अबकी बार छत्तीसगढ़ में चलेगा आदिवासियों का ही राज

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  • बस्तर से केदार कश्यप, लता उसेंडी और विक्रम उसेंडी बनाए जा सकते हैं मंत्री
  • हटेगा भाजपा के आदिवासी विरोधी होने का लेबल

अर्जुन झा

जगदलपुर अपने आदिवासी नेता विष्णुदेव साय को छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री बनाकर भारतीय जनता पार्टी ने छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि तेलंगाना, ओड़िशा, महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों के आदिवासियों का भी दिल जीत लिया है। अब आदिवासी मुख्यमंत्री विष्णुदेव के मंत्रिमंडल में बस्तर के भी कम से कम तीन आदिवासी विधायकों को जगह मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। ये विधायक हैं केदार कश्यप, विक्रम उसेंडी और लता उसेंडी। ये तीनों ही पहले भी मंत्री रह चुके हैं तथा उन्हें राजकाज का खासा अनुभव है। इन्हें मंत्री बनाकर भाजपा आदिवासी समुदाय के बीच फैलाई गई गलतफहमी को न सिर्फ दूर कर लेगी बल्कि लोकसभा चुनावों में देश के आदिवासी बहुल राज्यों में अच्छी जीत दर्ज भी करा सकती है। बस्तर के आदिवासी तो भाजपा के इस फैसले से आल्हादित होकर कहने भी लगे हैं कि अबकी बार छत्तीसगढ़ में चलेगा आदिवासियों का राज और 2024 में फिर आएगा मोदी का राज।

वोट और तुष्टिकरण की राजनीति के वशीभूत कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, जेडीयू, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, आम आदमी पार्टी और अन्य तमाम विपक्षी दलों ने भाजपा के खिलाफ तरह -तरह की थ्योरियां गढ़ डाली हैं। ये सभी दल भाजपा पर आदिवासी, ओबीसी व मुस्लिम ईसाई विरोधी होने की तोहमत लगाते नहीं थकते। हर मंच पर इन दलों के नेता भाजपा को पानी पी पीकर कोसते रहते हैं कि भाजपा सिर्फ ऊंची जातियों और धन्ना सेठों का भला करने वाली पार्टी है, उसे आदिवासियों, अल्पसंख्यकों, ओबीसी की कोई चिंता नहीं है। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुरू से सबका साथ, सबका विश्वास, सबका विकास का मंत्र देते आए हैं और उस पर अच्छा काम भी कर रहे हैं। बावजूद मोदी सरकार के खिलाफ नरेटिव खड़ा करने में विपक्षी दल पीछे नहीं रहते। इस नरेटिव को भाजपा ने सबसे पहले दलित समुदाय से आने वाले रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति बनाकर तोड़ा, फिर आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाकर विपक्षी दलों का मुंह बंद करने का शानदार प्रयास किया। बावजूद विपक्ष अपनी हरकतों से बाज नहीं आया और नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से न कराए जाने को आदिवासी विरोधी होने का मुद्दा बनाकर खूब हो हल्ला मचाने लगा। मणिपुर हिंसा की घटनाओं में भी आदिवासी तड़का लगाकर भाजपा पर तीर छोड़ने में कोई कमी नहीं की गई। छत्तीसगढ़ विधानसभा के चुनावों में भी आदिवासी विरोध वाला मुद्दा हावी रहा, मगर छत्तीसगढ़ को विष्णुदेव साय के रूप में पहला आदिवासी मुख्यमंत्री देकर भाजपा ने विपक्ष की बोलती ही बंद कर दी है। हालांकि छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी भी खुद को आदिवासी समुदाय का बताते रहे हैं, लेकिन उनकी जाति को लेकर विवाद रहा है और विष्णुदेव साय विशुद्ध रूप से आदिवासी हैं। श्री साय को मुख्यमंत्री बनाए जाने से बस्तर के आदिवासियों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई है। यही नहीं बस्तर संभाग की सीमाओं से जुड़े तेलंगाना, ओड़िशा, आंध्रप्रदेश एवं महाराष्ट्र के साथ ही आदिवासी बहुल पड़ोसी राज्य झारखंड के आदिवासी भी स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। बस्तर के सबसे वरिष्ठ आदिवासी नेता, सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम भी भाजपा के इस कदम के मुरीद बन गए हैं। कांग्रेस के शीर्ष नेताओं में शुमार रहे अरविंद नेताम ने तो विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाए जाने का स्वागत करते हुए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की तारीफ करने में जरा भी गुरेज नहीं किया है। यह इस बात का प्रमाण है कि भाजपा ने ऐसा कदम उठाकर आदिवासियों का दिल जीत लिया है। बस्तर के आदिवासी यह कहते नहीं अघा रहे हैं कि अबकी बार छत्तीसगढ़ में आदिवासी सरकार और 2024 में फिर से मोदी सरकार। साथ ही बस्तर के आदिवासियों की चाहत है कि बस्तर संभाग से चुने गए ज्यादा से ज्यादा आदिवासी विधायकों को साय मंत्रिमंडल में जगह दी जाए।

बस्तर का हक तो बनता है

छत्तीसगढ़ में गठित होने जा रही भाजपा सरकार में सम्मानजनक स्थान पाने का हक तो बस्तर का बनता ही है। बस्तर संभाग से चुने गए वरिष्ठ भाजपा विधायकों में केदार कश्यप नारायणपुर सीट, लता उसेंडी कोंडागांव सीट और विक्रम उसेंडी अंतागढ़ सीट मंत्री पद पाने के वाजिब हकदार हैं। ये तीनों पहले भी भाजपा की सरकारों में मंत्री रह चुके हैं तथा उन्हें राजकाज और प्रशासन चलाने का व्यापक अनुभव है। बस्तर का आदिवासी समाज चाहता है कि केदार कश्यप, लता उसेंडी और विक्रम उसेंडी की वरिष्ठता और अनुभव का सम्मान करते हुए उन्हें मंत्री पद दिया ही जाना चाहिए। यहां यह बताना जरुरी है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में बस्तर के आदिवासी नेताओं को पर्याप्त महत्व दिया गया था। सुकमा जिले के कोंटा सीट के विधायक कवासी लखमा को आबकारी एवं उद्योग मंत्री बनाया गया था। कोंडागांव के निवर्तमान विधायक मोहन मरकाम को केबिनेट मंत्री व इसके पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, बस्तर लोकसभा क्षेत्र के सांसद दीपक बैज को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, नारायणपुर के निवर्तमान विधायक चंदन कश्यप को हस्तशिल्प विकास बोर्ड का अध्यक्ष, बस्तर के विधायक लखेश्वर बघेल को बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष एवं बीजापुर के विधायक विक्रम मंडावी को सदस्य बनाया गया था। इस लिहाज से सत्तारूढ़ होने जा रही भाजपा को भी ऐसा ही कदम उठाना होगा।