- दीपक बैज, मोहन मरकाम, संतराम नेताम टिक नहीं पाए बस्तर की पथरीली पिच पर
- एक कलेक्टर और दो पूर्व मंत्रियों ने हासिल की फतह
अर्जुन झा
जगदलपुर बस्तर की पथरीली पिच पर कांग्रेस के कई धुरंधर खिलाड़ी जहां क्लीन बोल्ड हो गए, वहीं अपनी चुटीली बातों की फिरकी चलाकर लोगों का दिल जीतने में महारत प्राप्त कवासी लखमा ने जीत का छक्का लगा दिया और एक नया इतिहास रच दिया है। कांग्रेस के दिग्गज खिलाडियों को रन आउट कराने में उनकी अपनी ही टीम के लोगों का बड़ा योगदान रहा है। ऐसे विभीषणों को इन्हीं दिग्गज नेताओं ने राजनीति का ककहरा सिखाया था। शायद इन नेताओं को इस बात का इल्म नहीं था कि आगे चलकर यही आस्तीन के सांप उन्हें डस लेंगे। इधर बस्तर संभाग से दो पूर्व मंत्री लता उसेंडी और केदार कश्यप तथा एक आईएएस नीलकंठ टेकाम भाजपा से जीत दर्ज कराने वालों में शुमार हैं।
बस्तर संभाग की अधिकतर विधानसभा सीटों के चुनाव परिणाम बेहद चौकाने वाले रहे हैं। जिन सीटों पर प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी मुकाबले में कहीं नजर ही नहीं आ रहे थे, वहां भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। सबसे ज्यादा चौंकाया है चित्रकोट विधानसभा सीट के नतीजे ने। शुरू से कहा जा रहा था कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं प्रत्याशी दीपक बैज यह सीट बड़ी ही आसानी से निकाल लेंगे। मगर जब नतीजा आया, तो सबकी आंखें फटी की फटी रह गईं। किसी को भी यह बात हजम नहीं हो रही थी कि कांग्रेस हार चुकी है। वहीं राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले वरिष्ठ नेता के चक्रव्यूह को भेदकर कवासी लखमा जीत का सिक्सर लगाने में कामयाब रहे। चाणक्य अपने ही नेताओं को समझने में भूल कर बैठे और उनकी रणनीति फेल रही।चाणक्य ने जिस भाजपा नेताओं पर आंख मूंदकर भरोसा किया था, उन्हीं में से जिला स्तर के कुछ नेताओं ने कमल का गुणगान करते हुए साथ दिया हाथ का। जिसका खामियाजा कोंटा विधानसभा क्षेत्र में 6वीं बार भाजपा को भुगतना पड़ा। प्रदेश प्रभारी ओम माथुर ने सुकमा में बैठक लेकर जिम्मेदार पदाधिकारियों को जमकर फटकार लगाई थी। प्रदेश प्रभारी की फटकार भी काम नहीं आई।चित्रकोट विधानसभा सीट पर भी पीसीसी चीफ के लिए निगम मंडल के दिग्गज नेताओं ने गड्ढा खोद रखा था। इसका खामियाजा दीपक बैज को भुगतना पड़ा। श्री बैज ने भितरघात करने वालों की शिकायत प्रदेश हाईकमान से की थी।
मांझी ने डुबाई भाजपा की नैया
कई चुनावों में भाजपा को जीत दिला चुके वरिष्ठ नेता, जिसे चाणक्य के नाम से भी पार्टी में जाना जाता है। ऐसे सुलझे हुए नेता को कोंटा विधानसभा सीट की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। चाणक्य ने कोंटा से पांच बार विधायक चुने जा चुके कवासी लखमा को फंसाने चक्रव्यूह तो बढ़िया तैयार कर लिया था, लेकिन जिला स्तर के कुछ नेता ही ऐसे मांझी साबित हुए, जिन्होंने भाजपा की नैया डुबा दी। इन्हीं भाजपा नेताओं द्वारा चक्रव्यूह भेदने का रास्ता दिखा दिए जाने के कारण कवासी लखमा छक्का लगाने में सफल हो गए और एक बार फिर भाजपा प्रत्याशी सोयम मुका को पराजय का सामना करना पड़ा।
मुंह में राम, बगल में छुरी
कोंटा क्षेत्र में कमल नाम की माला जपने वालों ने हाथ को दिया साथ और खेल हो गया। मिली जानकारी के अनुसार सुकमा जिले के 3- 4 नेता तो गुणगान कमल का करते रहे लेकिन भीतर ही भीतर कांग्रेस के साथ हाथ मिलाकर अपनों को दगा देने में उन्होंने कोई कसर बाकी नही छोड़ी। इसका खामियाजा भाजपा को भुगतान पड़ा। चाणक्य अपने इन तथाकथित सहयोगियों को पहचानने में चूक गए। जिन भाजपा नेताओं को चुनाव में महत्वपूर्ण जिम्मेदार सौंपी गई थी, उनमें से कुछ नेता कोंटा के निर्दलीय प्रत्याशी मनीष कुंजाम का समर्थन करने की अपील क्षेत्र के मतदाताओं से करते रहे। कोंटा क्षेत्र के संगठन में कसावट का अभाव भी भाजपा की हार का बड़ा कारण रहा।
अपनों के बुने जाल में फंस गए दीपक
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष व बस्तर के सांसद दीपक बैज को गैरों से ज्यादा अपनों ने ही नुकसान पहुंचाया है। खबर है कि निगम मंडल में काबिज कांग्रेस के ही कुछ जयचंद जैसे नेताओं ने चित्रकोट विधानसभा क्षेत्र में दीपक बैज को हराने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी। इन्हीं जयचंदों के इशारे पर भितरघात कराए जाने की खबर है। इसका फायदा भाजपा को मिला और कांग्रेस को यह सीट गंवानी पड़ गई। इन जयचंदों में शुमार एक मंत्री, पूर्व विधायक व निगम, मंडल तथा प्राधिकरण पर काबिज दो नेताओं और कांग्रेस के ग्रामीण जिला अध्यक्ष ने दीपक बैज को हराने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी थी। उनके खिलाफ शिकायत भी हाईकमान से दीपक बैज द्वारा की गई थी। हाईकमान ने बैज की शिकायत को नजरअंदाज कर दिया। इसका खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ा है। सूत्र बताते हैं कि इन्हीं जयचंद नेताओं को दीपक बैज ने पहले राजनीति का क, ख, ग सिखाया और महत्वपूर्ण पद दिलाने में कभी मदद की थी। उन्हीं आस्तीन के सांपों ने दीपक बैज को डस लिया।