कंगोली के कोटगुड़ीन जलनी माता मंदिर में भव्य मेले के आयोजन के साथ हुई वार्षिक देवी जात्रा

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  •  कंगोली में अनेक गांवों की देवियों का हुआ आगमन
  • प्रदेश भाजपा अध्यक्ष किरण सिंह देव भी पहुंचे

जगदलपुर बस्तर संभाग के सभी गांवों कस्बों में वार्षिक मेला, जात्रा का आयोजन बीते कुछ माह से जारी है। बस्तर जिले के कंगोली स्थित कोटगुड़ीन जलनी माता मंदिर में भी मेले के आयोजन के साथ वार्षिक जात्रा पर्व मनाया गया।

आदिवासी संस्कृति और परंपरा के अनुरूप सभी विधि विधान किए गए। इस जात्रा पर्व में ग्राम के देवी देवताओं, सिरहा के अतिरिक्त जिले के विभिन्न शहरों व गांवों से पहुंचे श्रद्धालुओं ने ग्राम देवी और अन्य गांवों से आई देवियों का आशीर्वाद लिया। दो दिनों तक चले इस जात्रा पर्व में लाखों की संख्या मे श्रद्धालुओं ने देवी देवताओं के दर्शन किए। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व जगदलपुर विधायक किरण सिंह देव, बस्तर लोकसभा क्षेत्र के भाजपा सांसद प्रत्याशी महेश कश्यप, पूर्व विधायक लच्छूराम कश्यप, भाजपा नेता विद्याशरण तिवारी, नगर मंडल अध्यक्ष सुरेश गुप्ता, संग्राम सिंह राणा आदि भी जात्रा में शामिल हुए। इन सभी नेताओं ने देवी देवताओं की पूजा अर्चना कर बस्तर की सुख समृद्धि, खुशहाली और शांति स्थापना के लिए आशीर्वाद मांगा।

देवी को दी गई पशु बलि

मनोकामना पूर्ण होने पर तथा ग्राम रक्षा की खातिर और विपत्तियों से बचाने के लिए गांवों में बलि देने की प्रथा है।कंगोली की देवी जात्रा में भी बकरों, मुर्गों, बतखों आदि की बलि दी गई। दरअसल यह आदिवासियों की आस्था और परंपरा से जुड़ा हुआ मसला है। बस्तर के ग्रामीण देवगुड़ी में रोज बलि देते हैं। चाहे वह मुर्गी और अंडे की ही क्यों न हो। देवी को मनाने और उसकी उपासना की प्रथा को आदिवासी प्रमुखता से निभाते आ रहे हैं। विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा मे भी विभिन्न रस्मों मे पशु बलि दी जाती है। बलि प्रथा मानव जाति में वंशानुगत चली आ रही एक सामाजिक प्रथा और सामाजिक व्यवस्था है। इस आयोजन में ग्राम प्रमुख पटेल बलीराम, मंदिर पुजारी रामदास, कोटगुड़ीन जलनी माता समिति अध्यक्ष सोनी गौर, उपाध्यक्ष अनिता, चंपी, गंगा, कोषाध्यक्ष कमलबती, इंदु, सचिव चंपा नाग, सह सचिव रत्ना, सोनी, कुंबती, तुलसा, पार्षद दयाराम कश्यप, राजू बघेल, संतोष गौर, रोहन घोष, भुवनेश्वर ध्रूव, सुरेश कश्यप, मोहन, छोटू, अस्तू, चिंगड़ू, रामधर, सिद्धू, खोगेराम, सोनसाय, कोटू सहित ग्राम के वरिष्ठ जन, मंदिर सेवक इत्यादि उपस्तिथ थे।