नक्सलियों ने फिर की वाहशियाना करतूत, लोदेड़ की महिला को मार डाला गला घोंटकर

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पांच दिन में दो महिलाओं समेत चार लोगों की हत्या 
अर्जुन झा
जगदलपुर बस्तर संभाग के बीजापुर जिले में नक्सलियों ने फिर एक महिला को मौत के घाट उतार दिया। इस महिला पर पुलिस के लिए मुखबिरी करने का आरोप लगाते हुए उसका गला घोंट दिया गया।पुलिस और सुरक्षा बलों के हाथों लगातार करारी शिकस्त झेलते आ रहे नक्सली अब निरीह आदिवासियों की हत्याएं कर दहशत फैलाने की कोशिश में लगे हुए हैं। बीजापुर जिले में नक्सली पांच दिनों के भीतर चार लोगों को मौत के घाट उतार चुके हैं। इनमें दो महिलाएं शामिल हैं।
ताजा वारदात बीजापुर जिले के मद्देड़ थाना अंतर्गत ग्राम लोदेड़ में की गई है। लोदेड़ के पटेलपारा की निवासी 40 वर्षीय महिला यालम सुकरा पति यालम रामैया की 7 दिसंबर का नक्सलियों द्वारा अपहरण लिया गया। यालम सुकरा को लोदेड़ से 3 किमी की दूर स्थित बड़े पहाड़ जंगल में ले जाकर गला घोंट कर उसकी हत्या कर दी गई गई। घटना 7 दिसंबर की सुबह 9.30 बजे की है। मौके पर प्रतिबंधित भाकपा नक्सल संगठन मद्देड़ एरिया कमेटी द्वारा जारी पर्चा बरामद हुआ है। पर्चे में नक्सलियों द्वारा उनके मूवमेंट की सूचना पुलिस को लगातार देने के कारण 18 नवंबर 24 को ग्रेहाऊंड फोर्स के साथ हुए एनकाउंटर में 7 नक्सलियों के मारे जाने का जिक्र किया गया है। पर्चे में यालम सुकरा पर पुलिस के लिए मुखबिरी करने का आरोप लगाकर हत्या करने का उल्लेख किया गया है।

 

सूचना पर थाना मद्देड़ पुलिस द्वारा शव कब्जे में लेकर अन्य कानूनी प्रक्रियाएं पूरी की जा रही हैं। इसके एक दिन पहले बीजापुर जिले के ही बासागुड़ा थाना क्षेत्र के ग्राम तम्मापुर की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लक्ष्मी पद्दम की नकासलियों ने उसके बेटे के सामने ही धारदार हथियार से हत्या कर दी थी। जिले में बीते पांच दिनों के भीतर नक्सली चार निर्दोष ग्रामीणों को मौत की नींद सुला चुके हैं। दरअसल इस तरह की करतूत नक्सली हताशा में कर रहे हैं। अब तक आम आदिवासियों को पुलिस तथा शासन प्रशासन के प्रति बरगलाते आए नक्सलियों पर उनका ही दांव उल्टा पड़ने लगा है। पुलिस और फोर्स जहां तेजी से नक्सलियों का सफाया करती जा रही हैं, वहीं अब बीहड़ के पहुंच विहीन गांवों में भी विकास की किरण पहुंचने लगी है। इससे ग्रामीणों का भरोसा पुलिस, सुरक्षा बलों तथा शासन प्रशासन के प्रति तेजी से बढ़ता जा रहा है। नक्सली यह कभी नहीं चाहते कि यहां के आदिवासी भी विकास की मुख्यधारा से जुड़ें। इसीलिए वे निरीह आदिवासियों की हत्याएं कर अपनी मौजूदगी का अहसास कराने के लिए इस तरह का वाहशियाना करतूत कर रहे हैं।