- सड़क ही नहीं बन पा रही तो फोर्स कैसे पहुंचेगी नक्सलियों के गढ़ में
- ईएनसी की लापरवाही ने सीज करा दिया अकाउंट
–अर्जुन झा–
जगदलपुर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान रायपुर में ताल ठोंक गए हैं कि राज्य से नक्सलियों का खात्मा जल्द कर दिया जाएगा। गृहमंत्री अमित शाह को शायद यह मालूम नहीं होगा कि लोक निर्माण विभाग छत्तीसगढ़ के इंजीनियर इन चीफ केंद्र और राज्य सरकार के इस मिशन की राह में रोड़ा बन गए हैं।
ईएनसी की लापरवाही के चलते नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण थम सा गया है। जब सड़क ही नहीं बन पाएगी, तो अमित शाह की फोर्स नक्सल गढ़ तक कैसे पहुंच पाएगी और कैसे वह छत्तीसगढ़ को नक्सलवाद मुक्त बना पाएगी।केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नक्सलियों के खात्मे के लिए सड़क निर्माण को प्राथमिकता से संपादित करने के निर्देश दिए हैं। वहीं दूसरी ओर लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर इन चीफ पिपरी की घोर लापरवाही के चलते लोक निर्माण विभाग का खाता सीज हो गया है।अगर इंजीनियर इन चीफ श्री पीपरी समय पर ईपीएफ के भुगतान का प्रस्ताव भेज देते तो यह समस्या नहीं आती। लोक निर्माण विभाग का खाता सीज होने से ठेकेदारों के अरबों रुपयों का भुगतान अटक गया है। बस्तर संभाग में विभाग द्वारा ठेकेदारों के माध्यम से कराए जा रहे सड़कों के निर्माण थम से गए हैं। ठेकेदार मजदूरी भुगतान भी नहीं कर पा रहे हैं। शासन को चाहिए कि अपनी व केंद्र सरकार की छवि को धूमिल होने से बचाने के लिए ऐसे अधिकारियों पर ठोस कार्रवाई करे ताकि भविष्य में ऐसे कोई और कृत्य न हो इसके उपाय किए जाए।
24 करोड़ रुपए बकाया
लोक निर्माण विभाग के 58 डिवीजन में करीब 5 हजार 939 कर्मचारी हैं, जिनके ईपीएफ की राशि 19 करोड़ 50 लाख की राशि जमा करना शेष है। इसमें ब्याज और पेनाल्टी जोड़ने पर यह बढ़कर रकम 23 करोड़ 84 लाख रुपए होती है। 2023 में इसे लोक निर्माण विभाग ने वित्त विभाग को भेजा। शासन ने 14 करोड़ की राशि विभाग को भेजी, लेकिन इसके बाद भी विभाग ने यह राशि ईपीएफ ट्रस्ट को नहीं दी, क्योंकि उसके पास ईपीएफ का कोड नहीं था। मामला अब भी अधर में है। मामला यह है कि 2015 से लोक निर्माण विभाग में दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों के ईपीएफ़ कटौती का निर्देश दिया गया है। इस निर्देश का पालन नहीं होने से केवल ईपीएफ में हर वर्ष 12 करोड़ से अधिक दैनिक श्रमिकों का 12 प्रतिशत अंशदान लोक निर्माण विभाग को स्वयं जमा करना पड़ रहा है। उसमें लगने वाला ब्याज और दंड राशि की गणना करें तो यह घाटा बढ़कर कई करोड़ तक पहुंच जाता है। इस राजस्व क्षति को नियंत्रित करना, बचाना विभाग के अधिकारियों एवं वित्त नियंत्रकों के हाथ में है।
260 किमी सड़कें स्वीकृत
छत्तीसगढ़ के बस्तर में सड़कों का निर्माण करना किसी चुनौती से कम नहीं है। बस्तर में नक्सली सड़कों का निर्माण नहीं चाहते हैं, इस वजह से इसका विरोध कर बड़ी घटनाओं को अंजाम देते रहते हैं। केंद्र सरकार की आरआरपी योजना के तहत इन नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास पहुंचाने के लिए सड़कें बनाई जा रही हैं। आरआरपी योजना के तहत 85 सड़कों को चिन्हित किया गया है, जिसमें से 259. 90 किलोमीटर की 40 सड़कों का निर्माण प्रगति पर है। यह सभी सड़कें दुर्गम नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हैं। यह विकास की रफ्तार गांव तक पहुंचाने का एक अभिनव प्रयास है।