मेरा भी एक घर होl” रुक्मणी विश्वकर्मा के सपनों को हकीकत में बदल दिया हमर सुघ्घर पंडर दल्ली सेवा समिति ने

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दल्लीराजहरा पिछले बारिश में रुक्मणी विश्वकर्मा का कच्चा खपरैल का घर टूट गया था l गरीब असहाय रुक्मणी विश्वकर्मा ने शासन के तरफ उम्मीद लगाए देखते रहे l लेकिन शासन ने नियम का हवाला देकर उन्हें मायूस कर दिया l शासन के नियम के तहत मात्र ₹4000 की राशि उनके लिए स्वीकृत हुई है l यह राशि उनके लिए कोई काम कर नहीं रहा क्योंकि गरीबी स्थिति और पति की मृत्यु हो जाने से रुक्मिणी बाई असहाय हो गई है l आमदनी इतना नहीं की झोपड़ी भी बना सके ll उनके साथ मात्र उनका एक 10 साल का बेटा है जीने के लिए लोगों के घर चौका बर्तन करती है l रुक्मिणी बाई को असहाय स्थिति में देखकर लोगों ने उन्हें दल्ली राजहरा के समाजसेवी संस्था हमर सुघ्घर पंडर दल्ली सेवा समिति के सदस्यों से मिलने की सलाह दी l रुक्मणी बाई ने जब सेवा समिति के सामने अपनी बेबसी की बातें रखी तो समिति ने उन्हें दो कमरे की घर बनाने के लिए सहमति दी समिति के सदस्यों ने दल्ली राजहरा के सभी वर्ग जो हमेशा इन लोगों की मदद करते आए हैं के सामने व्हाट्सएप एवं समाचार पत्र के माध्यम से बात रखी l समाज सेवी संस्था की बात को लोगों ने दिल से लिया और सहायता करने के लिए आगे l

आज सेवा समिति के मध्यम से दो कमरे का घर तैयार हो चुका है l जिसे 24 फरवरी को सुबह 11:00 बजे सेवा समिति के सदस्यों के द्वारा रुक्मणी विश्वकर्मा को सौंपा जाएगा l यहां एक स्वर्णिम पल होगा जब किसी बेघर महिला को बिना सरकारी सहायता के दल्ली राजहरा के आम जनता के मदद और सेवा समिति के माध्यम से एक छोटा घर मिल पाएगा l