सरपंच ने कहा 99% त्रुटिपूर्ण है इलाके का बंदोबस्त, निष्पक्ष जांच कि कर रहे मांग
जब तक समाधान नहीं तब तक नहीं हो सीमांकन – सरपंच
किसानों को भ्रमित किया जा रहा, सीमांकन का मतलब जमीन छीनना नहीं – तहसीलदार
जगदलपुर/नगरनार
ग्राम नगरनार में बंदोबस्त त्रुटि का आरोप सम्बंधित विभाग पर लगाते हुए यहाँ के किसान लामबंद हो चुके हैं. इस संबंध में इलाके में पहुंचे सांसद को किसानों ने ज्ञापन सौंपा है जिसमें कई प्रमुख बिन्दुओं पर अपनी मांग रखी है |
दरअसल, बीते एक-डेढ़ दशक के दौरान नगरनार क्षेत्र के कई किसानों के जमीनों को जगदलपुर के कई बड़े व्यापारियों ने रजिस्ट्री करवा ली थी. जिसके बाद लिए गए ज़मीन का बंदोबस्त नहीं हो पाया था. वहीँ, गत दो दिसंबर को नगरनार पंचायत को मिले राजस्व विभाग के नोटिस ने सरपंच सहित किसानों के होश उड़ा दिए |
नगरनार सरपंच लेखन बघेल ने बताया कि इलाके के लगभग 2 सौ एकड़ के आसपास ज़मीनों कि खरीदी बिक्री व्यापारियों द्वारा कि गयी थी और उक्त ज़मीन का सीमांकन नहीं किया गया था. ऐसे में कई किसान अपने ज़मीन पर काबिज रहते हुए तत्कालीन समय से कृषि कार्य कर रहे हैं |
बघेल का कहना है, ताज्जुब की बात तो यह है कि क्रेता व विक्रेता को ही इस बात की जानकारी नहीं है कि वास्तव में कौन सी ज़मीन उनकी है. कुल मिलकर क्षेत्र कि 99% बंदोबस्त त्रुटिपूर्ण है जबकि शुरू से ही व्यवस्था व दस्तावेज़ ठीक रखनी थी. यही नहीं, खुले तौर पर राजस्व संहिता का उल्लंघन किया गया है, जिसमें पंचायत को भी विश्वास में नहीं लिया गया न ही कोई जानकारी दी गयी |
सरपंच का कहना है कि वर्ष 1994-95 में बंदोबस्त हुआ था जिसके बाद किसान इन जमीनों से कमा-खा रहे हैं, अब पता चल रहा है कि जमीनों को कहीं का कहीं बैठा दिया गया है. वहीँ, किसान इस उपापोह की स्थिति में हैं कि उन्हें ज़मीन बेचनी है की नहीं. क्योंकि तत्कालीन समय में बाकायदा स्टाम्प ड्यूटी में खरीदी हुई थी, विधिवत लिया गया था और अब सीमांकन के लिए द्वितीय पक्ष विभाग में आवेदन लगाकर अपनी ज़मीन मांग रहा है जो कि नियम विरुद्ध है. इसी के चलते पंचायत और कब्जाकास्त के बीच बहस हो रही है, इसलिए निष्पक्ष जांच हेतु सांसद को ज्ञापन दिया गया है.
प्रभारी तहसीलदार रैना ज़मील ने बताया कि आगामी 9 दिसम्बर को पुनः राजस्व कि टीम मौके पर जाकर सीमांकन करेगी. साथ ही राजस्व विभाग के पास मौजूद बंदोबस्त के दस्तावेज़ की भी जांच करेगी. उन्होंने कहा कि किसानों को कुछ लोगों द्वारा भ्रमित किया जा रहा है, सीमांकन का मतलब ज़मीन छीनना नहीं होता है. अगर 10 किसान ही कहते हैं कि 99% त्रुटि हुई है तो उसे विभाग त्रुटि की श्रेणी में नहीं लेगा. जांच में 50% से अधिक त्रुटि पायी जाएगी तभी माना जायेगा की बंदोबस्त त्रुटिपूर्ण है.
इस सम्बन्ध में सांसद दीपक बैज ने बताया कि ग्रामीणों ने ज्ञापन दिया है और इस सम्बन्ध में कलेक्टर को परिक्षण हेतु कहा जायेगा. बस्तर के किसी भी किसान ग्रामीण के साथ गलत न हो. बंदोबस्त त्रुटि अगर हुई है तो किसानों को समय देकर निष्पक्ष परिक्षण किया जाना चाहिए.