- जिला प्रशासन के अफसर, ठेकेदार और सप्लायर्स के छूट रहे हैं पसीने
जगदलपुर ईडी द्वारा चाही गई जानकारी देने में भौमिकी एवं खनिज विभाग के डायरेक्टर की पहल पर सभी जिला कलेक्टरों ने तत्परता दिखाई है। ईडी के अचानक उठाए गए कदम से प्रशासन तंत्र, ठेकेदारों और सप्लायर्स में हड़कंप मच गया है। ईडी के क्षेत्रीय कार्यालय ने संचालक भौमिकी एवं खनिज विभाग छ्ग शासन को पत्र भेजकर जिला खनिज न्यास ट्रस्ट की राशि के आवंटन, खर्च, ठेकेदारों, सप्लायर्स का ब्यौरा मांगा है। ईडी को विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराने की अंतिम तिथि 4 अगस्त थी। जिस दिन से खनिज विभाग के संचालनलय से इस आशय का परिपत्र जिला खनिज न्यास ट्रस्ट के अध्यक्ष सह कलेक्टरों को जारी हुआ है, तभी से सभी जिला कार्यालयों में हड़कंप के हालात हैं। आनन फानन में सारे पुराने रिकॉर्ड खंगालकर जानकारी संग्रहित की जाने लगी थी।
ईडी ने जिन बिंदुओं पर जानकारी मांगी है, उनमें प्रमुख हैं जिलों में डीएमएफ से कितनी राशि जारी की गई है विभागों और एजेंसियों को इसकी वर्षवार जानकारी उपलब्ध कराएं, जिलों द्वारा इस फंड से जिन विभागों, एजेंटों से कार्य करवाया गया है उन विभागों व ठेकेदारों के नाम उन फर्मों के नाम और उनके पेन नंबर जीएसटी नंबर उपलब्ध करवाएं। सूत्रों के अनुसार डीएमएफ फंड का छत्तीसगढ़ सरकार ने जो 6583 करोड़ रुपए खर्च किए हैं, इसमें सबसे ज्यादा राशि कोरबा जिले के हिस्से में गई है। कोरबा जिले में डीएमएफटी मद से 1246 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। दूसरे नंबर पर बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा जिला है, जहां 8753 रुपए इस फंड से खर्च किए गए हैं।
2005 से 2023 तक के आवंटन की हो जांच
ईडी द्वारा डीएमएफ फंड की बारीकी से जानकारी मांगी गई है और जांच की जा रही है। उससे शासन, जिला प्रशासन में एवं उन तथाकथित सप्लायर और ठेकेदारों में हड़कंप मचा हुआ है। चर्चा है कि इसमें करोड़ों रुपए की बंदरबांट हुई है। मीडिया कर्मियों और बुद्धिजीवी लोगों का मानना है कि डीएमएफटी के आवंटन की जांच सन 2005 से लेकर 2023 तक की की जानी चाहिए। इससे पता चल जाएगा कि किस तरीके से छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार का नंगा नाच हुआ है?