- छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में दिखा विलुप्त होते खेलों का जलवा
- स्कूल कैंपस में पारंपरिक खेलों का आयोजन, बच्चों ने दिखाया हुनर
जगदलपुर समूचा शाला परिसर छत्तीसगढ़ की उर्वरा माटी की सोंधी खुशबू से गमक उठा. गांव की गलियों से जुड़ी बचपन की यादें ताज़ा हो गईं. परंपरिक खेलों और उत्सवों के उत्साह से भरा बालपन फिर लौट आया. ऐसा लग रहा था मानो कभी छत्तीसगढ़ के गौरव रहे पारंपरिक खेलों के दिन फिर से लौट आए हैं.
बोधघाट के प्राथमिक शाला परिसर में आयोजित छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक में छत्तीसगढ़ के लगभग विलुप्त हो चुके पारंपरिक खेलों का जलवा देखने को मिला. लोक संस्कृति से समृद्ध छत्तीसगढ़ की पुरानी यादें ताज़ा हो गईं. परिसर में मौजूद कई लोग अपना बचपन याद कर भावुक हो उठे. राजीव युवा मितान क्लब जिला बस्तर द्वारा राजीव गांधी वार्ड बोधघाट की प्राथमिक शाला में छत्तीसगढ़ के विभिन्न पारंपरिक खेलों का आयोजन किया गया. विलुप्त होते पारम्परिक खेलों गिल्ली डंडा, रस्साखींच, पिट्ठुल, खो-खो, भौरा, बांटी में बच्चों ने अपना हुनर दिखाया.
आयोजन में बोधघाट शाला के शिक्षक शिक्षिकाओं व वार्डवासियों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया.
अपने सम्बोधन में राजीव गांधी युवा मितान क्लब के जिला समन्वयक सुशील मौर्य ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने समाज के सभी वर्गों का पूरा ध्यान रखा है और विलुप्त होते पारंपरिक खेलों को सहेजने का प्रयास किया है l इसके लिए मुख्यमंत्री साधुवाद के पात्र हैं. आयोजन में मुख्य रूप से नगर निगम अध्यक्ष कविता साहू, नगर निगम आयुक्त दिनेश नाग, युवा मितान क्लब की अध्यक्ष एस नीला, यूथ कोंग्रेस के कार्यकारी जिलाध्यक्ष संदीप दास, प्रधान अध्यापक कांति देवांगन, पीटीआई हसीन अहमद, राजस्व अधिकारी राकेश यादव, निरीक्षक कुलदीप पाणिग्रही, सांसद के सोशल मीडिया प्रतिनिधि शादाब अहमद, गौरव तिवारी, बोधघाट शाला के समस्त शिक्षक व बड़ी संख्या में स्कूल के छात्र छात्राएं मौजूद थे.