सीएमएचओ द्वारा ग्रामीणों को दी गई टीबी रोग की जानकारी

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ब्रान्ज मेडल के लिये नामित बस्तर जिले में पूरा हुआ टीबी का सर्वे

कम संख्या में क्षय रोग मरीज मिलने से मेडल की संभावना और प्रबल हुई

जगदलपुर, 14 मार्च 2022 – टीबी उन्मूलन हेतु राष्ट्रीय स्तर पर ब्रॉन्ज मेडल के लिए नामित बस्तर जिले में क्षय रोग की वास्तविक स्थिति जानने पहुंची केंद्रीय टीम का सर्वेक्षण पूरा हो चुका है। इस सर्वेक्षण में कुल 10 टीमों का गठन किया गया था। तय समय पर सर्वेक्षण पूरा करने हेतु मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी डॉ. आर. के. चतुर्वेदी भी देर रात तक ग्रामीणों से मिलकर जानकारी लेते रहे। साथ ही टीबी रोग के बारे में जानकारी देते हुए और उसके लक्षण दिखने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर निशुल्क इलाज कराने की अपील भी करते रहे।

डॉ. चतुर्वेदी ने बताया, “टीबी रोग में स्वास्थ्य विभाग द्वारा 2015 की अपेक्षा 2020 में 20 प्रतिशत तक कमी कमी लाने के चलते बस्तर जिले को सब-नेशनल सर्टिफिकेशन ऑफ टीबी एलिमिनेशन अवार्ड 2020 ब्रॉन्ज मेडल के लिए, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत शासन, द्वारा नामांकित किया गया है। इसके लिए सेंट्रल टीबी डिवीजन की टीम बस्तर जिले मे टीबी मरीजों की वास्तविक स्थिति की पहचान करने आयी हुई थी। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के प्रमुख सदस्यों द्वारा जिले के चिन्हांकित 10 गांव के आसपास के क्षेत्र में युवोदय स्वयंसेवियों के सहयोग से विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) की एप्लीकेशन में सर्वे किया गया। जिले में 19 फरवरी से 13 मार्च 2022 तक चले कुल 9,456 घरों के सर्वे में 37,954 लोगो की स्क्रीनिंग हुई जिसमें 235 संदिग्ध की जांच की गई। इस दौरान 12 क्षय रोग के मरीज पाये गए।

तीन प्रकार से की हुई वेरिफिकेशन की प्रक्रिया आईसीएमआर की निगरानी में 19 फरवरी से 13 मार्च तक डबल्यूएचओ की एप्लीकेशन में सर्वे किया गया। बस्तर जिले के 2015 से 2021 तक टीबी से सम्बन्धित सभी प्रकार के आंकड़ों का मूल्यांकन किया गया।जिले में ऐसे टीबी मरीज जो अन्य प्राइवेट संस्थानों में अपनी जांच करा रहे व दवाई दूकानों से दवा ले रहे, उनके बारे में जानकारी लेने हेतु ग्रुप डिस्कशन प्रक्रिया अपनाई गई, जिसमें शामिल सदस्य के रूप में जिले के केमिस्ट, प्राइवेट प्रैक्टिशनर, ड्रग इंस्पेक्टर व अन्य प्राइवेट डॉक्टर थे। मिली जानकारी के अनुसार चिह्नित गांवों में टीबी का प्रसार कम ही दिखा है। ऐसे में बस्तर जिले को ब्रॉन्ज मेडल मिलने की संभावना प्रबल हो गई है।