दल्लीराजहरा – श्रीमान नरेन्द्र दामोदरदास मोदी, माननीय प्रधानमन्त्री महोदय, भारत सरकार, के नाम अनुविभागीय अधिकारी की अनुपस्थिति में नायाब तहसीलदार महोदय को ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में श्रमिक कानून को निरस्त कर संशोधन करने का निवेदन किया है, भारतीय मजदूर के जिला मंत्री मुश्ताक अहमद ने बताया कि भारत सरकार द्वारा श्रम कानूनों में संशोधन किया जा रहा है लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि प्रबन्धन एवं मालिकों को लाभ पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। इस कृत्य से श्रमिकों /कर्मचारियों को आर्थिक एवं सामाजिक क्षति होना निश्चित है।
इसी कड़ी में भारतीय मजदूर संघ द्वारा प्रस्तावित कानून की जानकारी देना, श्रमिकों का जागरण, जिला कलेक्टर को ज्ञापन,सांसद महोदय को ज्ञापन, जन-जागरण सप्ताह, सरकार जगाओं कार्यक्रम, चेतावनी सप्ताह आदि कार्यक्रम सम्पन्न किये जा रहे है।इसके उपरान्त भी श्रमिकों/कर्मचारियों के विरोध में दोनों ही सदन (लोकसभा राज्यसभा) से बिल पारित हो गये है। इसमें निम्न संशोधित बिन्दु अस्वीकार है जो निम्न हैं:-
1. यूनियन पंजीकरण हेतु न्यूनतम 10 प्रतिशत श्रमिक प्रमाणित करने की जटिल प्रक्रिया।
2 ट्रेड यूनियन को मान्यता हेतु 51 प्रतिशत सदस्यता होना तथा 20 प्रतिशत सदस्यता वालों से वार्ता करना पर समझौता नहीं करना।
3. शिकायत कमेटी में 6 सदस्य के स्थान पर 10 सदस्य से न्याय की उम्मीद कम रहना।
4. श्रमिकों को विवाद दायर करने के लिये अधिकतम रुपये 18 हजार वेतन पाने वाले को ही अधिकृत किया है। जिससे कुशल और अकुशल श्रमिक बंछित रह जायेंगें।
5. ट्रिब्यूनल में पूर्व से एक ही जज जिला जज की वेतन श्रृंखला का होता था परन्तु प्रशासनीक अधिकारी भी अब निर्णय करने में शामिल होगा।
6. कोई भी प्रबन्धक 5 व 10 वर्ष के लिए को रख सकेगा। उसे स्थाई करने की आवश्यकता नहीं रहेगी।
7. सेवाकार्य, अनुसंधान, अंतरिक्ष, सोसायटी वर्कर, पुलिस, सेना एवं घरेलू कामगारों को भी इसमें सम्मिलित नहीं किया गया है।
नौकरी से निकालने या किसी प्रकार के विवाद को उठाने का समय पूर्व में 3 वर्ष था। अब इसकी समयावधि 2 वर्ष कर दी गई है।
9. किसी भी संस्थान को बन्द करने (closer) हेतु पूर्व में 100 श्रमिक या इससे ऊपर के उद्योग को राज्य सरकार या केन्द्र सरकार से अनुमति आवश्यक थी। अब श्रमिक सीमा 300 कर दी गई है।
10. ट्रेड यूनियन का हडताल करने का अधिकार एक तरह से समाप्त ही कर दिया है। जिसका 14 दिन पूर्व नोटिस देना आवश्यक है।
11. पूर्व में पुनः उद्योग में कार्य होने की स्थिति में छटनी किये गये श्रमिकों को प्राथमिकता दी जाती थी,अब इसे हटा दिया गया है।
12. ले-ऑफ-कोयला, बिजली, कच्चामाल, मशीनरी आदि की कमी के कारण 45 दिन तक आधा वेतन का प्रावधान था उसे समाप्त कर दिया गया है।
13. कान्ट्रेक्ट एक्ट 30 श्रमिकों पर लागू होता था अब 50 श्रमिकों पर कर दिया था।
14. पूर्व में फैक्ट्री के प्रावधान लागू होने हेतु श्रमिकों की न्यूनतम संख्या POWER से कार्य होने की स्थिति में 10 थी, जिसे बढाकर 20 कर दिया है। बिना POWER से कार्य होने वाली फैक्ट्री में न्यूनतम संख्या 20 थी, जिसे बढाकर 40 कर दिया है। यह प्रावधान श्रमिक विरोधी है।
इस प्रकार उपरोक्त सभी प्रावधान श्रमिक /कर्मचारी के अधिकारों व गरिमा को कम करने वाले हैं।
भारतीय मजदूर संघ इन सभी श्रमिक विरोधी प्रावधानों का विरोध करता है तथा भारतीय मजदूर संघ की सभी इकाइयों के माध्यम से 28 अक्टूबर, 2020 को विरोध दिवस मनाकर यह ज्ञापन आपको प्रेषित किया जा रहा हैं, इसके पश्चात् संशोधन नहीं हुआ तो आगामी रणनीति बनाकर भारत बन्द किया जायेगा। ज्ञापन सौंपने में प्रमुख रूप से जिला मंत्री मुश्ताक अहमद, खदान मजदूर संघ के महामंत्री एम पी सिंग, राजहरा खदान के अध्यक्ष किशोर कुमार मायती, सचिव लखन लाल चौधरी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ की जिला महामंत्री माधुरी रथ, उपाध्यक्ष बीना सुरेन्द्र, एवं राजहरा खदान समूह के नियमित कर्मचारी एवं ठेका श्रमिक , राजहरा खदान समूह के सुरक्षा गार्ड,आई,ओ,सी,एल, के सुरक्षा गार्ड उपस्थित थे।