सम्यक बौद्ध महासभा दल्लीराजहरा द्वारा डॉ. भीमराव आम्बेडकर जी की पुण्यतिथि गरिमा व सादगी के साथ मनाई गई

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दल्लीराजहरा – सम्यक बौद्ध महासभा दल्लीराजहरा द्वारा संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी की पुण्यतिथि गरिमा व सादगी के साथ मनाई गई |

सर्वप्रथम प्रातः बाबा साहब आम्बेडकर के सम्मान में पंचशील झंडे को झुकाया गया जिसमे समाज के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे तत्पश्चात संध्याकालीन कार्यक्रम के अंतर्गत बाबा साहब आम्बेडकर को सम्यक बौद्ध महासभा द्वारा श्रद्धांजलि कार्यक्रम रखा गया जिसमे सम्यक बौद्ध महासभा के संरक्षक बाबूलाल बौद्ध, एस आर कांडे, अध्यक्ष अशोक बाम्बेश्वर एवं महिला मण्डल की अध्यक्षा चंद्रलेखा नांदेश्वर ने डॉ.साहब के विचारों से अवगत कराते बताया कि संविधान निर्माण में बाबा भीम राव आंबेडकर ने अहम योगदान निभाया. बाबा भीमराव आंबेडकर को अपने शुरूआती जीवन में काफी भेदभाव का सामना करना पड़ा. उन्होंने तभी ठान लिया था कि वो समाज को इस कुरीति से मुक्ति दिलाने के लिए तत्पर रहेंगे.

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डॉ भीमराव आंबेडकर का जन्म मध्यप्रदेश के महू में 14 अप्रैल सन् 1891 को हुआ था और 6 दिसंबर 1956 को उनका देहावसान हुआ था. हमें जो स्वतंत्रता मिली हैं यह स्वतंत्रता हमें अपनी सामाजिक व्यवस्था को सुधारने के लिए मिली हैं. जो असमानता, भेदभाव और अन्य चीजों से भरी हुई है, जो हमारे मौलिक अधिकारों के साथ संघर्ष करती है।

समाज के गणमान्य नागरिकों द्वारा संविधान निर्माता बाबा भीमराव अंबेडकर जी को नमन कर उनकी जीवनी पर प्रकाश डालते कहा कि डॉ.भीमराव अम्बेडकर जी ने कहा कि “स्‍वतंत्रता का अर्थ साहस है, और साहस एक पार्टी में व्‍यक्तियों के संयोजन से पैदा होता है. शिक्षा महिलाओं के लिए भी उतनी ही जरूरी है जितनी पुरुषों के लिए | ज्ञान हर व्‍‍यक्ति के जीवन का आधार है.

अंत में डॉ बाबा साहब आम्बेडकर की प्रतिमा के समक्ष विवेक मसीह व समाज के गणमान्य नागरिकों द्वारा मोमबत्ती जलाकर व मौन धारण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई |

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