिय सचिव विजय कुमार पाल, महामंत्री प्रभुनाथ पाणीग्रही, उपप्रांता,दिलीप खूंटे, चंद्रशेखर, अनुशासन समिति अध्यक्ष गीता देवांगन एवं सदस्य पायल, अनुपमा, दीपमाला, महिला विंग की दीप्ति तिवारी, संभाग अध्यक्ष दलवीर रजवाड़े, डॉक्टर सिन्हा, निर्मल चौहान, विकास देशमुख, अशोक गवेल, संरक्षक मोहन चौहान, रामनाथ कौशिक, जिलाध्यक्ष रामधन, गुड्डू पंडो, भोरे चंचल, रामस्वरूप, सीताराम सुरजपुर, जगजीवन, सीताराम जांजगीर, जमुना बाई साहू, रमेश साहू, कनक चक्रधारी, चंद्रहास, कांतिलाल, दिनेश बंजारे, चंद्र कुर्रे, प्रमोद सिन्हा, मोरे ठाकुर, सुबांधु आदि पदाधिकारी उपस्थित थे।