संभाग आयुक्त श्याम धावड़े ने एनएमडीसी प्रबंधन पर कसी नकेल, स्थानीय लोगों को अब मिलेगी राहत

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  • स्थानीय लोगों को प्रत्यक्ष लाभ देने वाले कार्यों को प्राथमिकता देने के निर्देश
  • सीएसआर के कार्यों की समीक्षा बैठक में कड़े तेवर

अर्जुन झा

जगदलपुर बस्तर संभाग के कमिश्नर श्याम धावड़े ने एनएमडीसी प्रबंधन की मनमानी पर अब शायद लगाम लग सकता है। अगर एनएमडीसी प्रबंधन ने संभाग आयुक्त के निर्देश को हवा में न उड़ाए तो स्थानीय बेरोजगारों और परिवहन व्यवसायियों को बड़ी राहत मिल सकती है। दरअसल संभाग आयुक्त ने एनएमडीसी प्रबंधन पर लगाम कसना शुरू कर दिया है।

हो यह रहा है कि एनएमडीसी प्रबंधन लगातार अपने कर्तव्यों, दायित्वों और वादों से पीछे भाग रहा है।एनएमडीसी द्वारा नगरनार इस्पात संयंत्र स्थापना के लिए भूमि अधिग्रहण के समय नगरनार समेत 11 ग्राम पंचायतों के साथ जो अनुबंध किया गया था उसके मुताबिक संयंत्र में स्थानीय बेरोजगारों को प्राथमिकता के आधार पर रोजगार देना था, संयंत्र से निकलने वाले माल के परिवहन का काम स्थानीय परिवहन व्यवसायियों को देना था, प्रभावित गांवों में शिक्षा, चिकित्सा, पेयजल, आदि का इंतजाम करना था, प्रदूषण नियंत्रण के लिए ठोस उपाय करना था, मगर प्रबंधन ने इसमें से एक भी शर्त को पूरा नहीं किया है। स्थानीय और बस्तर जिले के बेरोजगारों को रोजगार देने के बजाय बस्तर के बाहर के और दूसरे प्रदेशों के लोगों को नगरनार इस्पात संयंत्र में नौकरियां दी गई हैं। माल परिवहन का काम भी बाहरी लोगों को दिया जा रहा है। जबकि स्थानीय जय झाड़ेश्वर

परिवहन सहकारी समिति के पदाधिकारी और सदस्य माल परिवहन के काम की मांग को लेकर लंबे समय से आंदोलन करते आ रहे हैं। उन्हें काम नहीं दिया जा रहा है। नगरनार में सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल खोलने की बात भी धरी की धरी रह गई है। एनएमडीसी प्रबंधन ने शिक्षा के नाम पर एक स्कूल खोला भी है, तो वहां स्थानीय बच्चों को दाखिला न देकर बाहरी लोगों के बच्चों को प्रवेश दिया जा रहा है। इस्पात संयंत्र के पास स्थित सरकारी स्कूल के बच्चों की पढ़ाई संयंत्र से उठने वाले तीव्र ध्वनि प्रदूषण के कारण चौपट हो रही है।

खेतों को लील रहा काला पानी

कुल मिलाकर देखें तो नगरनार इस्पात संयंत्र नगरनार कस्बे और आसपास के तमाम गांवों के लिए अभिशाप ही साबित हो रहा है। संयंत्र से धूल धुंए की गुबार ग्रामीणों को बीमार बना रही है। लोग अस्थमा, टीबी, ह्रदय रोग, चर्मरोग समेत कई बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। उनके उपचार की कोई सुविधा एनएमडीसी प्रबंधन ने उपलब्ध नहीं कराई है। वहीं संयंत्र से निकलने वाला केमिकल युक्त काला पानी ग्रामीणों के खेतों को बंजर बना रहा है। तालाबों के पानी को प्रदूषित कर रहा है। इस जहरीले पानी से खेती चौपट हो गई है और उस पानी को पीकर मवेशी बीमार पड़ रहे हैं। प्रबंधन ने जहरीले धूल, धुंए और काले पानी के प्रबंधन की कोई व्यवस्था नहीं की है।

ये निर्देश दिए आयुक्त ने

कमिश्नर श्याम धावड़े ने समीक्षा बैठक में एनएमडीसी प्रबंधन से साफ शब्दों में कहा है कि अपने प्रत्यक्ष प्रभावित क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को लाभ देने वाले कार्यों को प्राथमिकता दें, साथ ही प्रशासन द्वारा जरूरतमंदों के लिए सीएसआर मद से विशेष प्रावधान कर रखें। ताकि जरूरतमंदों को तत्काल राशि की स्वीकृति दी जा सके। उन्होंने कहा कि शिक्षा से ही भविष्य को बेहतर बनाया जा सकता है इसीलिए जिलों में नवाचार के साथ-साथ अंदरूनी तथा प्रभावित क्षेत्र के स्थानीय बच्चों को उच्च शिक्षा हेतु आर्थिक सहायता का भी प्रावधान रखा जाना चाहिए। कमिश्नर श्री धावड़े ने गुरुवार को संभागीय आयुक्त कार्यालय के सभाकक्ष में एनएमडीसी और जिलों के विकास शाखा प्रभारियों से सीएसआर मद के कार्यों की समीक्षा बैठक ली।

बैठक में वित्तीय वर्ष 2012-13 से 2023-2024 तक स्वीकृत और प्रगतिरत कार्यों की समीक्षा की गई। संभाग के जिलों से विकास कार्यों हेतु एनएमडीसी कार्यालय से लंबित राशि के भुगतान करवाने हेतु कार्यों का ज्वाईट इंस्पेक्शन कर पूर्णता प्रमाण पत्र, उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा करवाकर लंबित राशि को जारी करवाने के निर्देश दिए। इसके अलावा जिलों से वर्ष 2023-24 और 2024-25 के लिए प्रस्तावित कार्ययोजना की जानकारी देने के निर्देश दिए। इस अवसर पर डिप्टी कमिश्नर बीएस सिदार, आरती वासनीकर, जिलों के विकास शाखा प्रभारी एवं एनएमडीसी के अधिकारी उपस्थित थे।