किसान त्रस्त, अधिकारी मस्त.! शिवसेना कर रही ‘बेरोजगार किसान मोर्चा’ की तैयारी

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जगदलपुर / प्रतिनिधी । बस्तर ज़िले के उपार्जन केंद्रों में लगातार बारदाने की कमी की शिकायतें आ रही हैं, जिसके कारण धान ख़रीदी प्रभावित हुआ है। प्रशासन की लापरवाही का नतीजा कोसो दूर से फ़सल बेंचने आ रहे किसानों को उठाना पड़ रहा है, और जिम्मेदार अधिकारी स्वयं अपनी पीठ थपथपाने में व्यस्त हैं। ऐसा शिवसेना के जिलाध्यक्ष अरुण पाण्डेय् ने कहा है।

बता देंकि बारदानों की कमी के कारण धान ख़रीदी प्रभावित होगा और उपार्जन केंद्र बंद भी हो सकते हैं ऐसी आशंका शिवसेना ने पूर्व में ही जताई थी तथा समय रहते प्रशासन कोनिस्के लिए तैयार रहने की बात उन्होंने उठाई थी। लेकिन शिवसेना द्वारा चेताने क्व बाद भी अधिकारियों की कुंभकर्णीय नींद नही खुली और उसी का नतीजा हैकि आज धान उपार्जन केंद्रों में कई खामियां नज़र आ रही हैं।

ज़िला खाद्य नियंत्रण अधिकारी आख़िर प्रशासनिक सुविधाओ के बावजूद किसानों को बारदाने उपलब्ध क्यों नही करा पा रहे हैं.? किसानों को हो रही समस्यायों के लिए सबसे पहले वे ही जिम्मेदार हैं और उनकी कार्य दक्षता पर सवाल उठाने के लिए यह काफ़ी है। किसानों को जो बारदाने उपलब्ध कराए जा रहे हैं वह पुराने सड़े गले हैं, और जिसका 15 रुपये का भुगतान प्रशासन ले रही है, इधर प्रशासनिक संरक्षण में ही खुले बाज़ार में बारदाना 30 रुपये में उपलब्ध है। शिवसेना के जिलाध्यक्ष अरुण पाण्डेय् ने कहा कि ज़िला खाद्य नियंत्रक अधिकारी खुले बाज़ार में बारदाने की क़िल्लत को देखकर व्यापारियों द्वारा अचानक दाम बढ़ा दिए गये हैं। इस तरह हो रही बारदाने की काला बाज़ारी पर भी नियंत्रण लगाने में नाकामयाब साबित हुए हैं। जिसकारण किसानों को अलग से 30 से 40 रुपये प्रति बारदाना का ख़र्चा व्यव करना पड़ रहा है। प्रशासन स्वयं तमाम सुविधाओं के बावजूद किसानों को बारदाने उपलब्ध कराने में असमर्थ साबित हुई है और अब किसानों को 40 किलो भरती वाले जुट के बारदाने की व्यवस्था स्वयं करो ऐसा आदेश जारी किया गया है। शिवसेना के जिलाध्यक्ष अरुण पाण्डेय् में बताया कि बस्तर ज़िले के कई उपार्जन केंद्र ऐसे हैं जहां से किसानों को वापस भी कर दिया जा रहा है। लेकिन खाद्य अमला इन परेशानियों का रास्ता निकालने की कोई कोशिश करते नही दिखाई पड़ रही है।

इस मामले में जब वे ज़िले के खाद्य नियंत्रक अधिकारी से मुलाक़ात कर इस समस्या का हल जानने पहुंचे तब अशिकारी ने प्रशासनिक रोना रोते हुए संसाधानों और कर्मचारियों की कमी गिनाते हुए जिम्मेदारी से भागने की कोशिश किया।

उन्होंने बताया कि जिस तरह नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण के निर्णय के विरोध में शिवसेना प्रदेश प्रमुख धनंजय परिहार के नेतृत्व में शिवसैनिकों ने नगरनार मोर्चा के नाम से टीन दिवसीय विशाल पदयात्रा किया था। उसी तर्ज़ पर क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं और किसानों की समस्याओं को लेकर केंद्र और राज्य दोनों सरकारों तक बात पहुंचाने के उद्देश्य से शिवसैनिकों द्वारा ‘बेरोजगार किसान मोर्चा’ दिनांक 18 से 20 जनवरी तक महाराष्ट्र से छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर तक निकाली जाएगी। इस मामले पर शिवसेना के ओंकारनाथ द्विवेदी, सरगिम क़वासी, चंचलमल जैन के नेतृत्व में शिवसेना सदस्य किसानों से मिलकर उनकी समस्या जान रहे हैं साथ ही किसान मोर्चा में सम्मिलित होने का आमंत्रण भी किसानों को दे रहे हैं।