- मसगांव में आदिवासियों की पट्टे वाली भूमि और गोठान की जमीन बेच दिए जाने के खिलाफ सर्व आदिवासी समाज ने खोला मोर्चा
बकावंड बस्तर जिले अनेक गांवों में भू माफिया और राजस्व विभाग के अधिकारी – कर्मचारी आदिवासियों के स्वामित्व की भूमि के साथ ही शासकीय जमीन को भी बेच रहे हैं। भूमि स्वामियों को पता ही नहीं होता आर उनकी जमीन दूसरे के कब्जे में चली जाती है। सर्व आदिवासी समाज ने इसे गंभीर मामला और आदिवासियों को बस्तर से बेदखल करने की साजिश बताते हुए मामले की उच्च स्तरीय जांच तथा दोषी लोगों पर कड़ी कार्रवाई की मांग शासन प्रशासन से की है।
भूमाफिया जिले के राजस्व विभाग के मैदानी कर्मियों से सांठगांठ कर आदिवासियों को बेदखल कर उनकी जमीन बाहरी लोगों और गैर आदिवासियों के पास बेचते जा रहे हैं। यही नहीं ये भू माफिया कई गांवों में तो गोठान, चारागाह, खेल मैदान, जैसी सार्वजनिक प्रयोजन की शासकीय जमीन को भी बेचने लगे हैं। बस्तर जिले की बकावंड तहसील के कई गांवों में इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं। इस तहसील के ग्राम छोटे देवड़ा, मसगांव में गोठान के लिए आरक्षित भूमि एवं आधा दर्जन आदिवासियों की जमीन का विक्रय दलालों ने साहूकारों के पास कर दिया है। सर्व आदिवासी समाज ने इस जमीन घोटाले के खिलाफ आवाज उठाई है। सर्व आदिवासी समाज के उपाध्यक्ष राजाराम तोड़ेम ने इस कृत्य को आदिवासियों के अधिकारों पर कुठाराघात और नियम विरुद्ध करार दिया है। तोड़ेम ने कहा है कि आदिवासियों की जमीन और शासकीय भूमि को बेचा नहीं जा सकता। पटवारी और राजस्व निरीक्षक जमीन दलालों के साथ मिलकर आदिवासियों की जमीन बेच रहे हैं। हमने कलेक्टर से इसकी शिकायत की है। तोड़ेम ने कहा कि प्रभावित आदिवासियों को ग्रामसभा में आवेदन देकर अपनी समस्या रखनी होगी। ग्रामसभा कार्रवाई की मांग एसडीएम से करेंगे। फिर एसडीएम अपने मातहत अधिकारियों को कार्रवाई के लिए निर्देशित करेंगे। उल्लेखनीय है कि बकावंड तहसील के मसगांव में 20 एकड़ से अधिक रकबे वाली शासकीय भूमि गोठान के लिए आरक्षित है। इस भूमि के समीप खसरा नंबर 141, 142 पर आदिवासियों का वर्षो से कब्जा है। पट्टे वाली इस जमीन पर आदिवासी कास्तकारी करते आ रहे हैं। भू- माफिया ने राजस्व विभाग के कर्मियों से सांठगांठ कर ड्रीप लगाने के नाम पर आदिवासियों की इस जमीन की बिक्री कर क्रेता को कब्जा दिला दिया है। खसरा नं. 142 की 0.60 हेक्टयेर भूमि पर सरगीपाल लेम्पस सोसाइटी से तथा खसरा नंबर 141 की 0.50 हेक्टयर भूमि पर केसीसी लोन भी लिया गया है।