स्मृति शेष – भाई आलोक माथुर को भावों का अर्पण – अर्जुन झा

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अर्जुन झा

लौह नगरी दल्ली राजहरा की धरती के फौलादी इरादों और फूल जैसी कोमल भावनाएं रखने वाले व्यक्तित्व के रूप में विशिष्ट पहचान बनाने वाले भाई आलोक माथुर अब हमारे बीच जीवंत स्वरूप में नहीं हैं लेकिन उनकी स्मृतियां आज भी उनके आभामंडल की दिव्य अनुभूति के रूप में आलोकित हो रही हैं। मां शिरोमणि माथुर ने अपनी मार्मिक भावनाओं की अभिव्यक्ति का समर्पण पुस्तक अर्पण के रूप में किया है। अर्पण का विमोचन छत्तीसगढ़ की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंडिया जी गुरुवार 04 फरवरी 2021 को अपरान्ह 03 बजे माथुर सिनेप्लेक्स दल्ली राजहरा में करेंगी। अनिला जी हमारे घर परिवार की हैं। वे संयुक्त मध्यप्रदेश के वरिष्ठ और अति सम्मानित आदिवासी नेता झुमुक लाल भेंडिया परिवार की बहू हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता के रूप में मां शिरोमणि माथुर और अनिला जी के बीच अंतरंगता है।

पारिवारिक संबंधों के प्रकाश में वे भाई आलोक माथुर के व्यक्तित्व और कृतित्व से हम आपकी भांति ही अपनेपन के साथ परिचित हैं और हम सबकी तरह वे भी भाई आलोक के असमय अनंत में लीन हो जाने की व्यथा महसूस करती हैं। मां शिरोमणि माथुर का मर्म वे और हम सभी अनुभव कर सकते हैं। मां शिरोमणि माथुर ने अर्पण पुस्तक के माध्यम से भाई आलोक को अपनी मार्मिक भावनाओं का जो अर्पण किया है, वह ठीक ऐसा ही है, जैसे कर्मठ, सरल, सौम्य, जनसेवी, समर्पित पुत्र के वियोग से व्यथित मां ने अपने कलेजे को कागज पर उतार दिया हो। भाई आलोक माथुर की संवेदनाओं के द्वार आजीवन हर किसी के लिए समान रूप से खुले रहे। वे एक कुशल रचना धर्मी थे। उन्होंने सदा रचनात्मक, सकारात्मक सोच को ही अपना जीवन मंत्र माना और जीवन भर लोगों को सकारात्मकता का संदेश देते रहे।

भाई आलोक माथुर पत्रकारिता का हिस्सा नहीं थे, वे राजनीति में भी नहीं थे। लेकिन पत्रकारिता से उनका गहरा लगाव था। ऐसी कोई बौद्धिक संगत नहीं, जिससे उन्होंने सरोकार न रखा हो। पत्रकारिता के उद्देश्य से लेकर स्थिति तक हर बिंदु पर उनका अपना सार्थक चिंतन हुआ करता था। इसी तरह मां शिरोमणि माथुर की सुदीर्घ राजनीतिक सक्रियता के बावजूद राजनीति से वे दूर ही रहे। किंतु राजनीतिज्ञों से उनके आत्मीय संबंध रहे और उन्होंने इन संबंधों को आम लोगों के हित का माध्यम माना। मां से संस्कारों में जनसेवा का व्रत धारण किया और ताउम्र इसका पालन किया। भाई आलोक माथुर को विनम्र श्रद्धांजलि।