जिस गांव में देवी नहीं वह गांव-गांव ही नहीं: आचार्य कृष्ण कुमार तिवारी

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  •  योगमाया प्राकट्य के साथ मनाया श्रीकृष्ण जन्मोत्सव
  • भक्तों ने निकाली मां चंद्रघंटा की पालकी
  •  देवी भागवत कथा में जुट रहे प्रतिदिन सैंकड़ों भक्त
    जगदलपुर जिस गांव में देवी नहीं, वह गांव तो गांव ही नहीं है। इस बात को बस्ती के सियान अच्छी तरह से समझते हैं। इसीलिए हर गांव में शीतला माता मंदिर है। बस्तर वाले इसे मातागुड़ी कहते हैं। माता ही जग कल्याणी है। जिसे हम षोडश मातृका के नाम से जानते हैं तथा अलग-अलग नाम से पूजते हैं। यह 16 देवी ही परम श्रेष्ठ हैं। उक्त बातें मां दंतेश्वरी मंदिर में आयोजित श्रीमद् देवी भागवत महापुराण के तीसरे दिन महामाया धाम पाटन से पधारे आचार्य कृष्णकुमार तिवारी ने कही। देवी भागवत कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण और उनकी बहन योगमाया का प्राकट्य उत्सव मनाया गया। इसके साथ ही नगर में मां चंद्रघंटा की पालकी बड़े हर्ष और उल्लास के साथ निकाली गई। जिला पत्रकार संघ बस्तर द्वारा मां दंतेश्वरी मंदिर परिसर में श्रीमद् देवी भागवत महापुराण आयोजित है। अनुष्ठान के तीसरे दिन भगवान राम, कृष्ण, योगमाया अवतार के साथ ही मानव सृष्टि की उत्पत्ति की कथा सुनाई गई। कथा वाचन करते हुए आचार्य ने बताया कि भगवान विष्णु की प्रेरणास्रोत ही पराशक्ति देवी हैं। ब्रह्मांड में कई पृथ्वी हैं। जिनका का संचालन भी पराशक्ति देवी द्वारा प्रकट किए गए ब्रह्मा, विष्णु और महेश करते आ रहे हैं। पराशक्ति देवी ने ही उन्हें सरस्वती, लक्ष्मी और गौरी प्रदान की। उन्होंने बताया कि धर्म की पत्नी श्रद्धा, मित्र, दया, शांति आदि हैं। इसलिए धर्म के प्रति श्रद्धा, मित्रता, दया और शांति भाव प्रसाद ग्रहण करना चाहिए। पं. तिवारी ने कथा वाचन करते हुए बताया कि ब्रह्मा ने अपने छोटे पुत्र का नाम दक्ष रखा था। दक्ष का मतलब होता है अंगूठा और आज इंसान का अंगूठा हर कार्य में उपयोगी साबित हो रहा है। कहने का अर्थ यह है कि हमारे पौराणिक नामों का सदियों से अपना अलग वैज्ञानिक आधार है। जिसे नई पीढ़ी को समझने की आवश्यकता है। अनुष्ठान स्थल में भगवान की बहन योगमाया तथा भगवान कृष्ण जन्मोत्सव मनाते हुए दही लूट का आयोजन हुआ। इस उत्सव के तत्काल बाद नगर में शौंडिक और कुर्मी क्षत्रिय समाज द्वारा मां चंद्रघंटा की पालकी निकाली गई। जिसमें नगर के सैकड़ो भक्त जुटे। धरमपुरा की जसगीत मंडली भी प्रतिभागी रही। पालकी के मंदिर पहुंचने के बाद आरती हुई और प्रसाद वितरित किया गया।

आज के कार्यक्रम
सोमवार 18 मार्च को देवी भागवत महापुराण के तहत महिषासुर वध, कुंभ- निशुंभ कथा तथा देवी कालिका उत्पत्ति की कथा आचार्य पं. कृष्ण कुमार तिवारी द्वारा सुनाई जाएगी। तत्पश्चात चौथी पालकी निकाली जाएगी।