कांग्रेस जमीन पर उतर रही और हवा में उड़ेगी भाजपा

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(अर्जुन झा)

जगदलपुर छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर 28 मई से बस्तर के सातों जिलों का संगठन दौरा करेंगे। अगले माह कांग्रेस बस्तर में संभागीय सम्मेलन करने वाली है। इससे पहले माथुर उड़नखटोले की सैर कर भाजपा की जमीन इस तरह तैयार करने की कोशिश करेंगे कि चुनावी फसल लहलहा उठे। भाजपा के प्रदेश प्रभारी माथुर का बस्तर दौरा तय हो गया है। वे भाजपा कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोलने पूरे बस्तर में हवाई दौरा करेंगे। पिछले दौरे में वे जमीनी हालात से सही ढंग से रूबरू नहीं हो सके। अब हवाई दौरे कर कार्यकर्ताओं को उत्साहित करेंगे। भाजपा कार्यकर्ताओं को यह समझ नहीं आ रहा कि उनके मार्गदर्शक केवल दर्शन देने आ रहे हैं कि चुनाव प्रचार के लिए सभा करने? हवाहवाई दौरे संगठन को मजबूत नहीं कर सकते। हवाई दौरे ज्यादा से ज्यादा चुनावी सभाओं के लिए ठीक हैं किंतु इस तरह के दौरों से संगठन तक पहुंचने की केवल रस्म अदायगी ही हो सकती है। कांग्रेस कह सकती है कि हम से जमीन पर मुकाबला नहीं कर सकते तो माथुर आकाश में भिड़ेंगे। वैसे विधानसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर बस्तर सत्ताधारी कांग्रेस और विपक्ष में बैठी भाजपा दोनों की ही पहली प्राथमिकता है। इस राज्य की सत्ता का रास्ता वनप्रांतर बस्तर से होकर गुजरता है। बस्तर जिसके साथ, उसका ऊंचा हाथ। पिछले विधानसभा चुनाव में बस्तर का साथ मिलने से कांग्रेस का हाथ मजबूत हुआ तो सरगुजा ने भी कांग्रेस का सिर ऊंचा किया। बस्तर से चली बदलाव की आंधी से भाजपा का फूल पूरे छत्तीसगढ़ में उखड़ गया। बस्तर में तो कमल सरोवर ही उजड़ गया। लोकसभा चुनाव से लेकर दंतेवाड़ा, चित्रकोट, भानुप्रतापपुर उपचुनाव में भी कांग्रेस ने जंग जीती। इसके साथ ही नगरीय निकायों से लेकर पंचायती राज के चुनाव तक सब के सब कांग्रेस के पक्ष में गए। उम्मीद की जा रही थी कि भाजपा प्रदेश में अपना पुराना गौरव प्राप्त करने बस्तर में खुद को सबसे पहले खड़ा करेगी। वह कोशिश भी कर रही है लेकिन यह कोशिश सिरे चढ़ेंगी, इसका डंके की चोट पर दावा भाजपा के स्थानीय नेता तक नहीं कर सकते। भाजपा पिछले विधानसभा चुनाव के पहले से लेकर अब तक हवा में उड़ रही है। उसके पैर उखड़ गए मगर सबक सीखने और हालात के मुताबिक प्रयास करने वह तत्पर नहीं दिख रही। अब तक तो वह बस्तर में अपनी जमीन पुख्ता कर सकती थी लेकिन इसके लिए ठोस उपाय नहीं किए। भाजपा प्रयोगवाद में उलझी हुई है। उसके नेता मैदानी कार्यकर्ताओं का मन नहीं जीत पा रहे हैं तो यह कैसे मुमकिन है कि जनता का दिल जीत लेंगे? इधर कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल साढ़े चार साल से लगातार पूरे बस्तर की परिक्रमा कर रहे हैं। भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान उन्होंने बस्तर के सातों जिलों की सभी बारह विधानसभा सीटों के चप्पे चप्पे में सीधे तौर पर जनता के मन की बात सुनी। कांग्रेस के कार्यकर्ता के मन की बात सुनी। अपने विधायकों के कामकाज और उनकी लोकप्रियता की स्थिति का जायजा लिया। जनता से मिले फीडबैक पर जहां जरूरत समझी, वहां नट बोल्ट टाइट कर दिए। प्रशासनिक सर्जरी कर ही चुके हैं। पॉलिटिकल सर्जरी सही समय पर सही तरीके से करेंगे, यह बस्तर समझ चुका है और भाजपा को भी समझना होगा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बस्तर से कांग्रेस के मखमली बिस्तर पर सलवटें नहीं पड़ने दे सकते। उन्होंने जो जमीनी तैयारी कर रखी है, उसका मुकाबला हवाई सैर से नहीं हो सकता। माथुर को भाजपा के संगठन को मजबूत करना है तो पर्याप्त समय निकालें। अभी छह महीने बाकी हैं, बस्तर के ओर छोर की खाक छानें।